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अनेकान्त श्री १०५ पूज्य हुन्लक गणेशप्रसादजी वर्णी
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आप भारत के अहिंसक आध्यात्मिक मन्त हैं। और मागर से ६०० मील की पैदल यात्रा कर अभी गया में पधारे हैं। तथा ईमरी (पार्श्वनाथ हिल) में चातुर्मास करेंगे। आपकी प्रान्तरिक भावना है कि मंरा समाधिमरण पार्श्व प्रभुके चरणाम हो। आपने ज्येष्ठ बैसाम्बकी गर्मोकी लूश्री की भी कोई परवा नहीं की । आपका प्रारमा सम्बन्धमे दिया हुया महत्वपूर्ण प्रवचन पृष्ठ ३३ पर पढिए ।
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श्री महावीरजीके मन्दिरके मामने बना हुआ विशाल
मानस्तम्भ।
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