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अनेकान्त
[वर्ण १३
जो जीव दम्ब तच्चस्थभासि, जो सदासहहं कुणई रासि। णंदउ णंदणु सहुं भायरेहि, पारम्मता उपहसिय मणेहिं । गुण्यास भाउ संवग्गु भेइ, जो वग्गु वाग मूल जि मुणे।। णंदउ लहुभायस सहुं सुएण, परमत्थु जेण बुज्मिड मणेण । जो सख असंख अणंत जाणि, जो भब्वाभम्वहं कय पमाणि। [दउ अवरुवि जिणसमयलीणु,खउजाउ दुठु मिच्छत्सु होणु जो घण घण मूलहं मुण भेउ,सो सोहिवि पयडउ गंथुएउ। णंदउ जो पयडह पासचित्तु प्रातम मारंकिउ गुण विचितु। ब्रहण मुणइंती मज्मुत्थ होउ प्रमुणंतह दोसु म मज्झ देउ। जा सुरगिरि रविससि महिपोहि, ताचडविह संघहंजणंहिं बोहि
प्रसुवालु भाइ मई कयउ राउ, जिणु केवललोणुणु मज्मुदेउ जिणसमय पहुत्तणु गुणगणकित्तणुप्रवमविमहिविन्थारइ। किंचोज जासुघरिज हवइ । भोकि सेन्य रहो तंण देह । हउं तसु पयवंदाम अप्पर जिंदमि जो सम्मत्तुद्धारह ॥६॥ धत्तासो णंदउजियु सिरिपासणाहु. उबसग्गविणासणु परमसाहुँ जा जिणमुहणिग्गय सग्गा सुमंगम गिरतइ लोश हो सारो। णंदउ परमागमु णदिसंधु, यंदउपुहवीमरु अरिदुलंधु । जंकित होणाहिउ काइमि माहिउ तमहु खमउ भंडारो ॥६॥ णंदउ पउरमणु अहिंमभाउ, बुहयग्णु सज्जणु अमुणियकुभाउ इय पासणाह चरिए प्रायमसारे मुबग्ग चहुभरिए बुह णंदडामरि वाम्ह हो तणउवसु,कील उणियकुलिजिमसेरहि हंसु अमवाल विरइए संघाहिप सोरिणगस्स करणाहरण सिरिपास णंदउ जिण धम्म णिबद्धराउ, लोणायक सुध हरिबम्हताउ। णाह शिवाण गमणोणाम तेरहमो परिच्छेो सम्मतो ॥१३॥
वीरसेवामन्दिर ट्रस्टकी दो मीटिंग
८२३ शेयर, क्यूम्यूलेटिव शेयर और साउथ विहार सुगर सा. २० माच मन् १९५५ को प्रातःकाल ॥ बजे मिलके आर्डनरी १० शेयर और डिफर्ड १० शेयरोंकी ट्रान्सस्थानीय दि. जैन लालमन्दिर में श्री वीरसंवामन्दिर दृस्टकी फरडीड्स पर हस्ताक्षर करके मुझे दे दिये हैं। मीटिंग श्री बाबू छोटेलालजी कलकत्ताकी अध्यक्षतामें हुई,
गत मीटिंगमें जो सरसावाकी दुकानें बनाने बावत दो जिसमें निम्नलिखित ट्रस्टी उपस्थित थे-बाबू छोटेलाल जी हजार रुपये स्वीकृत हुए थे घे दुकानें अभीतक नहीं बनाई कलकत्ता (अध्यक्ष) पंडित जुगलकिशोरजी मुख्तार. वा. जा सकी हैं। जयभगवानजी एडवोकेट (पानीपत), बा० नेमचन्दजी वकील आज की मीटिंगमें श्री जयभगवानजी वकीलके सुझाव (महारनपुर), ला. राजकृष्णजी, ला. जुगलकिशोर जी, पर कि वीरसेवामन्दिर ट्रस्टको समाप्तकर उसकी सारी संपत्ति बापू जिनेन्द्रकिशोर जी और श्रीमती जयवन्तीदेवी। वीरसेवामन्दिर सोसाइटीके सुपुर्द कर दी जाय, इस पर
भाजकी मीटिंगको बुलाने वाला नोटिस व एजहा पढ़कर काफी वाद-विवाद हुआ और समय हो जानेसे मीटिंग दुपहर सुनाया गया । एजंडा- ट्रस्टादिका हिसाब, २ पदा- के लिये स्थगित हो गई, तथा २॥ बजे पुनः प्रारम्भ हुई, धिकारियोंका चुनाव, ३ ट्रस्टको वीरसेवामन्दिर सोसाइटीके उसमें पर्याप्त विचारके बाद ट्रस्टको रखना स्थिर हुना। सुपुर्द करनेका विद्यार, ४ सोसाइटोके मेम्बरोंकी अभिवृद्धि, मीटिंगमें निम्नलिखित प्रस्ताव सर्वसम्मतिसे पास हुए। १ वीरसेवामन्दिर बिल्डिंगके निर्माण तथा उद्घाटनका १-यह ट्रस्ट कमेटी प्रस्ताव करती है कि ट्रस्टके उद्देश्योंकी विचार, ६. अन्य कार्य जिसे समय पर पेश करना जरूरी पूर्ति वीरसेवामन्दिर सोसाइटीके द्वारा कराई जाय और समझा जाय।
इसके लिये उक्क सोसाइटीको पूर्ण सहयोग दिया जाय । प्रथम ही गत ता० २१-२-५७ की कार्रवाई पढकर २-यह ट्रस्ट कमेटी प्रस्ताव करती है कि श्री जुगलसुनाई गई जो सर्व सम्मतिसं पास हुई।
!किशोरजी मुख्तारके द्वारा ट्रस्टको दी गई सम्पत्तिकी अध्यक्षने सूचित किया कि श्रीवीरसेवामन्दिर सोसा- आय वीरसेवामन्दिर सोसाइटीको प्राप्त होते ही दी इटी ता० २१-७.१५ को रजिस्टर्ड हो चुकी है और श्री. जाया करे और इस सम्पत्तिकी रक्षा तथा स्थितिके लिये जुगलकिशोरखी मुख्तारने देहली क्वाथ मिलके चारनरी "जितना खर्च आवश्यक हो वह वीरसेवामन्दिर सोसा