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________________ श्रीवीर - जिन-पूजाष्टक ( जुगल किशोर युगवीर ) वीर-वन्दना शुद्धि-शक्तिकी पराकाष्ठा, को अतुलित-प्रशांति के साथ | पा, सतीर्थ प्रवृत्त किया जिन, नम् वीरप्रभु साऽञ्जलि -माथ ॥ १ ॥ पूजन-प्रतिज्ञा आज वीरप्रभु पूजा करने, श्राया हूँ तज कर सब काम; मृति सातिशय अनुपम तेरी, राजत है सम्मुख अभिराम । उसके द्वारा ध्यान लगाकर, आराधू में अपना राम आओ तिष्ठ हृद् मन्दिर में, खुला द्वार है हे गुण धाम ॥२॥ पूजाऽप्रक केवल - ज्योति - स्वरूप, त्रिभुवन नायक हैं ॥२॥ गुण विकास बलवान, अक्षय-पद प्रगटे । केवल- ज्योति स्वरूप, त्रिभुवन- नायक हैं ||३|| जल मलहारी विख्यात, अन्तर्मल न हरे; हो वह समता-रस प्राप्त, कर्म-कलंक धुले । समता-रस-घर श्रीवीर, मंगल-दायक हैं; जय केवल - ज्योति स्वरूप, त्रिभुवन-नायक हैं ||१|| चन्दन शीतल पर नाहिं अन्तर्दा हरे; प्रगटे अकषाय-स्वभाव, भव- आताप टरे । भव-दुख-हारी श्रीवीर, मंगल-दायक हैं; जय क्षत सेवत दिन-रात, अक्षय गुण न करें; हो अक्षय-गुण प्राप्त सुवीर, मंगल-दायक हैं; जय प्रभु, कुमुम-शरों की मार, मनको व्यथित करे; हो अनुभव-शक्ति प्रदीप्त, मन्मथ दूर भगे । मन्मथ - विजयी जिन वीर, मगल दायक हैं: जय केवल ज्योति स्वरूप, त्रिभुवन-नायक हैं ||४|| नानाविध खाद्य पदार्थ, खाते हम हारे; नहिं क्षुधा हुई निर्मूल आए तुम द्वारे | लुत्त-नाशक श्रोवीर, मंगल दायक हैं; जय केवल- ज्योति स्वरूप, त्रिभुवन- नायक हैं ||५|| दीपक तम हर सुप्रसिद्ध, अन्तर्तम न हरे में खाजू आत्म-स्वरूप, ज्ञान- शिखा प्रगटे । अज्ञान तिमिर हर वीर, मंगल-दायक हैं; जय केवल ज्योति-स्वरूप, त्रिभुवन-नायक हैं ||६|| धूप, हि निज काज सरे; कर्मेन्धन - दाहन-हेत, योगाऽनल प्रजरे । योगेश्वर वीर सुधीर, मंगल-दायक हैं; जय केवल- ज्योति स्वरूप, त्रिभुवन-नायक हैं | ७|| फल पाए भोगे खूब, पर परतन्त्र रहे; हो शिघ्र फल प्राप्ति अनूप, निज स्वातन्त्र्य लहें । शिव-मय स्वतन्त्र श्रीवीर, मंगल-दायक हैं; जय केवल-ज्योति स्वरूप, त्रिभुवन-नायक हैं । इन जल-फला दिसे नाथ, पूजत युग बीते; नहिं हुए विमल 'युगवीर', अब तुम ढिंग आए । मल-दोष-रहित श्रीवीर, मंगल-दायक हैं; जय केवल - ज्योति - स्वरूप, त्रिभुवन नायक हैं ॥६॥ आशीर्वाद मंगलमय जिन वीरको, जो ध्यावें युग-वीर । सब दुख -संकट पार कर, लहें भवोदधि तीर ॥१॥ - 3-100-KHES
SR No.538013
Book TitleAnekant 1955 Book 13 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1955
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size24 MB
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