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________________ वसुनन्दिभावपचारका पाठ संशोधन बणिगसुदा तुम मिट्टो एसु सम्मा एएसु सम्म १४ किंचिगणं किंव (10) खिस्संकाह पिस्संकाई 1000 अहरहने पशिधूया 40 बारं तुझर (१७) ५३ कहावर रउतए सूत्रा वा रोहवं स्वावशेषवं (1) ५५क तामलित तामखित्ति १६क कुख मज्जावं विसगाई बसणाई पच्छियायो परिश्कायो संसिद्धाई संसिट्ठाई (.) १२.. हिंद हिंडप १२.क मज्मम्मि मज्ययासम्म मायरं मायरंण १२१ ख चोरस्स चोरूब वुजजाई पुरजाई () १२१ख पुषितो मोहित ་་ ན भक्खेहि अच्छीहि (6) ६.ख हिहह व (11) ६८क दिरणं ति दियह पि १३७क मही बीटे मही पि? प्राथह पच्चर १५३ रस्थाय यंगणे रवाए.पंगणेश (10) १४७ख पज्जनयम्मि पज्जनियम्मि मिट्ठा (11) १४८क अमासरेहि ज्मसेहिं (२०० हिप्या पिया १११क मंमा भवराई प्रवराई वि १०. कह दिय माएब कहपमायण. २६ख तंपि वणिए तम्हि विणि ९ (१२) 115क उसिब जहा"विप्पा गयणगामिणो वि भुवि विप्पा १५२ ख बीह भुवि x छुहिति पारसियाण पारस्सियाय དད ཙ छुईति ८८ख भक्खेद भक्खा किकवाय किकबाट १.क सामी मोत्तख माथि साम मोत्तण तंण (१३) पुण्यो पुण्णी पुरणा पुरणी एक पसायमाणो शिरवराहो पलायमाणे "शिरावराहे* ११८ छयण " ख. हणिज्जा हणिज्जा १६८ ख बंतत्तो संतटोल (11) 100स सुमरा विकण सुमरा पेलय विष्ठ विड भय विटो अय-बत्यो खल-विष्ट (1) १ख पबलेख पन्चेबिक (१५) १८५ कोई १८. विस भोषि विलमोद संग्रह दिया है जो भागेकी गाथाके 'इच्चाइगुणा' शब्दसे " पूर्ववत्स कृावंतस्स संबर है। संसृष्टानि मांखोंसे .रोहक मगरे । स से देह सदहर सुरजाईपारचर्यकराणि । देखो, पाइपसमायण क सम्बहियाड वाहियानो (११) बोडोश। न्य १० नेत्रोदारमा फोडी जामा, 15 सूली पर 1. गलियों में या चौकमें मीठी मय १२ मांस बढ़ाना उसी को-बोदेके गोलेको । २.अस्त्र माय में ये दोनों दोष पवा मुस्वा मम मन्यास्वामी विशेषः। सव विश्व व्यापसे। २१ बाधिकाम संबस्वा १५ प्रत्युव । बधामोंको।
SR No.538012
Book TitleAnekant 1954 Book 12 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1954
Total Pages452
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size27 MB
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