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________________ किरण २1 कोका रासायनिक सम्मिश्रण [५६ सूक्ष्म निरीक्षण करते हुए एक समन्वयात्मक विश्लेषण जैसे किसी में एक प्रोटन और एक इलेक्ट्रन मिलकर एक अनेकान्तकी पद्धतिसे करके ही हम यह सही जानकारी एटम बना तो किसी दूसरे में एक प्रोटन और दो या दो से प्राप्त कर सकते हैं कि प्रान्मा (जीव) क्या है। अधिक कई कई इलेक्ट्रन मिलकर एक एटमका निर्माण संसारमें हम पुद्गलकी अवस्थिति विभिन्न रूपोंमे हुमा । इलेक्टूनोंकी विभिन्न संख्याओं और उनके विमित पाते है। बड़े-बड़े पदार्थ जिन्हें हम प्रत्यक्ष देखते है। रूपोंमें प्रोटनसे सम्बन्धित होनेके कारण विभित्र धातुएँ जैसे पृथ्वी पहाव. पेब, मानवशरीर और पशु पक्षी कीट अजग अलग गुणरूप लिए हुए बन गई । अथवा एक एक एटममें एक से अधिक प्रोटन हों और उसी-सरह इलेक्ट्रनोंपतंग वगैरह । इसके अतिरिक्त जल (तरल) और वायु (गैस) रूपी वस्तुएं भो हम देखते हैं। हवा पारदर्शक की संख्या भी कमवेश हो तो उनकी संख्यामांकी कमीवेशी वस्तु हैं जिसे हम देखते तो नहीं पर जिसका स्पर्श अनु और उनके अतिरिक्त संगठनके ऊपर ही मणुषों (Atoms) भव करते हैं। फिर उष्णता प्रकाश, शब्द, बिजली और की विभिनता और तदनुरूप मूलधातुओं (elements) विभिन्न प्रकारके रश्य या अदृश्य किरणें (Bays) और के गुण, रूप, प्रकृति इत्यादिकी विभिन्नता निर्भर करती है। ये ही एटम जब एक दूसरेसे मिलते हैं तो विभिन्न धाराएं (Waves) भी पुद्गलके ही रूप हैं। इस तरह प.तुओंकी वर्गणाओंका सृजन करते हैं। हम वर्गणाओं अनंतानंत रूपो और संगठनामे हम पुदगलको देखने और या वस्तुओंके गुण, रूप, प्रकृति प्रादि भी वर्गणाभाको पाते हैं। बनाने वाले एटमों ( अणुओं Atoms) को विभिन्न पुदगलका मंविभाग गुरु के अनुसारभी हुआ है। सख्यानों और गुणांकी संयुक्त क्रिया प्रक्रियासे उत्पन्न किसी भी वस्तुका विभाजन करते-करते अन्नमें हम उम होनेसे भिन्न-भिल होते हैं और तब हम उन वस्तुमोका सबसे छोटे छोटे कण' को पाते हैं जिसमें उस वस्तु anाने । संसारमें जितने प्रकारकी के सभी गुण इकट्टा वर्तमान रहते हैं, ऐसे कणोंको आज भी हैं। प्राति रेजीमें 'मौल क्यूल (Molecule) और शास्त्रोंमे 'वर्गणा' और अनन्त हैं। और तदनुसार इनके रूप गुणादि भी नाम दिया गया है । वैज्ञानिकाने पुद्गलकी कुछ ऐसी नकान पुद्गलको कुछ ऐसा अगणित और अनन्न हैं। इन वस्तुओंको रसायन शास्त्रमें किस्मोकी स्वतन्त्र अवस्थिति स्वीकार की है जिनमें मिश्रण (Chemicals) या रासायनिक वस्तुएं और रासायनहीं और उनके गुण सर्वदा उनमें एक ममान मिलते हैं। निक धातुएं कहा गया है और उनकी वर्गणाओंको इन्हें ही मूलधातु ( Elements) कहते हैं। इनक वे रासायनिक वर्गणा या रासायनिक वस्तुओंकी बर्गमा परम सूचम विभाग जिनमें उस मूल धातुके सारे गुण (M.lecules of chamical substances) विद्यमान हो-ऐटम (Atom) या अणु कहे जाते हैं। दो कहा जाता है। इस लेख में (Chemical Subsया दो से अधिक मूल धातुओं (Elements) के ये ऐटम tances & elements) रामायनिक वस्तुओं और या अणु मिलकर किसी "वर्गणा" (Molecule)का धातुओंको केवल रसायन या रासायनिक लिखेंगे । निर्माण करते हैं। गुणके विचारसे ये ऐटम भी प्रारम्भिक भिन्न-भिन्न वर्गणाओं या रसायनों (वस्तुप्री-Chemiप्रकारकी वर्गणाएं ही हैं। अब अाधुनिक वैज्ञानिकोंने यह cals ) का एक दूसरेके साथ मिलने या संयुक्त होनेके पूर्णरोतिम सिद्ध कर दिया है कि हर धातुके हर ऐटम परिमाण और क्रियान्मक प्रभाव भी (Chemical भी परम सूक्ष्म पुद्गल परमाणुओं द्वारा ही निमित reactions) भिन्न भिन्न-कमवेश होते हैं। किन्हींकी हुए रहते हैं। इन पुद्गल परमाणुओं में मुख्य हैं आपमी क्रिया-प्रक्रियाएँ (Actions & Reactions) (Electron) इलेक्ट्रन और प्रांटनर (Proton) और बड़ी तीव्र होती हैं और किन्हीं की मध्यम या बहुत कम दूसरे हैं न्यूटन, पोज़ीदन, इस्मादि और इन्हींके संयुक्त रूप या किन्हीमें मिलकर संयुक्त रूपसे एक वस्तु हो जाने की हैं श्रायन (Jons) और प्राइसोटोप (Isotopes) हर शनि एकदम ही नहीं होती दो या दो से अधिक विभिन्न हर धातु विशेषके हर एटम, अणु या मूलसंघ (Atom) धातुओं अथवा रसायको जब इकट्ठा करते हैं तो उनमें में इन परमाणुओंकी संख्या कमवेश-विभिन्न होती है। भिन्न भिन्न परिस्थितियों अथवा सहायक रसायनोंकी
SR No.538012
Book TitleAnekant 1954 Book 12 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1954
Total Pages452
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size27 MB
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