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ॐ अहम
MAHE
नस्वन्सचातक
वार्षिक मूल्य ५)
meanuman एक किरण का मूल्य ॥)
SHEMISSIBE
PESABHA
नीतिविरोषध्वंसीलोकव्यवहारवर्तकसम्यक् । परमागमस्यबीज भुबनेकगुरुर्जयत्यनेकान्तः
वर्ष १२ किरण -
सम्पादक-जुगलकिशोर मुख्तार 'युगवीर'
वीरमेवामन्दिर, १ दरियागंज, दहली पौष वीर नि० संवत २४८०, वि. संवत २०१०
जनवरी १६५४
श्रुतसागरसरिकृत
श्रीपार्श्वनाथस्तोत्रम्
अनेकान्त वर्ष किरण में अनेकान्तके सम्पादक श्री पं० जुगलकिशोरजी मुख्तारने प्राचार्य प्रभाचके पशिष्य मुनि पद्मनन्दीका 'जीरा पल्ली पार्श्वनाथ' नामका एक स्तवन प्रकाशित किया था,जिनका समय विक्रमकी ध्वीं शताब्दीका उत्तरार्ध और १५वीं शताब्दीका पूर्वाध है। वह स्तोत्र उन्हें सन् १९४७ में कानपुरके एक गुटके परसे उपलब्ध हुभा था। 'जीरापल्ली' नामका एक अतिशय क्षेत्र है जिसमें भगवान पार्श्वनाथकी सातिशय दिगम्बर मूर्ति विराजमान थी। यह क्षेत्र दिगम्बर समाजका था । भट्टारक पमनन्दि और श्रुतमागरमूरिश्रादिने उसकी वंदना की तथा स्तवन बनाये। परन्तु भाजहमें उसका पता भी नहीं है। इसी तरह हमने अनेक तीर्थक्षेत्रोंको उपेनासे छोड़ दिया है। विद्वानोंको इसका पता लगाना चाहिये। श्वेताम्बर समाज में भी 'जीरापल्ली' नामका भतिशय क्षेत्र माना जाता है। संभव है उसी स्थानपर दोनोंका एकही सम्मिलित क्षेत्र रहा हो, अथवा उसी स्थानपर उभय सम्प्रदायके अलग-अलग मन्दिर रहे हो. कुछ भी इस विषयमें वादको प्रकाश डालनेका यत्न किया जायगा।
अभी हाल में दिखीके धर्मपुराके नये मन्दिरका शास्त्रभरडार देखते हुए ..के गुटके में श्रीश्रतसागरसरिके दो नवीन अप्रकाशित स्तोत्र प्राप्त हुए हैं जिनमें प्रथम स्तोत्र शान्तिनाथका है और दूसरा 'जीरापल्ली पार्श्वनाथका स्तवन है। इन दोनों में पार्श्वनाथका यह स्तवन बड़ाही महत्वपूर्ण है। इस स्तवनकी बह खास विशेषता है कि उसमें भगवान पार्श्वनाथका पूरा जीवन परिचय १५ पचों में अंकित किया गया है और उनके तीर्थ में होनेवाले मुनि-श्रावकादिकी संघ-संख्याका भी निर्देश निहित है । रचना ललित और पढ़नेमें इचिकर प्रतीत होती है। यह स्तोत्र याद करने योग्य और संग्रहणीय है।
-परमानन्द मैन