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भनेकान्त
विजउ णामु पंचमु सुह-बहनु, बहर अचलु रिदि-सक्कंदणु । सत्तमुखामु पसिबड धारणु, पुणुभट्टमड तणुभट पूरणु। सुङ बाहिचंदु णवमु पुण जाबहु, दमड सुर वसुएवड माणस। एवहं बहु अंकोऽतिमदोवर, बापरणे णिज्जिय अमरकर । समुद विजश्र सूरीपुरि थप्पिर, चंदवाडु वसुएषहो अप्पिट । वहो मुड रोहिणेउ भरि-गंज, देवह-णंदणु अणु जणहणु। वहो संताण कोटि-कुख-बक्साई, संजाया केवखि-परचक्खाई। पुणु संभरि गरिंद महि भुजिय, जायव-सुब्वमतें रंजिय। असवंतु चहुवाण पुहह पहु, तहु मंतिउ जदुवंसिउ जसरहु । पहुगण पत्तिहु भउ धरणीयलि, भासानुरि सुरि-पय-पंकय-अखि । साहु णाम गोकणु मंती तहु, जिणवर-चरणंभोरुह-महुखिहु । हुड संभरि णरिंद महिवाबड, करणदवु-शाम-पय-पाखाउ । सोमदेउ बहो मंति सहोयर,
सयल-कलालांकडणं ससहरु । पत्ता-पुण सारंगु णरिंदु अभयचंदु हो गंदण ।
तहो सुभ हुउ जयचंदु रामचंदु थामें पुरु॥ णिव-सागर-रज्जि-समयंकित, वासाहरु मंतिड णीसंकिउ । गिय-पहु-रज्ज-भार-दिढ-कंधरु, विबुह-वंदि-तरु-पोसण-कंधरु । एक्कु जि परमप्पट जो झावर, वे ववहार सुदणय भावह। जो ति-काल रयणत्तर अंचह, चडाणपोय-रुड़ कह-वि ण मुग्छ। जो परमेट्ठि-पंच-बाराहद, जो पंचंग-मंत-महि साहह।
[वर्ष १४ जो मित्त पंच अवगण्याई बक्कम्महिं जो दिवि दिखि गम्मई। जो सत्संगु-मण्डविहाबाद, सास-सच्च-सहा रसाबाद। दावारहु-गुण-संतत-पत्तड, सत्स बस जो कहिवि वरठ। भट्ट मूखगुण-पालन-पह सांसद भट्टग रपयापर। भट्ट-सिब-गुण-गह-सम्माबई, भट्टरव-पुज्जिय जिण-पत्याह। सव-विह-पुराण-पत्र दाहायरु, सव-पयस्थ परिरक्खह-शायर। बवनस-चरिड सुबई वसावा, दह-बखन-महिं रह-माणहं। एवारह अंगई मणि इच्छा, एवारह-परिमाउ-णियच्छा। बारह-सावय-वय-परिपालाइ, तेरह-विहि चरित्तु सुणिहाबाद। बउदह-कुत्यरक्खमुवपस्सह, बउदह-विह-पुम्वहि-मणु-वासह। पउदह-मग्गण-वित्थरु-जोवह, बडबह पुरिस सत्तण उज्जोबह ।
हो बंधड रयणसीहु भणि भज्जा य मेरु सुपसिबर। नियर्विव-पट-रएवि पुणु जिणवर-गोत विवर ॥२॥
वासद्धर पिययम वे परिणिलं, परियण-पोसणणं कुरु धरणिडं। वे परसुजल पर व मराखिय, सोल-तहहिं वेदिख रसाखिय। पेमकिय-कुल-सरणं पोमिणि, सुयश-सिहंडणि जलहर-दि। पइ-वय-सीज-सखिल-मंदाइणि, दुक्लिय-जय-जय-शिव-सुह-दाहदि । उदयसिरी होमा विषय-य, बटविह-संघहो कप्पणिही हय । उमर-सप्पि-सुय-नया-समुन्भव, संजाया कुख-हरण-तणुम्भव | पहम-पुत् जयपालु गुवंगड,