SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 216
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भईमः SHREE तत्व-सघात विश्व तत्व-प्रकाशक वार्षिक मूल्य ६) एक किरण का मूल्य 1) POS नीतिविरोधचसीलोकव्यवहारवर्तकः सम्यक् । परमागमस्यबीज भुवनेकगुरुर्जयत्यनेकान्तः। % 3D वर्ष १३ वीरसेवामन्दिर, दरियागंज, देहली अक्तूबर किरण कार्तिक वीर नि० संवत २४८०, वि. संवत २०११ • समन्तभद्र-भारती देवागम नास्त्विं प्रतिषेध्येनाऽविनामाव्येक धर्मिणि। और निषेधरूप नास्तित्वधर्म दोनोंको अपना विषय किए विशेषणत्वाद्वैधम्य यथाऽमेद-विवच्या ॥१॥ रहता है। क्योंकि वह शब्दका विषय होता है-जो जो शब्दका विषय होता है वह सब विशेषण विधेय-प्रतिषेध्या(इसी तरह) एक धर्ममें नास्तित्व धर्म अपने प्रति त्मक हुआ करता है । जैसेकि साध्यका जो धर्म (एक) घेध्य (अस्तित्व) धर्म के साथ अविनाभावी है-अस्तित्व विवक्षा से हेतु (माधन) रूप होता है वह (दुसरी विवधर्मके बिना वह नहीं बनता-क्योंकि वह विशेषण है- क्षासे अहंतु (असाधन) रूप भी होता है। उदाहरणके जो विशेषण होता है वह अपने प्रतिषेध्य (प्रतिपक्ष) धमके लिये माध्य जब अग्निमान है तो धूम उसका साधन-अनुसाथ अविनाभावी होता है-जैसे कि (हेतु प्रयोगमें) मान-द्वारा उसे सिद्ध करने में समर्थ होता है और साध्य वैधर्म्य (व्यतिरेक हेतु) अभेद-विवक्षा (माधर्म्य या अन्वय जब जलवान् है तो धूम उसका अमाधन-अनुमान-द्वारा हेतु) के साथ अविनाभाव सम्बन्धको लिए रहता है उसे सिद्ध करनेमें श्रममर्थ-होता है। इस तरह धूममें जिस अन्बय (साधर्म्य) के विना व्यतिरेक (वैधयं) और व्यतिरेक प्रकार हेतुत्व और अहेतुन्व दोनों धर्म है उसी प्रकार जो कोई के बिना अन्वय घटित ही नहीं होता। भी शब्दगोचर विशेष्य हैं वह सब अस्तित्व और नास्तित्व विधेयप्रतिषेध्यात्मा विशेष्यः शब्दगोचरः। दोनों धर्मोको साथमें लिए हुए होता है।' साध्यधर्मो यथा हेतुरहेतुश्चाप्यपेचया ॥१६॥ शेष भंगाश्च नेतव्या यथोक्त-नय-योगतः। 'नो विशेष ( धर्मी या पक्ष) होता है वह विधेय न च कश्चिद्विरोधोऽस्ति मुनीन्द्र ! तव शासने।२०। . तथा प्रतिषेध्य-स्वरूप होता है-विधिरूप मस्तित्व धर्म- 'शेष भंग जो प्रवक्तव्य, अस्त्यवक्तव्य, नास्त्यवक्तव्य
SR No.538013
Book TitleAnekant 1955 Book 13 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1955
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy