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तस्व-सजा
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विश्वतत्त्व-प्रकाशक
वार्षिक मूल्य )
एक किरण का मूल्य ॥)
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| नीतिविरोधध्वंसीलोकव्यवहारवर्तकसम्यक परमागमस्य बीज भुवनैकगुरुजंयत्यनेकान्त ।
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सम्पादक-जुगलकिशोर मुख्तार 'युगवीर' वर्ष ११
वीरसेवामन्दिर, १ दरियागंज, देहली किरण १२ द्वितीय वैशाख वीरनि० संवत् २४७६, वि. संवत् २०१०
श्रीगोम्मटेश्वर-बाहुबलिजिन-पूजा
(संयोजक-'युगवीर') जीत भरतचक्रीशको, लिया परम वैराग । उन श्रीबाहुवलीशको, जनँ धार अनुराग ॥१॥
(पूजाटक) लमल-धावन विख्यात, अन्तर्मल न हरै; दो वह समता-जल नाथ! कम-कलंक धुले । भीबाहुबली अनि धीर, वीर तपस्विमहा; जय गोम्मट-ईश्वर देव, भवधि पार लहा। (जलक्षेपण) चन्दन शीतल, पर नाहिं अन्तदोह हरै; दो निज अकषाय-स्वभाव, भव-आताप टर। भीबाहुबली अति धीर, चीर तपस्विमहा; जय गोम्मट-ईश्वर देव भव-दधि पार लहा। (चन्दनले०) अक्षत सेवत दिन रात, अक्षय गुण न कर; दो अखय-रसायन देव! अक्षय-पद प्रगटै। श्रीबाहुवली अति धीर, वीर तपस्थिमहा; जय गोम्मट-ईश्वर देव, भवदधि पार लहा॥ (अक्षतक्षे०) प्रभु, कुसुम-शरोंकी मार, मनको व्यथित कर दो अनुभव-शक्ति महान, मन्मथ दूर भग। श्रीबाहुबली प्रति धीर, वीर तपस्विमहा; जय गोम्मट-ईश्वर देव, भवधि पार नहा ॥ (पुष्पो०) नाना विध खाद्य पदार्थ, खाते हम हारे; नहिं बुधा हुई निक, भाए तुम द्वारे। श्रीबाहुबली अति धीर, धीर तपस्विमहा; जय गोम्मट-ईश्वर देव, भवदधि पार लहा। (नैवेद्यक्षे०) दीपक तमहर सुप्रसिद्ध, अन्ततम न हरै; मैं खोजूं आत्मस्वरूप, ज्ञान-शिला प्रगटै। भीबाहुबलीभात धीर, वीर तपस्थिमहा; जयगोम्मट ईश्वर देव, भवदधि पार नहा ।।(दीपले०)