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एक अमेरिकन विद्वान्की खोज
पृथ्वी गोल नहीं चपटी है
SH कारण कन्दुका
कटिबंधके निकलवार होती हैं।
हम पृथ्वीकी गोलाईमे इतने अधिक परिचित हो गये हैं दक्षिणी ध्र वमें भी होती। "वास्तवमें उत्तरी ध्रवके इर्दगिर्द कि इतके विरुद्ध कही जाने वाली किसी भी बात पर हम २०० मीलके भीतर कई प्रकारकी वनस्पतियां पाई गई हैं। सहसा विश्वास नहीं कर सकते । इस कारण कन्दुकाकार ग्रीनलैंड, आइसलैंड, साइबेरिया आदि उत्तरी शीतपृथ्वीको चपटी कहकर एक अर्वाचीन सिद्धांतने सचमुच हमें कटिबंध के निकटस्थ प्रदेशमें भालू , जई, मटर, जौ, तथा
आश्चर्य में डाल दिया है। हो सकता है, भविष्यमें किसी चनेकी फसल तैयार होती है। इसके विपरीत दक्षिणमें ७० दिन पृथ्वी 'रकाबी' श्राकारकी बताई जाने लगे। "श्री जे. अक्षांश पर पोरकेनी, शेटलैंण्ड मावि टापुत्रोंपर एक भी मेकडोनाल्ड नामक अमेरिकन वैज्ञानिक" ने अपने एक लेख- जीव नहीं पाया जाता। में अनेक दृढ प्रमाण देकर यह सिद्ध करनेका प्रयत्न किया है यदि पृथ्वी गोल होतो तो उत्तम जिस अक्षांश पर कि पृथ्वी नारंगीके समान गोल नहीं है।
जितने समय तक उषःकाल रहता है। उतने ही अक्षांश पर ___उसने कहा है कि यदि पृथ्वीको अन्य ग्रहोंकी भांति एक दक्षिण में भी उतनी ही देर उषःकाल रहता । किन्तु वास्तवग्रह माना जाय, तो निश्चय ही जो सिद्धान्त दूसरे नक्षत्रों में ऐसा नहीं है। उत्तरमें ४० अक्षांस पर ६० मिनट तक एवं ग्रहोंके अध्ययन स्वीकृत किये गये है; वे हमारी उषःकाल रहता है और सालके उसी समय भूमध्य रेखा पर पृथ्वी पर भी लागू होंगे। ऐसी दशामें जिन आधारों पर केवल १५ मिनट और दक्षिणमें ४० अक्षांश पर तो केवल इस मिन्द्वान्तको स्थापना की गई है, वे सब अकाट्य और ही मिनट । मेलबोर्न, ऑस्ट्रेलिया आदि प्रदेश दक्षिणमें अप्रत्यक्ष हैं । इसमें सन्देह नहीं कि यह खोज निकट भविष्य उसी अक्षांशपर हैं, जिनपर उत्तरमें फिलाडेल्फिया है। में समस्त वैज्ञानिक जगतमें उथल-पुथल मचा देगी। पाठकों- यहांके एक पादरी फादर जोन्सटनने इन दक्षिण के मनोरंजनार्थ कुछ चुने हुए प्रमाण नीचे दिये जाते हैं- अक्षांशोंकी यात्राक सिलसिले में लिखा है कि-"यहाँ उषः
प्रत्येक आधुनिक वैज्ञानिक इस बानको स्वीकार करता काल और सन्ध्याकाल केवल ५ या ६ मिनट के लिये होते है कि चन्द्रमा और अन्य ग्रहोंका एक ही मुख सदैव पृथ्वी- हैं। जब सूर्य क्षिनिजके उपर ही रहता है, तभी हम रातका की ओर रहता है । यदि ये ग्रह कंदुकाकार होते और अपनी सारा प्रबन्ध कर लेते हैं। क्योंकि जैसेहो सूर्य डूबता है, धुरीपर घूमने तो निश्चय ही प्रत्येक दिवस अथवा प्रत्येक तुरन्त रात हो जाती है। इस कथनसे सिद्ध है कि यदि माम या प्रत्येक साल में उनके भिन्न-भिन्न धरातल पृथ्वीकी पृथ्वी गोल होती तो भूमध्य रेखाके उत्तरी-दक्षिणी भागोंमें
ओर होते । इमस सिद्ध है कि चन्द्रमा और अन्य ग्रह उपःकाल अवश्य समान होता। रकाबीकी भांति है, जिनके किनारे केन्द्रकी अपेक्षा कुछ ऊंच केप्टन जे० राप सन् १९३८ ई. में कैप्टन क्रोशियरके उठे हैं। यदि सचमुच पृथ्वो भी एक ग्रह है नो अवश्य ही साथ यात्रा करते हुए जितनी अधिक दक्षिणकी ओर अटलांउसका श्राकार इस रकाबीक समान है।
टिक (गटार्शर्टिक) सरकिल तक जा सके, ये । उनके वर्णनसे यदि पृथ्वी गोल होती तो सनातन हिमश्रेणियोंकी ज्ञात होता है कि उन्होंने वहां पहाड़ोंकी ऊँचाई १०,... ऊँचाई भूमध्य रेखासं दक्षिण में उतनी ही होती जितनी कि से लेकर १३,००० तक नापी और ४५० फुटसे लेकर उत्तर में । दक्षिणी अमेरीकामें सनातन हिमश्रेणियोंकी ऊँचाई १००० फुट क ऊँची एक पक्की बर्फीली दीवार खंज १६००० फुट है और जैसे हम उत्तरको ओर बढ़ते जाते हैं, निकालो। यह ऊंचाई क्रमशः कम होती जाती है। यहां तक कि थला- इस दीवारका ऊपरी भाग चोरम था और उस पर स्का पहुंचने पर यह केवल २००० फुट ही रह जाती है। किसी प्रकारको दरार या गड्ढा न था । यहाँस पृथ्वीके चारों
अधिक उत्तरकी ओर जाने पर यह ऊँचाई समुद्र तलसे ओर चक्कर लगानेमें चार वर्षका समय लगा। और ४०,... केवल ४०० फुट नापी गई है। पृथ्वी गोल होती तो उत्तरी मोलकी यात्रा हुई । किन्तु दीवारका कहीं अन्त न हुआ । यदि ध्र के समीप जैसी बनस्पतियां उत्पन्न होती है, वैसे ही पृथ्वी गोल होती, तो इसी सांश पर पृथ्वीकी परिधि केवल