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________________ भेलसाका प्राचीन इतिहास [२९७ देखने गये जहां यह मति प्राप्त हई है और जो पारस नहीं निकली। किन्तु इस पानासे मेरे उस प्रश्नका भी मायन क्लिाहलाता है। के भग्नावशेष बहुत समाधान हो गया। हमारे साथियोंने बताया किपड़ादूर तक फैले हुए है। वर्षा ऋतुके कारण मादियोंका पुरमें एक पेड़ के नीचे एक जैन मूर्ति बहुत दिनों से पड़ी मुण्ड उगा होनेसे हम उस स्थानको पड़ी रहनहीं हुई है। वहमति भी उसी किसे निकली थी। देख सके। फिर भी ऐसा तो प्रतीत होता ही है कि बढ़ापुर पहुंचकर हमने पेड़के नीचे पड़ी हुई उस खुदाई होने पर उस स्थानसे अन्य मी मग अवशेष प्राप्त विशालकाय पगासन मूर्तिको देखा। मर्ति भगवान हो सकते है। पारनायकी है। किन्तु उसका चेहरा एकदमसे उसार कासीबाखाके शरणार्थी भाई भी इस प्रयत्नमें है लिया गया है। जैसे ही हमलोग उस मर्तिके दर्शनार्य कवा मुनि बासे न जाये। उनसे बात-चीत करनेसे गये. मुहल्लेको स्त्रियाँ, जो मुसलमान थीं, कहने लगी, मालूम हुमा कि इस मर्तिके प्रास होने के बाद उनकी इसे उठाकर ले जानो। उन्हींकी जवानी मालूम हुमा सी मच्छी हुई है और जबकि दूसरे लोगोंकी खेतियाँ कि एक भादमी इस मतिको पारसनाथ किसे उरा पानीके बिना सूख गई उनके खेतों में पानीकी कमी नहीं खाया था। उसने इसका चेहरा बोरामा। उसके घर हुई। किन्तु मतिकी व्यवस्था वहाँ डीक नहीं है। उनके में १६ प्राणी थे। थोडेही दिनों में सब से और कोपोंके बीच में एक ऊँचेसे चबूतरे पर मति रखी हुई अब उसका कोई नाम लेगा भी नहीं रहा। तबसे सब है। पहले उस स्थान पर छप्पर पड़ा हुआ था किन्तु बोग करने लगे हैं और मर्ति बैसे ही पपी हुई है। उममें भाग लग गई। सारी पासात मर्तिके ऊपर ही हिमालय पहारकी उपत्यकामें अंगलके बीच में स्थित बरसी है। जब हम पहुंचे तो मर्तिके दोनों कोनों में दो पारसनाथका किला जैनधर्मके प्रसार पर एक ऐतिहासिक रास्त्रियाँ बरक रही थीं। उन्हें हमने खोलकर अलग प्रकाश डालता है। मावश्यकता है कि पुरातत्वज्ञ विद्वान किया। उनका रंग महि पर जमा हुमा था। उस स्थानका निरीक्षण करके अपनी राय और उसके मेरे विचारसे उस स्थान पर मतिका रहना या वहीं पश्चात् उस स्थानकी खुदाई कराई जाये। म पुरातत्वउसकी व्यवस्था वगैरह करना तो उचित प्रतीवनहीं के प्रेमियों तथा उदार दामियोंका ध्यान इसमोर पाकहोता। वहामेलाकर जिलेके ही किसी मन्दिरमें इस र्षित करते हैं। खास करके दानवीर साह शातिमासिको विराजमान कर दिया जाये तो प्रबहा होगा। प्रसादजीका ध्यान हम इस ओर विशेषरूपसे भाकर्षित मेरे मन में एक प्रश्न बराबर उठता था कि पारसनाय करना चाहते हैं क्योंकि आप उसी जिलेके मर रत्न हैं। किसे पारसनाथको मति निकलनी चाहिये थी, सोक्यों (बैग सन्देशसे) भेलसाका प्राचीन इतिहास लेखक-राजमल मवैया-भेलसा मेलसाके प्राचीन प्रसिद्ध नाम-महनपुर, भद्रकाबती, उदयगिरि पर गुफामों में बैठकर 'मेघदूत' काम्यकी विदिशा, सनगर, मालमगीरपुर, मेबसा। रचना की। भद्दलपुरके समय पहाड़ी उदयगिरिका परिचय श्री १००८ दस कर श्री शीतलनायक गर्भ, पहार पर २० गुफायें हैं। ये गुफायें वीं शताग्दो सम्म, सप.. कल्याणक यहाँ पर हुए । इस कारण यह की बनी प्रतीत होती है। गुफा नं. १, २. पहारको पुण्य भूमि है ' श्री रामचन्द्रजीका वनवास के समय गुमा- चोटी पर, बाकी उसकी कदमें बनी हुई हैं। गमन । महाराजा विक्रमादित्य मन्मकवि कालिदासने गुफा नं.१,२. दिगम्बर जैन समाजकी हैं। जिनमें
SR No.538011
Book TitleAnekant 1952 Book 11 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1952
Total Pages484
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size29 MB
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