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________________ किरण जैनप्रन्थ-प्रशस्तिसंग्रह [१४६ जिण पडिमालंकिउ गच्छमाणु, अन्तिमभागःण केण वियंभिड सुर-विमाणु । मुणिवर-णयणंदि-मरिणबद्धं पमिन्द, जहिरामणंदि गुण-मणि-णिहाणु, सयविहि-विहाणे पत्य कन्वे सुभग्वे । जयकित्ति महाकित्ति वि पहाणु । अरिह-पमुह-सुत्त-वुत्तु माराहणाए इय तिरिण वि परिमण-मई-मईब, पणिउ फुडु संधि भट्ठावणं समोति ॥ मिच्छत-विडवि-मोडण-गइंद। संधि ५८॥ (प्रति भामेर भंडार,सं. १५८०) पत्ता १८ अणुवय-रयण-पईव (अणुवस-रत्न-प्रदीप) सिवपुर गच्छन तिहयणहोणं स्यणत्तय सोहण । -कवि लक्ष्मण, रचना कान सं० १३३ भादिभाग:दरसिय अहवीरें गणहरु, कलिकाल हो पडिबोहण ॥१॥ णत्त ण जिणे सिद्ध मायरिए पाढए य पम्वइदे । रामणंदि णत्तिउ मणि, अणुवय-रयण-पईवं सर वुच्छे सिमामेह ॥ जहि जिवं णमंसि वि णिविउ । xxx तहिं णिए वि भब्वाहिणंदिणा, इह जउँणा-णइ-उत्तर-तडस्थ, सूरिणा महारामणदिणा। मह णयरि रायवडिय पसत्य । बालइंद-सीसेण जंपियं, धण-कण-कंवण-वण-सरि-समिड, सयल-विहिणिहाणं मणप्पियं । दागुराणयकर-जण-रिद्धि-सिद्धि । कह दिणाई पारभिउ पुणों, किम्मीर-कम्म-णिम्मिय रवगण, कीस-विट्ठसे-चितन्दुम्मणो। सहल-सतोरण-विविह-वरण। तं सुणेवि णयदि बोल्लए, पंडुर-पायारुण्णइ-समय, मणु करिंद-करणेव सोल्खए। जहि सहदि खिरंतर-सिरि-निकेय । रहए कन्वे इयभत्तिणिज्झरा, चउहद चच्चरुहाम जत्थ, कासु सत्ति लेहावणे परा । मम्गण-गण-कोलाहल-समस्य । कहा तासु सी भरहरिद्धए, जहिं विवणे विकणे घस कुप्पभंड, वर वराडदेसे पमिद्धए। हि कसिमा मिच्छ पिसंहि-खंड। कित्ति-लच्छि-सरमइ-मणोहरे, हिस्विरम-दाण-संमाश-सोह, वाडगामि महि महिन-सेहरे । जहि वसहि महायण सुद्ध-बोह। जईि जिणिद-हर-पह-पराजिया, बवहार-चार-मिरि-सुद्ध-बोय, चंद-सूर णहे जंत बज्जिया। विदरहिं पसरण चउवरण बोय। तहि जिणागमुच्छव अलेवहि, जहिं कणयचूर-मंडण-विसेस, वीरसेण-जिणसेण देवहि । सिंग्गार-सार-क्रय-निरवसेस । णाम धवल जयधवल सय, सोहगा-लग्ग-जिम-धम्म-सील, महाबंधु तिरिणसिद्धत सिव-पहा । माणि -णिय-पइ-वय-वाहण-लील । विरहऊण भवियह सुहाविया, जहिं पण्ण-परिय-पगण-साव, सिद्धिनमणि-हाराच्च दाविया । णायर-गरेहिं भूसिय विसाल। पुंडरोड जहिं कवि धणं जड, थियजण विबुजल अणिय-सम्म, इउ सयंभू भुवणं पिजउ । कूडरिंग-भयावखि-रु-धम्म । पत्ता-तवसिरि-सरसइ-कठाहरण सिद्धतिय विक्सायहि । बड-मालुस्सय-तोरस-सहार, जहि तहिमि हि पणविय सहहिणं जिणु तिहुवण रायहिर जहिं सहहिं सेब-सोहगा-बिहार।
SR No.538014
Book TitleAnekant 1956 Book 14 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1956
Total Pages429
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size25 MB
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