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किरण ७-८1
श्री सत्यभक्तजीके खास संदेश
भारमशानी कहा है। प्रो. विनोभावेनी ब.: the Porta An Epitome of Gandhian. मशरूवाबानीकोनकोई जानता पाचरनकोईराना Thoughts. 'प्रतिसा' तथा 'महावीर और महारमा उपके सम्पर्क में रहा।
पद' पाधक बन । मारूलानी ने क पुस्तकें लिखी है, जिनमें-'The गरे राष्ट्रपतिजाने टीकही कहा है कि इस Purification of Life, The Fundamon का पूरा होगा कठिन है। tals of Education, The Revolution froin
डिपीगंज, विडी ।
श्री सत्यभक्तजीके खास सन्देश
ये सन्देश सत्यभक्त पं० दरबारीलालजीकी ५४वीं वर्षगांठ (जयन्ती) के अवसर पर हालमें उनके स याश्रमवधो २५ अक्टूबरसे प्रकाशित पत्रकाद्वारा प्रचारित किए गये हैं अनेकान्त पाठकोंकी जानकारीक लिये इन्हें पत्रिका के शब्दों में ही यहाँ प्रकाशित किया जाता है
सम्पादक) इस संसारको स्वर्गोम (संयममय प्रेममय वैवमय) स्वामोजीके खास खास सम्देश येनया संसार बनाने क जिय, मनुष्यमात्र कांटुम्बिकता लाने- - ध ने अपने युग और अपने क्षेत्रमें मानवताका के लिये पू. स्वामी सत्यभक्तमाका जीवन है। स्वामीनीने पाठ पढ़ाया हामास उनका अमुक अंश युगमा हो अपने असाधारण स्याग श्रम विना और प्रतिभा जीवन- सकता है पर उसने जो भलाई की उसलिए इमे सब धर्मोके हरएक (धर्म, समाज, रामनाति, अर्थशास्त्र, का, उनके पैगम्बरों का कृतज्ञ रहकर विवेकपूर्ण सर्वधर्म भाषाशास्त्र, संस्कृति श्रादि ) में बड़े ही मौलिक सन्देश समभावी बनना है। दिये है भोर योजनाएं बनाई है, पचामसे ऊपर मलिक (इसकजिय सत्यमकजीने सब चौकी मूर्ति बमा ग्रन्थ लिखे हैं, सर्वस्वका त्यागकर अपनी सम्पत्तिसे सत्या- चित्रवाला सर्वधर्म समभावी सस्यन्दिर सस्याश्रममें श्रम संस्था खड़ीकी है (जो सोलह वर्षों में काम कर रही स्थापित किया है । सब धर्मों के देवाके नाम प्राथनामों में है) देश विदेश में हजारों मोल भ्रमणकर निर्भयता सत्य- लिये जाते है, धर्मसमभाव जनसाधारणमें उतरे इसखिये का प्रचार किया है पैदलभो भ्रमण किया है, मानपातठा अनेक व्यावहारिक योजनाएँ मापनकी है साथही सर्वधर्म भाभको पर्वाह किये बिना जनकल्याणकारी सत्यका सन्देश समभावका दर्शन और इतिहास भी निर्माण किया है। दिया है। सन्देशोंको जीवन में उतारनेक जिरे, उसे सामा २-मनुष्यमात्रकी एक जाति है।बामपान विवाह में जिक रूप देने के लिये, सत्यममाजको स्थापना कीजिसकी उनके योग्य गुणोंका ही विचार होना चाहिये । जातिपातिशाखाएँ भारत और श्राफ्रिकामें जगह जगह है। के बन्धन तोड़ देना चाहिये। हरिजन मादि भच्छे नाम
विश्वमात्रका कल्याण करने वाली योजनाको रखनाभी बेकार है। इमसे जातीयता कायम रहती। फैलानक लिये एक निमित्त रूपमें जगह जगह सस्यमक
1-प्रध.वश्व सा रूदियों प्रबोकिक चमरकारों भाविजयन्ती प्रतिवर्ष मनाई जाती है । गतवर्ष अयोध्या उत्तर
का त्याग करना चाहिये। तकपूर्ण वैज्ञानिक रमिकोण
अपनाना चाहिये । विश्वकल्याणकी कसोटीपर कसकर प्रदेश ) चौदा मध्यप्रदश ! बार्शी (बम्बई प्रान्त) किसी बातपर श्रद्धा रखना चाहिये। सरपन (मध्यभारत) उदयपुर (राजस्थान) करिया वैज्ञानिक या भौतिक सतिसेही मानव जातिका (बिहार) भादि स्थानों में सत्यभक्त जयन्ती मनाई गई
कल्याण होगा, उममें संबम ईमानदारी विश्वसनीयता थी। आपनी अपने यदा यह कार्यक्रम रखकर सत्यकार सहयोगकी भावना होगा सरूरी है। प्रचार करें! अथवा यहाँ पधारका प्रचार में सायोग माशेयके कारय किसीके अधिकार कम न होना दऔर सबपर परज कल्याण के लिये स्वामीजीको चाहिये। मायाक भेट पार श्रद्ध अलि समर्पित कर ।
-श्रमको बधुवाका नहीं महत्ताका चिन्ह सम्ममा