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________________ अनेकान्त विदेशके लिये प्रस्थान श्रवण बेलगोलमें वीरसेवा-मन्दिरके नैमित्तिक अधिवेशनके सभापति . . .. SH SHET . . . 18. . 听不然小小小小小小小小小朱奈小小小小小小小小小小小小小小小小米小米小小小小小5 मसर्म प्रार. मेकदिल पगड कंपनी लिमिटेड एवं मिश्रीलाल धर्मचन्द लि.. के मालिक श्री मिश्रीलालजी जैनके ज्येष्ठ पुत्र श्री धर्मचन्दजी जैनने एयरफोर्म द्वारा विश्व-भ्रमणके लिए गत २६ मईको प्रस्थान किया । आप लोग विभिन्न म्बानांक मालिक एव मंगनिज पोर, मेठ मिश्रीलालजी काला, कलकत्ता आयरन ओर, क्रोमाइट और, एवं श्राप कलकत्ता दि. जैन समाजके प्रतिष्ठित व्यक्ति केनाइट विश्व बाजारोको निर्यात करते है। हैं। धर्मनिष्ट और समाज हिनपी नया पाप श्रीधर्मचन्दजीकी अवस्था इस समय १० आत्मप्रशंमाटिम सदा दूर रहने है समाजको वर्षकी है और आपके भ्रमणका प्रोग्राम अापमं बड़ी अाशा है । श्रापने कलकत्ता स्थित दो महीनेका ठहरा है। आप लोग 'अने. बलहियाक मन्दिर जाम बहुनमा रपया खर्च कान्त पत्र नथा 'वीरसेवान्दिर के परम किया है। आप अनेकान्तक संरक्षक और वीरमहायक है, और इम मन्दिरका जो नया पवा-मन्दिरके विशेष महाया है। प्रापसे संस्थाभवन दहलीम निर्माण होने जा रहा है के ननन भवन निर्माणमें भारी महयोग प्राप्त उममें आपका भारी सहयोग प्राप्त होने- होने वाला है । आप दीर्वजीवी होकर लोक में वाला है। हार्दिक भावना है कि आपका यशम्बी बनें ग्रही भावना है। यह देशाटन सानन्द मफल हो। FEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEeceCEEEEEEEEE
SR No.538012
Book TitleAnekant 1954 Book 12 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1954
Total Pages452
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size27 MB
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