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________________ किरण १०] वीरसेवान्दिर ट्रस्टकी दो मीटिंग २५५ --- इटीसे लिया जाय और पारा पाय-व्ययका हिमाब भी ५-यह कमेटो श्री नत्थूमनजीके स्तीफेको स्वीकार करती है वारसेवामन्दिर सोसाइटी ही रक्खे। और अब तक उनके द्वारा दिये गए सहयोग लिये ३ यह ट्रस्ट कमेटी प्रस्ताव करती है कि 'अनेकान्त' पत्रका धन्यवाद देती है। प्रकाशन वीरमवामन्दिर सोमाइटीकी प्रोरसे होता रहे। ममय न रहनेके कारण एजंडाकी अन्य बातोपर विचार हम ट्रस्ट कमेटीके प्राधीन जो पुस्तकादि फर्नीचर वगैरह नहीं किया गया और भागे मीटिंग १ अप्रैल चैत्र शुक्ला चल सम्पत्ति है वह मब वीरसेवामन्दिर मोसाइटीके के लिये रक्खी गई। -छोटेलाल जैन अध्यक्ष,देहली उपयोगके लिये दी जाती है। (२) ता. १ अप्रेल पन् १९५५ चैत्र शुक्ला स्मी को सुबह प्ठाता वीर सेवामन्दिर, ट्रस्ट के स्तीफेको अस्वीकार करती हाँ 81 बजे वीरसेवामन्दिर ट्रस्ट कमेटीको बैठक दिन लाल- उनमे निवेदन करती है कि अभी इस पदको चाप ही मन्दिरमें हुई, जिसमें निम्नलिलित दृस्टी उपस्थित थे। सुशोभित करें। आपकवत नियमोंके पालनके लिये समय १-बा. छोटेलाल जी (अध्यक्ष)२-६० जुगलकिशोरजी और शान प्राप्त हो इसके लिये कमेटी प्रबन्ध करेगी। मुख्तार, ३-डा. श्रीचन्दजी संगल ४-बा. जय भगवान प्रस्तावक-छाटलाल जन, समयक-नमाचन्द जन एडवोकेट ५-बा. नेमचन्द वकील, ६-जुगलकिशोरजी यह ट्रस्ट कमेटी प्रस्ताव करती है कि ट्रस्टको अञ्चल कागजी -जयवन्ती देवी ८-राजकृष्ण जैन। संपत्तिको देखभाल, किराया वसूली, मुकद्दमा वगैरहके लिये -प्रत्यक्षने माहू श्री शान्तिप्रमादजी जैन (मुपुत्र जनरल पावर श्राफ एटर्नी (मुख्तार प्रामके अधिकार) श्री स्वर्गीय साहू दीवानचन्दजी) कलकत्ता और श्रीनन्दलालजी महाराजप्रसाद जैन सुपुत्र स्वर्गीय ला• चमनलालजी सरमरावगी (सुपुत्र स्वर्गीय सेठ रामजीवन मरावगी) कलकत्ता सावा निवासी और पं० परमानन्दजी जैन शास्त्री सुपुत्र के नाम ट्रस्ट कभेटीके लिये रक्खे, जो मर्व सम्मतिसे स्वीकृत स्वर्गीय सिंघई दरयावसिंहजी देहली निवासीको दिया जाय । हुए। पं० श्रीजुगलकिशोरजी मुख्तारने आय-व्ययका हिसाब म्यनिगतरूपसे और सम्मिलित रूपसे-Separately जो उनके स्वयं के पास था, १ मई मन् १९५१से ३० जून and Jointly. सन् १९५४ तकका पेश किया, जिसमें अनेकान्तका हिसाब प्रस्तावक-जुगलकिशोर मुख्तार । म.-डा.श्रीचन्द संगल भी १ मई मन् १९५६ के (पिछली रोकड़ बाकी ) प्रोपनिग ६ यह ट्रस्ट कमेटी प्रस्ताव करती है कि सरसावाके वेलेन्पर्म प्रारम्भ करके ३० सन् १९५४ तकका शामिल था, निम्नलिखित किरायेदारोंके विरुद्ध किराया वसूली और इस पर यह तय हुआ कि आवश्यक हो तो बेदखलीके लिये तुरन्त दावा कर दिया २-यह ट्रस्ट कमेटी प्रस्ताव करती है कि पं0 जुगल जाय और इसके लिये आवश्यक कानूनी कार्रवाई करने के किशोरजी मुख्तारने जो हिसाब दिया है और जो प्राय-व्यय लिये श्री ६० जुगलकिशोरजी मुख्तारको उस वक्र तक वीरसावामन्दिर दहलोक प्राफिममें हुआ है उन दोनोंको अधिकार दिया जावे जब तक कि मुख्तारामनामा रजि. स्टर्ड नहीं हो जाता। सम्मिलितकर एक हिमाब बनाया जाय और उसे फिर १. सुरजा कहार, २. बनारसीदाम, ३. मंगतराम किरायेदार हिसाब परीक्षक जंचवाकर प्रकट कर दिया जाय । हिमाब प्रस्तावक-छोटेलाल जैन समर्थक-जयवन्ती देवी नियमानुसार लिग्ववाने के लिये अकाउन्टेन्टकी नियुक्ति ला. ७ यह ट्रस्ट कमेटी निम्नलिम्वित पदाधिकारियों का जुगलकिशोर जी कागजोके परामर्शमे एक मासके अन्दर चुनाव करती है। करली जाय। अधिष्ठाना-पं. जुगलकिशोर जी मुख्तार, परमावा प्रस्तावक-नमीचन्द जैन, समर्थक-जयभगवान जैन अध्यक्ष-बा० छोटेलाल जी मरावगी कलकत्ता । ३-यह ट्रस्ट कमेटी श्रीवीरेन्द्रकुमारजी जैन चाटर्ड कोषाध्यक्ष-श्री जुगलकिशोर जी कागजी, देहली एकाउन्टेन्ट कानपुरको हिसाब परीक्षक नियुक्र करती है। मंत्री-श्री जयभगवानजी वकील, पानीपत प्रस्तावक-डा०श्रीचन्द संगल । ममर्थक-राजकृष्ण जैन । प्रस्तावक-नेमीचन्द जैन समर्थक-राजकृष्ण जैन । यह दूस्ट कमेटी ६० जुगलकिशोर जी मुख्तार अधि- नोट-उपरोक सभी प्रस्ताव सर्व सम्मतिसे पाम हुए।
SR No.538013
Book TitleAnekant 1955 Book 13 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1955
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size24 MB
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