SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 144
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ किरा].. . अन्तिम प्रशस्ति । २०३ बलवंत सुभट पर भूमिसोह, रावल देवल जसु लिहिलीह। तिहि कियो सुसार चरित अपार कथा पुराणिक पुरसतणे तहु घर मंडन सोहा सुनारि, नामेण सुभग पूरा विचारि। दुवई-किडबहुवो जुथन्थ जमकामा जुत्तिगत सुभग सासणे। सा सती सुलक्षण पथडलोह, तहु उववरण यंदण जुदोइ । कलिका पुरुष सबजु गुणहत्तरि मन्बा गुण पचासणे। पेमराज पढमगुण गण विसाल, सोहुवो विचक्षण धवलचाल मंद जिन सासणि धम्मसार, णंदउ सिरि गुह पदाधिकार तहुमज्जा भागा भागवति, तहु णंदण तीनि हुवा सुमंति। णदड भहारक चंदकित्ति, णंदउ........... ......... रुपसीसाह सुन्दर अनूप, वनराज पिचिक्षण सुमगरूप। आइरिय पवर जतिवग्ग सार, संदउ अज्जिका बह्मचार। पूरणमल पूरणचन्द्रभाल, उपपक्ष विचक्षण तितियबाल। बाइ पांडे संघाट मित्ति, णंदड मुनि अवर प्राचारमिति । गिरिराज दुतिय नन्दन सुसाह, तसु भज्जा तेजी गुण अगाह मंडलि नंदउ जति नेमचन्द, णंद पंडित जग पर परिंद। सहु नंदन होइ वियाणि चित्त, जूगर परमानन्द वे सुमत्त । णंदर सावय परमेट्ठिभत्त, दडसिंघासण राजथत खेतउ सुतनि वीवो जु पुत्त, जोखराज मुणो गुणकल-संजुत्त। णंदउ तजा परजामुचित .. .. | दो भज्जा तहु धरि धम्मधीरि, मोली मोमा नामा बरु सरीरि णंदउ दिल्ली मंडलु सयल देस, पातिमाह अकवर नरेस। तितियो नंदनु जगि ठकुरसाह, विज्जा विणोइ सुइवहइवाहु ागरो फतेपुर गढ़गुलेर, णंदो लहोर रुहितास गौर । सो-देव-मन्थ गुरुभत्ति सन्तु, सज्जन-मनकमल-विकासुवंतु । पटणा हाजीपुर समद सीम, दंढाड ढाढौ अधिक सीम। पंडितजन पेमवहई सुचित, रुचिराग गानगुण वहण वित्ति । अवैिरी स-णागर चाल णइर, बुदी नोडो गढ अज्जमहर । संगीय मन्थ लंकार छन्द, कवि कवित काल आनन्द कन्द। दोसाल्वणि मेवाड़ सहर, वइराट अलवर नारनउर । धरि भज्जा ता सुभसील पालि, जति-पावय पोषण पुण्णपालि मानसिंघ महीपति सकल माज, प्रविरिपुरी राजाधिराज । सकुटुब मानि तामहतचित्ति, जाचक जस जंपइ जगति कित्ति। लूइनि चौवारइ सकल साज, गंदहु कूरम कलि अखैराज । जसु नाम रमाई सुभग सार, घरमंडण सा प्राचार सार। णंद्हु कुटुम्ब सखि पुत्त पउत्त, णंदहु सामंत पुरोहि मत्त । दो पुत्र उवना कुक्म्वितास, मंगण जण जिह वहई प्रास। मन्त्री पहान पोहित सुभाइ, णंदउणेगीजन चित सुचाइ । गोविन्ददास गरउ समुह, सज्जनजन पीह वहति भद्द । सामंत संत गंदह सुधीर, णंदड कषि व्यास विख्यात वीर। यो मामिभत्त सुन्दर भिराम, सोहंति अवइतन कलित काम णंदउ अंतेवर सुइण विंदु, णंदउ कुमार जस पयहुचंदु । परि नारि नामु जगि जण भणंति, मा जाति विलाली उच्चरति । णंदउ बुधेउ चउसंघ सार णंदउ साहेमि सुधम्म (कार) तहु कुक्खि उवगगा पुत्त तिषिण, जसवंतु सुजसुजगि मइलचिरिण णंदउ लुइणि पुरि मयल लोइ,णंदउ जिणमासण जण पमोड़ कलि केसवदाम विचित्त लोह, तीसर जुत किड बलिमोह। रायाहिराव सिरि प्रखैराज, णंदउ कुटुम्ब मखि सुइण साज | धम्महु रुचि बीयो धम्मदास मंगणजण जो पुरवंत प्रास। गंदउ हिम्मल कित्ति सुधार, मिरिविसाल गुरु जस अपार । मो राजमानि श्रुतवंत मार, जो पहइ कुटुंबइ सयल भार। णंदउ कलिका जग सासुलीह. णंदउ जुनाम कलि ठकुरसीह महिमा महंतु गुरु देवभत्त, पबसत्यसारु सुमरण सुचित्त। वरसहिं सुमेध निपजो सुधान, सबनय निपज्जहिं प्रति प्रमान धम्मदास हुघरि सुन्दर सुभज्ज, सोहाइमाणि सुन्दरि सुकज्ज दुरभिक्ख पणासो रोय-हारि, महु जहु.लोइहु चोर मारि । पढमा झाबू जाणों विवेइ, दूजी बाल्दा सुन्दरि सुमेह । चत्ता-जिणसासणि धम्मु जोणिछम्मुससरहु पुण पवित फले झाबू जुपुत्र जायो सुअंगि, णामेण साहडगडू गुणगि। कलिकासुपयामह भवियण भावइ बढहु अंतरसुभगइने सो सयल कला सोहायमाण, अति बुधिविवेक बहुकल बंधाण दुवई-मो अध्याणि धरौ अंण लगत्त अथहु छंद होणयं। बोयोजु पुत्त उक्वन्नसार, सुन्दर सुदास गुण सुभगसार। संवारहु सुविधि पंडितजन तुमतो जगि पमाणयं ॥७॥ धत्ता-जगिजाणि सुमा अवनि प्रगाहु ठाकुरनाम प्रसिद्धजणे ॥इति महापुराण कलिका समाप्त ॥ Cirta
SR No.538013
Book TitleAnekant 1955 Book 13 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1955
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy