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________________ किरण १ छोटा हाथी गुफा ( ई० पू० द्वितीय शताब्दी) खण्डगिरि-उदयगिरि-परिचय इस गुफा के बाहर सम्मुख भाग पर जंगलका एक दृश्य है, जिसमें वृक्ष, और पुष्प डाल लिये हुए हाथी दोनों तरफ प्रदर्शित किये गये है। हाथी केवल सजीव और तेजस्वी ही नही बनाये गये है बल्कि दृश्य-कलात्मक भी है। द्वारके तोरणकी कछोटेदार डाट पर एक विनष्ट शिला लेख एक पंक्ति का है : - अगिख ( ? ) .......स लेणम् अर्थात् की गुफा ................ अलकापुरी गुफा ( ई० पू० दूसरी शताब्दी) इसमे द्वितीय गुफा प्रवेश-द्वारके पास ही एक नारी शुक पक्षीको लिये खड़ी है (अमरावती में भी इसी प्रकार है) । उसके ऊपर एक शाल भंजिका है जो लतासे लिपटी हुई है । सांचीमें भी ऐसी ही मूर्ति है । उदयगिरिकी अन्य दर्शनीय गुफायें १. सर्प-गुफा ( प्रथम शताब्दी ) - इस गुफाका सामनेका भाग सर्पके मुख-जैसा है, इससे इस गुफाका नाम सर्प - गुफा पड़ गया है। इसका फर्श बड़ा चिकना है । इसमें दो शिलालेख निम्न प्रकार है:“लकमस कोठा जेया च" अर्थात् - चूलकमका अनुपम कोठा । "कम्मत हलविण्य च पसादो" अर्थात् - कम्म तथा हलक्षिणका प्रासाद । २. पवनारी गुफा -- यह प्रायः आधे दर्जन गुफाओ का समूह है, जिनका निर्माण काल अनिश्चित है । ३. वाघ गुफा ( प्रथम शताब्दी) इसका मुख व्याघ्रजैसा है । यह एक छोटी गुफा ७ फुट लम्बी तथा ६ फुट ४ इंच चौड़ी है। इस के सम्मुख भाग पर एक शिला लेख है :"नगर अलवंस सभूतिणो लेणम्” अर्थात् —-नगर- विचार - पति सभूति ( सुभूति) की गुफा ४. जम्बेश्वर गुफा ( ई. पू. प्रथम शताब्दी ) - जम्बेश्वर अर्थात् भालुओं के प्रभुकी गुफा । इस गुफामें दो द्वार तथा स्तम्भ है । स्तम्भ - मध्य में अष्टकोण युक्त और शेषांशमें चौरस है । इसके सम्मुख भाग पर यह शिला लेख ह:"महामदास बारियाय माकियस लेणम् ।" ८७ अर्थात् — महामदकी भार्या नाकियाकी गुफा । ५. हरिवास- गुफा ( ई. पू. प्रथम शताब्दी ) यह गुफा गणेश गुफाके सदृश है, इसके चौरस खंभे हैं, जिनमें वृहद् छिद्रयुक्त टोडियां बनी हुई है । इसके बरामदे पर निम्न शिला लेख है चूलकम्मत पसावो कोया जोय (1) च अर्थात् - चूल कर्मका प्रासाद तथा अनुपम गुफा । ६. जगन्नाथ गुफा - ( अनुमानत: ई. प्रथम शताब्दी) । उदयगिरीकी यह सबसे लम्बी गुफा है, २७॥ फुट लम्बी और सात फुट चौडी । इसमे किन्नरो, गणों, विद्याधरों, मिश्रजातिजीवों, मृग, हस, पक्षी और मछलीके चित्र अंकित है। यहां एक स्तम्भकी टोडीपर एक चित्र अंकित है, जिसमें एक सारस पक्षीने अपनी कंठ-नालीसे कांटा निकलवानेके लिये 'गण' की तरफ अपना मुख खोल रखा है। इसकी कथा प्रसिद्ध है । खण्डगिरि खंडगिरि पर जितनी गुफाएँ है उनमे तत्व ( तोता ) गुफा और अनन्तगुफा सबसे अधिक महत्व की है । १ तेली गुफा (द्वितीय तृतीय शताब्दी) इस गुफा - के सामने तेतुल ( इमली) का एक पेड़ है इससे इसका नाम तेतुली गुफा पड़ गया है। यह गुफा अपूर्ण मालूम पड़ती है और इसपर परवर्ती कालके कई कारुकार्य उपलब्ध है । इसके स्तम्भोंका मध्य भाग अष्टकोणीय और बाकी चौकोर है। इसके स्तम्भ भी विकसित है। स्तम्भोंके टोड़ोंपर पीठ-से-पीठ सटाकर बैठे हुए हाथी और व्याघ्र और एक खड़ी नारीके प्रत्येक हाथमे कमल ध्यान देने योग्य है। २. सत्व गुफा न. २ ( ई. पू. प्रथमसे पहली शताब्दी) - इस गुफामें तीन द्वार, दीर्घ प्रस्तरासन, पार्श्वस्थछिद्र (खिड़की) और चौकोर स्तम्भ है। मध्यमें कटी हुई टोडियोंपर पल्लव, नर्त्तकी और वीणापाणिनर, पुष्पमाल सहित अलंकृतनारी, स्तम्भके ऊर्ध्व भागके श्रृंगोंके दाहिनी ओर सिंह और बाईं ओर हाथी है, पल्लव-युक्त तोरणोपर त्रिरत्न चिह्न है । एक तोरणपर मृग-युगल, दूसरेपर कपोत-युगल और तीसरे तोरणपर शुक-युगल अवधान-योग्य है । मध्य
SR No.538011
Book TitleAnekant 1952 Book 11 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1952
Total Pages484
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size29 MB
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