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________________ किरण २१-१३] वीरसेवामन्दिर सोसाइटीकी मीटिंग [३१५ लालजी ठेकेदार, ला० श्यामलालजी, वैद्य महावीरप्रसादजी। पूरा किया जाय, और उसके पूर्ण होने तक नये काम हाथमें प्र.बाबू छोटेलालजी अध्यक्ष नहीं लिये जाय । इन दो प्रन्थों में पहले जैन लक्षणावलीका ( सर्वसम्मतिस पास कार्य हाथमें लिया जाय और उसके लिये एक विद्वानकी २. यह कार्यकारिणी समिति प्रस्ताव करती है कि नियुक्रिका भार पं. जुगलकिशोरजी मुख्तारको दिया जाय । धारा ६(ख) के अनुसार डा.पु० एन० उपाध्ये कोल्हापुर प्र., बा.छोटेलाल जी डा. हीरालाल जी जैन नागपुर, पं० अजित कुमारजी शास्त्री म०, डा. ए. एन० उपाध्ये दहली, ता. पन्नालालजीजैन अप्रवाल दहली मम्मानित नोट-डा. ए. एन. उपाध्येने बह राय दी कि एच. सदस्य बनाये जाय। टी. वेलंकर द्वारा सम्पादित जिन रनकोशक प्रकाशित -प. अध्यक्ष (मर्व सम्मतिसे पास), पृष्ठोंमें कोरे कागज लगाकर प्रन्योंके नये परिचयको संवर्धित ३. यह समिति प्रस्ताव करती है कि वार-सवामन्दिर- किया जाय। की स्थावर जंगम सम्पत्तिकी पूरी लिस्ट ट्रस्टस लंकर उसक ७. यह कार्यकारिणी समिति प्रस्ताव करती है कि अनुसार सम्पत्तिको सम्हाल कर रसीद ट्रस्टक अधिष्ठाताको वारसंत्रा मन्दिरके प्रकाशित ग्रन्योंकी एक सूची डा. ए. दे दी जाय। एन० उपाध्येसे प्रस्तुत करवा कर और उसे छपवाकर प्र. जयभगवान वकील, पानीपत भारतके समस्त विश्व विद्यालय, कालेजों और पुस्तकालयोंको स.नमचन्द्र वकील, सहारनपुर भेज दी जाय । और पत्रों में इन पुस्तकोंका विज्ञापन दिया (मर्व सम्मतिसे पास) जाय । बड़े-बड़े मन्दिरों, सेंठों और जैन पुस्तकालयांकी . यह कार्यकारिणी समिति प्रस्ताव करती है किालिट भेज दी जाया करे । और प्रन्यांका विभिन्न का एक सूची तैयार करके पयूषचपके पूर्व अपने प्रकाशनोंकी अनेकान्त पत्रका प्रकाशन अनुसंधानकी दृष्टिसे हो, भले ही बना कर उन्हें बेचनेका प्रयन्न किया जाय। उसके अंक वर्षमें १२ में कम निकल । इमा लिए पोस्टल ! प्र. जयभगवान वकील विभागस भी पूछा जाय कि कम अंक निकलनेस पोस्टेजमें म. जुगलकिशोर मुख्तार क्या फर्क पड़ेगा । अनेकान्तको बड़े पुस्तकालयों (सर्वसम्मतिसे पाम) और विश्वविद्यालयों में निःशुल्क भेजा जाय, तथा : जो इतिहास और माहित्यस मन्बन्धित पत्रिकाएँ निकलती हैं स्वीकार करती है ८. यह कार्यकारिणी समिति निम्नलिग्वित बजटको उनके माथ विनिमय किया जाय । श्रार अमिट इनिहासके विद्वानों को भी नि:शुल्क भेजा जाय । लग्यकोंकी सूची बना पायकर उनमें निवेदन किया जाय । । १०.) किरायेसे मरमावाकी इमारतास। प्रस्तावक, डा. ए. एन. उपाध्ये १०००) अनेकान्तकं ग्राहकोंस । समर्थक, बा० नमीचन्द जी (मर्व मम्मतिस) ७५०) पुस्तक विक्रयसे । ५. यह कार्यकारिणी ममिनि प्रस्ताव करनी है कि र २०००) डिवीडेन्ड से। ६० परमानन्द जी द्वारा संकलित अपभ्रंशका प्रशस्ति मंग्रह ४६५०) अनेकान्तमें क्रमशः प्रकाशित किया जाय । प्र०, इ. ए. एन. उपाध्य पं. परमानन्दजी २१..) स., बा. जयभगवान वकील पं. जयकुमारजी १००) (पर्व सम्मतिसे पाम) हरस्वरूप ६००) १. यह कार्य कारिणी समिति प्रस्ताव करती है कि पं. ३७८०) जुगलकिशोर जी द्वारा अनेक वर्षोंये संकलित किया हुमा अनेकान्तका कागज छपाई वगैरह जैन ऐतिहासिक व्यक्तिकोश और जैन लक्षणावलीको अविलंब विजली
SR No.538013
Book TitleAnekant 1955 Book 13 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1955
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size24 MB
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