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________________ हुंबड या हूमडवंश और उसके महत्वपूर्ण कार्य [ १२७ सं०१६६१ वर्षे वैशावयदि ५ बुधे शाके १५७१ भ. श्री २ सकलकीर्तिस्लप भ० पभनन्दी तप? भ. प्रवर्तमाने मूलसंघे सरस्वतिगच्छे बलात्कारगणे श्री कुन्दकुन्दा- सुरेन्द्रकीर्ति नत्प? भ. श्री क्षेमकीर्ति गुरुपदेशात् सरथवास चार्यान्वये भ० सकलकीर्तितन्पट्ट श्री भुवनकीर्ति तत्पभ०श्री हुंबडज्ञाती म दिगलदास म. माणक जी म. नेमिदास ज्ञानभूषण तत्पर्ट भ. विजयकीर्ति नप भ. श्री शुभचंद्रदेव स अनन्तदाम स मामृदाम सं. रतन जी एते श्री तत्प? सुमतिकोति भ७ श्री गुणकार्ति तत्प भ. श्रीभूषण शान्तिनाथं निन्यं प्रणमति । तत्प? भ० रामकीर्ति तत्पट्ट भ. पद्मनंदि गुरुउपदेशात् शाह (द.नों लेख तीर्थ यात्रामें क्सरियाजीके मन्दिरसे नोट श्री शाहजहाँ विजयराज्ये श्री गुर्जरदेश अहमदाबाद नगरे किए गए थे। इस जातिक और भी कितने ही लेख मेरे श्री हुंबड ज्ञातीय वृहच्छाखीय वाग्वरदेशान्तरीय नगर नौतन पाम हैं. पर उन्हें लग्ब वृद्धिक भयसे छोड़ा जाना है। सुसाटोद्धरणनाज्ञा मं० सोजा भा० सं० लक सुत ब्रह्मच बत पुस्तक-प्रशस्ति पालनेन पवित्रीकृत निजांगमप्तक्षेत्रारोपि स्वकीयविन मं० अथास्नि गुजरो देशो विख्यातो भुवनत्रये। लक्खण सं० भा० ललिताद तयोः मुत निजकुल कमल धर्मचक्रभृतां नीर्धनाढय मानवैरपि ॥१॥ दिवाशरनकमूर्यावतार बानगुणेन नृपति श्रेयांमसमः श्री विद्यापुरं पुर तत्र विद्याविभवसंभवम् । जिनबिंब प्रतिष्ठाता यात्रादिकरणोत्सुक चित्तमघपनि श्री पद्मःशर्करयाख्यानः कुल हुंबडमंज्ञक ॥ २ ॥ रन्नगये श्री भा० सं० घबीरूपादे द्वितीया भा० सं० मोहणदे तम्मिन वंश दादनामा प्रसिद्धी तृतीय भार्या नवरङ्गद द्विनीय सुत सी गमजी भा. म. भ्राता जातो निर्मलाख्यस्तदीयः । ममताद.............। सम्बत् १८६३ वर्षे माघ सुदि २ वार चन्द्रवासरे श्री सर्वज्ञेभ्यो यो ददौ सुप्रतिष्ठां मृलम'चे बलात्कारगणे सरस्वति गन् कुन्दकन्दाचार्यान्वये तंदातारं को भवेत्स्तोतुमीशः ॥ ३॥ भ. श्री पद्मननदिदवास्तपदे भ० श्रीबेन्द्रकीर्तिस्तन्प भ. दादस्य पत्नी भुवि मापलाच्या विद्यानन्दि तत्पट्ट भ० मल्लिभूपण तत्पट्ट भ. लक्ष्मीचन्द्र शीलाम्बुराशेः शुचिचन्द्र रेग्बा। ताप? भ. श्री वीरचन्द्र तापट्ट भ. श्री ज्ञानभूषण तत्प? तन्नंदनश्चाहनि देवि भता भ. प्रभाचन्द्र नन्पर्ट भ० वादिचन्द्र तत्पर्ट भ० महीचन्द्र देपाल नामा महिमेक धामा ॥४॥ तत्पर्ट भ• मेरुचन्द्र नन्पह भ० जिनचन्द्र नन्प? भ. विद्या ताभ्यां प्रमूतो नयनाभिरामो नन्दि तत्पर्ट भ. श्री विद्यानन्दि तत्पर्ट भ० श्री देवेन्द्र कार्ति झंझाकनामा तनयो विनीतः । तत्प भ. श्री विद्याभूषण उपदेशन संघवी धनजी तन्त्र श्री जैनधर्मेण पवित्रदेहो नन्ददाम त-पुत्र गुलाबचन्द्र नन्भार्या स्तुशलवउ प्रतिष्टतं ज्ञाति दानेन लक्ष्मी सफ्लां करोति ।। ५ हुबड विरयजुवर्राज भ. श्री धर्मचन्द्र प्रणमनि । हामू-जामनमजकऽस्य सुभगे भार्ये भवेना द्वये, ये दोनों लेख तीर्थ यात्रा के समय शत्रुजयके दिगम्बर मिथ्यवद्रमदाहपावकशिखे सद्धर्ममार्गे रते । मन्दिरकी मूर्तियों परसे नोट किए गये हैं। मागावतरक्षणेक निपुणे रत्नत्रयोद्भासक, १-सम्बत् १७६४ चैत्रयदि ५ वार चंद्र श्रीमत रुद्रस्येव नभीनदी-गिरिमुते लावण्य लीलामुते ।। ६ काप्टासंघे नन्दि तटगच्छे विद्यागणे भट्टारकश्री। श्री कुंदकुंदस्य बभूग वंशे श्रीरामचन्द्रः प्रथिनःप्रभावः । ___ २-रामसेनान्वये तदनुक्रमेण भट्टारक श्रीरजयकार्नि गिष्यम्नदीय शुभकीर्तिनामा तपोऽङ्गनावक्षसिहारभूतः तदनुक्रमेण भट्टारक सुमतिकीर्ति तत् । प्रधानत संप्रति तस्य पट्टविद्याप्रभावेण विशालकीर्ति : ३-अनुक्रमण हुँबड ज्ञातिय बुध (बुद्धश्वर) गोत्र शिप्यैरनकै रुपसेव्यमानःएकांतवादाद्रि विनाशवनम् । संघवी श्री ५ सायजी भार्या सिंदूरद धर्माप्टे श्री शान्तिनाथ जयति विजयमिहः श्री विशालस्य शिष्यो, विम्बं । ४-प्राचार्य श्री प्रतापकीर्ति स्वहस्तेन प्रतिष्ठितम्। जिनगुणमणिमाला यम्य कंटे सदैव । -संवत् १७४६ वर्षे फागुणसुदि ५ सोमे श्री मूल- अमित महिमगशे धर्मनाथस्य कण्ठे, सघे सरस्वतिगच्छे बलाकारगणे श्री कुन्दकुन्दाच यन्वये निजमकृत निमित्तं तेन तस्मै वितीर्णम ॥
SR No.538013
Book TitleAnekant 1955 Book 13 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1955
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size24 MB
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