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अनेकान्त
किरण १]
अवश्य किया था और यहाँ गुप्तोंका भी शासनाधिकार इसी प्रकारका चारुदत्तको कथामें लिखा है
गृहीत्वा तत्र कर्पास बहुं बहुधनेन सः बंगालकी वर्तमान सीमा अकित करनेके लिए इसके सार्थन सह सार्थन स ययो ताम्रलिप्तिकाम् ॥५॥ उत्तरमें हिमालय दक्षिणमें तमलुक-प्रान्तसमाश्रित वारिधि- आराधना कथाकोषकी १०वीं कथा जिनेन्द्रभक्त सेठमें वन (बंगोपसागर) पूर्वमें ब्रह्मदेश पाराकनका अरण्य और लिखा हैप्रासाम विभाग (आसामसे होकर ही ब्रह्मपुत्र नद बंगालमें
गालमें यथास्ति गौड़देशे च ताम्रलिप्ति भिधापुरी। आया है) और पश्चिम में विहार और उड़ीसा प्रदेश। यत्र संतिष्ठते लक्ष्मी दान पूजायशःकारी ॥६॥
सन् ७८३ में रचित जैन हरिवंशपुराणके सर्ग २१ इस चतुःसीमाके मध्यवर्ती विपुल समतल क्षेत्रको
श्लोक ७६-७१ से पता लगता है कि उसीरावतसे कपास बंग कहते हैं। वर्तमानमें बंगाल के तीन हि से हैं। पूर्व बंगाल,
खरीद कर उसे लोग ताम्रलिप्तिमें बेचने जाते थे । पश्चिम बंगाल और उत्तर बंगाल । दक्षिणमें प्रायः ६००
इसी प्रकार ६८ वीं विद्य रचर मुनिकी कथामें लिखा है कि मील समुद्रका किनारा है। बंगाल प्रायः ४०० मील लम्बा
उन्होंने ताम्रलिप्तिमें केवल ज्ञान प्राप्त कियाऔर प्रायः इतना ही चौड़ा है पर तिकोनासा देश है। मुनिश्चशतं युक्त' विरक्तो मदनादिष । बंगालमें गंगाकी मुख्य धाराका नाम पद्मा तथा ब्रह्मपुत्रकी ताम्रलिप्तिपुरा प्राप्तो न लिप्तो मोहकहेमः॥३॥ मुख्य धाराका नाम जमुना है और इन दोनोंकी सम्मि- शुक्लध्यानप्रभावेन हत्वा कर्मारि सञ्चयम लित धाराओंको मुहानेके पास मेघना माम दिया गया केवलज्ञानमुत्पाद्य संप्राप्तो मोहमक्षयम् ॥४४॥ है। उत्तरपुराणके पर्व २६ श्लोक १२४-१५० पर्व २७ इससे ताम्रलिप्त सिद्ध स्थान प्रमाणित होता है। श्लोक-१६और पर्व ४५-श्लोक १४८-१५२ और हुगली जिलेमें चिनसुरा है, जहाँ दिगम्बर जैन मन्दिर श्लोक ११०-१६६ में गंगा नदीके सम्बन्धमें बहुत कुछ है। यहीं प्रसिद्ध सप्तग्राम त्रिवेणी है, जहांसे एक जैन लिखा गया है। बंगालके वर्तमान पांचों विभागोंकी सीमा मूर्ति मिली है। और उनके जिले निम्न प्रकार हैं:
२ प्रेसीडेन्सी विभाग १ वर्दवान विभाग
पूर्व में हरिनघाटा नदी, पूर्व और उत्तर में मधुमती और पूर्व में भागीरथी (हगली) नदी और प्रसीटेन्सी पना नदियां या ढाका और राजशाही विभाग, पश्चिममें विभाग दक्षिणमें बंगालकी खादी, पश्चिममें उड़ीसा और भागीरथी (हुगली) नदी या संथाल परगना और वर्दछोटा नागपुर, उत्तरमें संथल पर्गना और मुर्शिदाबाद वान विभाग, दक्षिणमें बंगालको खाड़ी। इस विभागमें जिला है। यह विभाग सबसे छोटा है। इसके जिले हैं समुद्रके किनारे नदियों के मुहाने बहुत अधिक है। इसके वर्दवान, वीरभूमि, पाकुडा, मेदिनीपुर, हुगली और जिले हैं चौबीस परगना कलकत्ता, बदिया, मुर्शिदाबाद. हवडा । मेदिनीपुर जिलेमें हीतमलुक है, जो प्राचीन काल- जसौर और खुलना । खुलना जिलेके दक्षिण में सुन्दर वनका में ताम्रलिप्ति नामका प्रसिद्ध बन्दर था, किन्तु अब समुद्र
अधिकांश भाग है। समुद्र के पास सुन्दर वन नामका यहीं से ४५ मील दूर है। हरिषेणके तहत कथाकोषमें जांगल प्रदेश है । कई स्थलों पर ताम्रलिप्ति नगरका वर्णन किया गया है।
३ राजशाही विभाग यह कथाकोष सन् ६३१ की रचना है। करकण्डु महाराज- उत्तरमें सिकिम और भूटान राज्य, पूर्व में प्रासाम की कथामें लिखा है
और ब्रह्मपुत्र ( जमुना) या ढाका विभाग, दक्षिणमें गंगा ताम्रलिप्तौ पुरे श्रेष्ठी वसुमित्रो महाधनः । (पद्या) पश्चिममें बिहार प्रान्त और नेपाल राज्य । तस्य भार्याऽभवन् तन्वी नागदत्ता प्रियंवदा ॥११६॥ बंगाल में यह सबसे बड़ा विभाग है।
XDynastic History of Northern In- यह पूर्व पश्चिम प्रायः २०० मील लम्बा और उत्तरdin by H.C. Roy p.271-72
दक्षिण ६०... मीन चौड़ा है।