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________________ [वर्ष ११ मर्कट-युगल, आम्रफलोंसे युक्त वृक्ष दृष्टिगोचर होते हैं। सूक्ष्मरूप यहां प्रदर्शित किया गया है। प्रथम एक नारीका मृग, पक्षी, सेही आदि जन्तुओंसे वनश्री सोल्लास हो रही अपहरण, फिर एक पुरुष और स्त्री का युद्ध । तत्पश्चात् वह स्त्री उस पुरुषको संभवतः एक गुफा-आश्रयमें ले जा रही नीचेकी मंजिलमें ४ गुफाएं हैं। बरामदेके सब चित्र है, और अन्तिम दृश्यमें गुफाके सामने वह पुरुष लेटा हुआ नष्ट होगये हैं, किंतु बाई ओरके किंचित् अवशिष्टांशोंसे है, और वह स्त्री उसके पासमें बैठी हुई है। गुफाके बरामदेमें ज्ञात होता है विजयी राजाका प्रत्यागमन और स्वागत- बांई ओरसे दाहिनी ओर तक निम्न दृश्य अंकित किये गये समारोह । एक अनुचर राजापर छत्र लिये हुए है, राजाका हैं:-कई किरात सैनिक हाथी पर बैठे हुए एक पुरुष (राजा) पोड़ा उनके सामने है, फिर राजाके पीछे योद्धा खड़े हुए की तथा उसके अनचाकाबही मरगमिता है। स्त्रियां पूर्ण-कुंभोंसे और आरती द्वारा उनका स्वागत कर पीछा कर रहे है। स्त्रीके हायमें अंकुश है; राजा, जिसका वेष रही है। इस दृश्यका सम्बन्ध संभवतः महाराज खारवेलसे है भी किरातों जैसा है, उन पीछा करने वाले किरातों पर तीर जब वे दिग्विजयसे राजधानीमें लौटे हैं, और उनका स्वागत चला रहा है ; और अनुचर, जिसके हाथमें रुपयोंकी थैली पूर्णकुंभों और एक अलंकृत अश्वको भेंट-स्वरूप अर्पण करते हुए किया गया था। है, सिक्के गिरा रहा है ताकि किरात सैनिक प्रलोभित उत्तरकी ओर दूसरी गुफामें एक लम्बे कदका सीदि होकर पीछा करना छोड़ दें। दूसरे दृश्यमें वह पुरुष (राजा) यन योता है, जिसके हाथमें बर्खा है। इस गुफामें स्तम्भों वह स्त्री और अनुचर हाथीसे उतर रहे है। धनुष लिये हुए के ऊपरी भागमें पीठसे पीठ सटाकर बैठे हए पश है: जैसे वह राजा, उसके बाद फलोंका एक गुच्छा लिये वह स्त्री बैल सिंह हाथी और घोडे । पार्श्व प्रदेशमें टांड बने हुए हैं. और उसके पीछे रुपयों की थेली लिये अनुचर चल रहा है। जिन पर संभवतः मुनिगण शास्त्र और कमण्डल रखते थे। अंतिम दृश्यमें वह स्त्री भूमि पर बैठी विलाप करती है, इस गुफाके तक्षण-कार्य युक्त सम्मुख भाग पर जो दृश्य वह पुरुष उस स्त्रीकी ओर झुक कर उसे सांत्वना दे रहा है, अंकित है वे है पूजार्थ मन्दिरकी ओर गमन करती हुई एक और वह अनुचर एक हाथमें राजाका धनुष और दूसरेमें स्त्री, अपनी दो रानियों के मध्यमें उपविष्ट राजा, पट-मंडप- थैली लिये खड़ा है। के नीचे एक गायक और वाद्यकर-मंडली है जिसमें एक नृत्य इस बरामदेके दृश्य एक अनतिपूर्व-कालीन वेदिकाके करती हुई महिला और उसके साथ दूसरी स्त्री मृदंग नमूने पर और स्तम्भके ऊर्ध्व भागके पास कुटागार-सदृश बजाती हुई, तीसरी स्त्री ढप बजाती हुई और हाथोंसे ताल आलेखन पर अंकित किये गये हैं। स्तम्भका उर्ध्व भाग, देती हुई, चौथी उपवीणा-वादिनी और पांचवी वेणुगान प्रदान करती हुई है। यह पटमंडप भारत जैसा है। स्त्रियोंके भार-वाहक मूर्तियों पर अवस्थित है । तोरण द्वारों पर मकर है, कुंडल जैसे अमरावतीमे है उस सदृश है । बेणु (वंसी) जिनके मुखसे लता बहिर्गत हो रही है । प्रत्येक तोरण का कोना सिंहकी आंशिक प्रतिमूर्तिकी आकृतिका है। पारसीक विषिके स्तम्भों पर है। टोडियों पर (जिनके पूजार्थ मन्दिरकी ओर जाता हुआ राजा और पुष्प थाल लिये मध्य भागमें गर्त है) नर नारी और एक राजाकी अनुगामिनी एक महिला चित्रित है । राजाके ऊपर छत्र है। मतियां बनी हुई है। गुफाके भीतर अपरिपक्व और आधुनिक बरामदेके तीनों तोरणों पर त्रिरत्न है। ये सब मूर्तियां । कालीन मूर्ति एक मुनिकी और एक गणेश की है, और एक विकसित वेदिका (रेलिंग) पर स्थित है। शान्तिकर देवनुप-कालीन एक शिलालेख भीमटका है। गणेश गुफा शान्तिकरका शासनकाल आठवीं शताब्दीका पूर्वार्ष है। यह ई.पू. दूसरी शताब्दी की है। इसमें दो कमरे है। जो वही भीमटका लेख धोली में भी है। द्वारपाल पर पार्श्वशायी कथा-दृश्य राणी गुफामें देखने में आता है उसीका बलका चित्र है।
SR No.538011
Book TitleAnekant 1952 Book 11 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1952
Total Pages484
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size29 MB
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