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अनेकान्त
५. दृस्टियोंके अधिकार व कर्तव्य-प्रस्तुत -वीरसेवामन्दिर-ट्रस्टके ट्रस्टियोंके अधिकार व कर्तव्य निम्न प्रकार होंगे:
(१) ट्रस्टके उद्देश्यों व ध्येयोंको पूरा करने कराने के लिये हर संभव प्रयत्न करना ट्रस्टियोंका प्रधान कर्तव्य होगा और इसके लिये वे सम्पत्तिकी रक्षा, वृद्धि तथा सदुपयोगकी तरफ अपना पूरा ध्यान रखेंगे।
(२) द्रस्टियोंको अधिकार होगा कि वे ट्रस्टके उक्त उद्दश्यों तथा ध्येयोंको पूरा करने करानेके लिये अनेक विभाग मा डिपार्टमेंट कायम करें, संस्थाकी शाखाएं अथवा उपशाखाएं खोलें और उनकी ऐसी प्रबन्धकारिणी समितियां (कमेटियां) नियत करें जो ट्रस्टियोंकी देख-रेख में ट्रस्टियों द्वारा निर्धारित नियमोंके अनुसार अपना अपना कार्य सम्पन्न करेंगी और जिनमें ऐसे व्यक्ति भी शामिल किये जायेंगे जो ट्रस्टीज ( Trustees ) नही होंगे।
(३) ट्रस्टी जनोंको अधिकार होगा कि वे आवश्यकतानुसार नये ट्रस्टियोंका चुनाव करके अपनी संख्यावृद्धि करलें, परन्तु किसी भी समय ट्रस्टियोकी संख्या पन्द्रहसे अधिक नही होगी और न सातसे कम ही रहेगी।
(४) ट्रस्टियोंको अधिकार होगा कि वे अपनेमेंसे किसीको प्रधान, मन्त्री, कोषाध्यक्ष आदि पदाधिकारी नियत करल और ऐसे नियम-उपनियम भी निर्धारित करलें जो दृस्टके उक्त उद्देश्यों तथा ध्येयोंको ठीक तौरसे पूरा करने और ट्रस्टियोंकी कर्तव्य-पूर्तिके लिये जरूरी तथा मुनासिब हों। पदाधिकारियोंका चुनाव त्रिवार्षिक हुआ करेगा। दृस्टियोकी मीटिंग कम से कम छह महीने में एक बार जरूर हुआ करेगी। मीटिंगका कोरम किसी भी समय एक बटा तीन ट्रस्टियोंसे कमका नहीं होगा और ट्रस्टकी सब कार्रवाई बहुमतसे सम्पन्न हुआ करेगी। कोरमके लिये तिहाईका बटवारा बराबर न होनेपर बटाईके अंश अथवा उसकी कसरको एक व्यक्ति माना जायगा। यदि कोई मीटिंग पूरा कोरम न होनेके कारण स्थगित होगी तो अगली मीटिंग कोरमके पूरा न होनेपर भी की जा सकेगी।
(५) यदि कोई ट्रस्टी त्यागपत्र (इस्तीफा) दे, ट्रस्टके कामको ठीक तरह करनेके योग्य न रहे या कानूनी दृष्टिसे ट्रस्टका मेम्बर न रह सके अथवा किसी दैवी घटनासे उसका स्थान रिक्त (खाली) हो जाय तो ऐसी सब हालतोंमें शेष ट्रस्टियोंको अधिकार होगा कि वे ट्रस्टियोंकी न्यूनतम संख्या आदिको ध्यानमें रखते हुए यदि आवश्यक समझें तो दृस्टियोकी एक मीटिंग बुलाकर उसके स्थानपर कोई ऐसा नया ट्रस्टी चुन लेवें जो दृस्टीके कामको ठीक तौरसे सम्पन्न कर सके और जिससे ट्रस्टके कामोंमें अच्छी सहायता मिल सके और इस तरह बाद को नियुक्त हुआ हर ट्रस्टी आदिम अथवा अपने पूर्ववर्ती ट्रस्टियोंके समकक्ष होगा और उसको भी ट्रस्टीके सब अधिकार प्राप्त होंगे।
(६) यदि कोई ट्रस्टी ट्रस्टकी लगातार तीन मीटिंगोंमें बिना किसी खास कारणके अनुपस्थित रहेंगे तो उनसे पूछने के बाद ट्रस्टके प्रति उनकी उपेक्षा मालूम होनेपर शेष ट्रस्टियोंको उन्हें ट्रस्टसे पृथक् कर देने और उनके स्थानपर दूसरा योग्य ट्रस्टी चुन लेनेका अधिकार होगा। इस नयेचुने ट्रस्टीको भी ट्रस्टीके सब अधिकार प्राप्त होंगे।
(७) यदि कोई सज्जन 'वीरसेवामन्दिर' या 'वीरसेवामन्दिरट्रस्ट'को अपनी कोई चल या अचल सम्पत्ति प्रदान करना चाहें अथवा कर जाय तो ट्रस्टियोंको उसे ग्रहण करने तथा ट्रस्टके कामोंमें खर्च करनेका पूरा अधिकार होगा। ऐसी बादको प्राप्त सम्पत्ति भी ट्रस्टकी सम्पत्ति समझी जावेगी और उसके साथ भी इस ट्रस्टकी सम्पत्ति-जैसा व्यवहार होगा।
(८) ट्रस्टियोंको ट्रस्टकी जायदाद मौजूदा व आयन्दाका किराया, मुनाफा, लगान, सूद और इनकमटैक्सकी वापिसी आदि वसूल करने और सब प्रकारके प्रबन्ध करनेका पूरा अधिकार होगा। ऐसे रुपयेको भी वसूल करनेका उन्हें अधिकर होगा जिसे कोई कहीं वीरसेवामन्दिरको दान कर गया हो।
(९) ट्रस्टीजन ट्रस्टकी आमदनी और खर्चका हिसाब बाकायदे रक्खेंगे और उसे किसी योग्य ऑडीटर (Auditor) से बऑडिट (जांच) कराकर वार्षिक रूपमें सर्वसाधारणकी जानकारीके लिये अवश्य प्रकाशित करते रहा करेंगे।
(१०) वीरसेवामन्दिर-ट्रस्टके लिये किसी शीडयूल्ड ( Scheduled ) बैंक या बैंकोंमें या पोस्ट