________________
२३४]
भनेकान्त
[किरण
D
पर हर मायका, माय स्पो बम बेनेके कारण रहने कुर हो सकता है और भविष्य उज्ज्वर एवं माशापूर्ण और उसतिरका समान हक है, ऐसी भाषा दिन दिन बनाया जा सकता है। प्रबल होती जा रही है। जैनदर्शन, धर्म और सिद्धान्त श्री कामताप्रसादजी समाजके प्राचीन इतिहासज्ञ भी यही शिक्षा देते हैं और जैनियोंका सारा धार्मिक एवं और एक सच्चे बग्नशील कार्यकर्ता है। उन्होंने विश्वसामाजिक निर्माण और व्यवस्थाएं हसी मादर्सको लेकर जैन मिशन' नामकी संस्था स्थापित और चाल करके संस्थापित हुई है। केवल गर्म हो ऐसा धर्म है जो एक बड़ी कमीको पतिको है। इस संस्थाने थोडे ही समय'अनुण्याकी पूर्यताको सर्वोच्च ध्येय या भादर्श मानता में थोदे रुपये में ही बड़ा भारी काम किया है। पर समाज
और प्रतिपादित करता है। बाको दूसरे लोग 'देवस्व' को की उदासीनताके कारण इसे जितनी प्राधिक मदद मिलनी ही मादर्श मानते हैं जो संसारको सबसे बड़ी गवती चाहिए थी उसका शतांश भी नहीं मिल सका। यह रही है। तीर्थकरको कानक्की पूर्यताका सर्वोच्च एवं संस्था दिगम्बर, श्वेताम्बरके भेद भावोंसे तथा दूसरे सागपूर्ण उचम बाद माना गया है। इसी प्रादर्शक झगड़ोंसे मुक्त है। इसके कार्यको आगे बढ़ाना हम सभी बापक विस्तार, प्रचार बोर प्रसाबसे ही मानव मात्रका नियोंका कर्तव्य तोही-हमें अपनी रक्षा और अपने सच्चा ल्याव हो सकता है। अहिंसा और सत्य तो तीर्थों, संस्थानों और संस्कृतिकी रखाके लिए इस वर्तमान इलीकी दो साक्षाएं, जिनका भीएर विकास जैन प्रचार युगमें वो अत्यन्त जरूरी और भनिवार्य सिवान्बों में ही परस्पर विरोधी रूपसे पूर्णताको प्राप्त हो गया है। होता है। मानव-कवाणकी कामनासे भी और स्वकल्याण संसारमें युद्धकी विभीषिकाको समाप्त करना, हिमा, की अमरहित भावनासे भी हमारा यह पहला कर्तव्य है खूनखराबीको दूर करना और सर्वत्र सुख शान्ति स्थापित किहम इन सब्ने विश्व-कल्याणकारी सिद्धान्तोंका विश्व- करना हमारा ध्येय और कर्तव्य है इसलिए भी हमें ज्यक प्रचार अपनी पूरी शक्ति बगाकर करें । अन्यथा इस कल्याणकारी संस्थाकी हर प्रकारसे तन मन धनसे इस मिट जाये और हमारी सारी दूसरी सुकृतियों मिट्टी- पूर्ण शक्ति एवं खुले दिलसे सहायता करना और कार्यको में मिल जायेगी, बेकार हो जायेंगी-किसी काममें नहीं आगे बढ़ाना हमारा अपना पहला काम है और जरूरी पायेंगी। सावधान । उठो, जागो और काममें लग है। भाशा है कि हमारे जैन भाई इस समयानुकूल चेताअमो। पर अधिक देर करना अथवा अनिश्चितताकी बनी (Timely wrong ) और इस प्रथम भाव दीपस्वीदशा विनायकारक होगी। अब जो गलती श्यकताकी भोर गम्भीर ध्यान देगे। या दिवाई इस काममें हो गई सो हो गई। सबसे भी
अनन्तप्रसाद जैन संयोजकयदि सच्ची बगनसे काममें बन जाय तो अभी भी बहुत
अविश्व जैन मिशन पटना विवाह और दान । पीचन्दनी जैव संगत सरसावा निवासी हाल एटाके सुपुत्र चि. महेशचन्दबी.ए. का विवाहसंस्कार इटावा निवासी साहकचन्द पाचन्द जी जैन सुपुती चि. राधा रानीके साथ गवता.. दिसम्बरका जैन विवाह विधिसे सानन्द सम्पन हुमा ।इस विवाहकी खुशीमें डा० साहबने ३६१). वाममें निकाले, जिनमेंसे 11.). इटावा मन्दिाको (मवावा बरादि सामावो) दिये गये, शेष २५१).निम्न जैन खंस्थानों तथा मन्त्रों को भेंट किये गये:
२.१) वीरसेवामन्दिर सरसावा-दिल्ली, जिसमें २०) रु. 'भनेकान्त' की सहायतार्थ शामिल है। ३१)सरी संस्थाएं-श्री महावीरजी अतिशयक्षेत्र, स्याहाद महाविद्यालय काशी, ऋषभनाचर्याश्रम मथुरा,
3.प्रा. दि. गुरुकुल हस्तिनागपुर, बाहुबलि माचर्याश्रम बाहुबली (कोल्हापुर), जैन कन्या पाठसाला
सरसावा समन्तभद्र विद्यालय जैन अनाममा देहली, प्रत्येक को२)रुपये। १२)अनेकान्त भिसरे पत्र-जैन मित्र, जैन सम्देश, पाहिंसावादी, प्रत्येकको)रुपये।
बीरसेवामन्दिरको जो २०१ रुपयाकी सहायता प्राप्त हुई है उसके लिये डाक्टर साहब धन्यवाद के पात्र हैं।