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जन्म-जयन्ती जैन समाजके सुप्रसिद्ध ऐतिहासिक विद्वान प्राचार्य जुगलकिशोर जी मुख्तार, अपने जीवन के ७७ वर्षको पूरा कर, मंगशिर शुक्ला एकादशी दिन सोमवार ता० ६ दिसम्बर को ७८वे वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। हमारी हार्दिक कामना है कि मुख्तार साहच शतवर्ष जीवी हो ।
परमानन्द जैन
समाधितन्त्र और इष्टोपदेश वीरसेवामन्दिरसे प्रकाशित जिस 'समाधितन्त्र' ग्रन्थके लिये जनता असेंसे लालायित थी वह प्रन्थ इष्टोपदेशके साथ इसी सितम्बर महीनेमें प्रकाशित हो चुका है । आचार्य पूज्यपादकी ये दोनों ही आध्यात्मिक कृतियाँ अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं । दोनों ग्रन्थ संस्कृत टीकाओं और पं० परमानन्दजी शास्त्रीके हिन्दी अनुवाद तथा मुख्तार जुगलकिशोरजीकी खोजपूर्ण प्रस्तावनाके साथ प्रकाशित हो चुका है। अध्यात्म प्रेमियों और स्वाध्याम प्रेमियों के लिये यह ग्रन्थ पठनीय है। ३५० पेजकी सजिन्द प्रतिका अन्य ३) रुपया है।
अनेकान्तको सहायताके सात माग
(1) अनेकान्तके 'संरक्षक'-तथा 'सहायक' बनना और बनाना । (२) स्वयं अनेकान्तके ग्राहक बनना तथा दूसरों को बनाना। (३)विवाह-शादी भादि दानके अवसरों पर अनेकान्तको अच्छी सहायता भेजना तथा भिजवाना। (४) अपनी ओर से दूसरोंको अनेकान्त भंट-स्वरूकर अथवा फ्री भिजवाना; जैसे विद्या-संस्थाओं लायब रिया,
सभा-सांसाइटियों और जैन-बजैन विद्वानी।। (५) विद्यार्थियों आदिको अनेकान्त अर्ध मूल्यमें नेके लिये २५), २०) श्रादिकी महायता भंजना । २५ की
सहायतामें १० को अनेकान्त अर्धमूल्यमें भेजा जा सकेगा। (६) अनेकान्तके ग्राहकाको अच्छे ग्रन्थ उपहारमेंदना तथा दिलाना । (७) लोकहितकी साधनामे सहायक अच्छे सुन्दर लेख लिखकर भेजना तथा चित्रादि सामग्रीको प्रकाशनार्थ जुटाना ।
सहायतादि भेजने तथा पत्रव्यवहारका पता:नोट-दस ग्राहक बनानेवाले सहायकोंको
मैनेजर 'अनेकान्त' । 'अनेकान्त' एक वर्ष तक भेंटस्वरूप भेजा जायगा।
वीरसेवामन्दिर, १, दरियागंज, देहली। समन्तभद्र विचार-दीपिका, सेवाधर्म और परिग्रहका प्रायश्चित इन तीनों पुस्तकोंमें से प्रथम पुस्तक बाँटनेके लिये १४) सैकड़ा और दूसरी दोनों पुस्तकें ७) सैकड़ा पर दी जाती हैं।
मैनेजर-वीरसेवामन्दिर