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________________ १२६ 7 'सं० १४७२ वर्षे फाल्गुनवादी २ शुके श्रीमुलगंधे बदज्ञातीय उत्तरेश्वर गोत्रे ४० असपाल भा० स्थायी सुत आज विजद, धजद भार्या मेपूकी जा भा० यानू श्री पारवनाथ विग्यं कारितं मयसे श्रीपद्ममंदि उपदेशेन । श्राजद अनेकान्त मनावर सं० १४७२ वर्षे फाल्गुन वदि १ शुक्रवासरे हुंबड ज्ञातीय श्रेष्ठी मलखमा भार्या सलखमादे सुत श्रे० उदयसी भार्या सागरादे पुत्र थापा भार्या साथी पूर्वज श्रेषोऽश्री शान्तिनाथत्रियं कारितं श्रीमूलसंधे मुनिपद्मनन्दि शिष्य नेमचन्द । 'सम्वत् १४८० वर्षे माघवदि ५ गुरौ श्रीमूलम घे नन्दि सरस्वति कुन्दकुन्दाचार्य सन्ताने भट्टारक श्री पद्मनन्दी उत्पई श्री. उपदेशात् शाति ० नाना भा० हारिल सु० तरमा भा० सुदव सु० पुराभात् अर्जुन भा० मही पद्मप्रभ प्रतिमा कारापिता । घे मुनि कान्तिमागर डायरीसे 'सम्वत् १४६० वैशाख सुदिशनी श्रीलय नंदि सबस्कारगो सरस्वतीमध्ये श्री कुन्दकुन्दाचार्यान्यये भट्टारक श्री पद्मनन्दिदेवास्तत्पट्टे भ० शुभचन्द्रस्तस्य भ्राता जगत्रय विख्यात मुनि श्री सकलकीर्ति उपदेशात जातीय डा० नरबद भार्या बालयोः दुप्राः डा० देवपाल अर्जुन भीमा कृपा तथा चपाका श्री आदिनाथ प्रतिमेयं कारिता' 'म १७२० मृस श्रीसीता शाह कर्णा भार्या भोजी सुता सोमा आश्री मोदी भार्या पायी आदिनाथं प्रणमति ० १ [सं०] १४६५ वर्षे देशासवदी मोमे सूरत श्री सूजसचे म० श्रीपद्मनन्दित भली म जातीय .....| स ं० १४६० वर्षे माघ वदि १२ गुरौ भ० श्रीसकलकीर्तिदेव हम दोषी शेषश्रेष्ठी अति 1 [ वर्ष १३ सं० १५२५ वर्षे फाल्गुण सुदि ७ शनौ श्रीमूलसंघे सरस्वती गच्छे बलाकारगये श्री कुन्दकुन्दाचार्यान्वये ४० श्रीपद्मनंदिदेवास्तत्य भ० श्रीपद्मनंदिदेवास्तत्पट्टे भ० श्री सकलकीर्तिदेवास्तत्पह म० श्री विमलेन्द्रकीर्तिगुरुपदेशात श्री शान्तिनाथ, हुंबढ ज्ञातीय साह वाटू भार्या ऊमल सुत सा०कान्हा भा० सुमति सुत लम्बराज भा० भजी, भ्रा० जैसङ्ग, भा० जसमादे भ्रा० गांगेज भा० पद्मा मुत श्रीराज ... नित्यं प्रणमति । - जैन लेख संग्रह, भा० १. पृ० १६३ झालरा पाटन सं० १४८७ श्राषाद वदि ६ श्री मृलसधे भट्टारक रुकलकीर्तिती गांधी गोविन्दकी माता श्रीमाला प्रतिष्ठित । यह लेख गिरनारकी वाटते हुए यूके दिगम्बर मंदिरकी मूर्तिपरसे नीट किया था । [सं०] १४६६ वर्षे वैशाख वदी १ गुरुवारे काष्टा गये हुंड शाख्यं सं० जगपाल भा० संति सुन नरपालेन श्रीपार्श्वनाथ विम्बं करापितं । मं० १४३२ वर्षे चैत्र वदी १ श्रीमूलस घे भ० श्रीपद्मनन्दि भ० श्रीसकलकीन्युपदेशात् हुंबडज्ञातीय श्रे० चांपा भार्या सारू सुन लग्बमसी भी० लगु श्रीशान्तिनाथं नित्यं प्रणमति । संवत् १२२७ वैशाल गुदी १२ म० देवेन्द्रकीर्ति स्वपट्टे भ० विद्यानन्द हम ज्ञातीय श्रेष्ठीचांपा......" | २०१२१३ वर्षे देशाख सुदी १० बुधे श्रीमूलस पे प्राचार्य श्रीविद्यानन्दी गुरुपदेशात् बदज्ञातीय दोशी दुगर भा० मोनी देवलदे सुत दोशी शंखा भार्या वासुदवी fao ० भा० भटक्का तेन श्री जिनबिम्बं कारिता । (यह लेख पंच परमेष्टीकी धातुप्रतिमाका है ) सम्वत १५४४ वर्षे वैशाख सुदी ३ सोमे श्री मूलस घे भ० श्री भुवनकीर्तिस्तत्पट्टे भ० श्री ज्ञानभूषण गुरुपदेशात् हुबह शाह रामा भार्या कमीत कर्णा भार्या साथीमुन मना एतं नित्यं प्रणमंति श्री महावीर जिनम् । सन् १९१८ वर्षे श्रीमूलस आचार्य श्री विद्यानंदी गुरोपदेशान् हुंबड वंशे दोशी साइया भार्या श्रहीवदे तयोः पुत्राः हुया विम्बं रत्नत्रयं सदा प्रथमंति - सूरत (यह रत्नत्रयका मन्त्र है ) संवत १४३३ वर्षे वैशाम्य वदो २ सोमे श्री सुल सरस्वतिगच्छे मुनि देवेन्द्रकीर्तितत्शिष्य श्री विद्यानन्दी देवगुरूपदेशात् श्री हुंबडवंश शाह खेता भार्या रूढ़ी तो पुत्र शाह राजा भाषां गौरी द्वितीय गयो त्योः सुत अामद श्रदावदां राजा भानी राणी श्रेया चतुर्विशंतिका करापिता ।' ( यह चौबोसी मूर्ति धातु की है। ) संवत् १६२१ वर्षे माधयदि २ सोमे श्री मूलचे श्री भट्टारक कीर्तिस्तत्पद्दे भट्टारक श्री वादिभूषण गुरूपदेशात् ईडर वास्तम्य मद दोशी सा भार्या लक्ष्मी सुना बाई मिला श्री नेमिनाथं प्रतिष्ठितं नियं प्रणमति ।
SR No.538013
Book TitleAnekant 1955 Book 13 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1955
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size24 MB
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