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________________ भगवान् पार्श्वनाथका किला लेखक-श्री ६० कैलाशचन्द्रजी सिद्धान्तशास्त्री उत्तर प्रदेश मिला विनगौरमें नगीना नामका एक अधिक है। यहाँ गभाई भी उत्साहीहै। रहोंने बवाह उत्तरीय रेलवेकी मुरादाबाद-सहारमपुर बजे भरके जैन भायोंके सहयोगमे एक जैन हायर पाहनपर स्थित रेलवे स्टेशन है और उबरसे भानेसेकेंड्री स्कूल स्थापित म्यिा है, जो नहटौरके तीन स्कूलोंपाने वाली प्रत्येक गादी वहाँ सकती है। में सर्वोतम माना जाता है। करीब दस हजार रुपया नगीवाने पाठ मीलकी दूरी पर एक बढ़ापुर मामका सर्च करके सोमके कामका एक विशाल गजरथ पवाषा कस्बा और बकापुर से करीब 1-1 मीट पर कासीपुरा है, जिसकी प्रतिष्ठा बादोंमें होने वाली है। नहटौरके पाकासीमामा मामा एक गाँव है। नगीनाले रमीज कुछमाई उक मूर्तिके बहुत ही भक है। पर मार्ग में बोह नामकी नदी पड़ती है। वहाँ तक पक्की पिछले दिनों भारतीय दि. जैन संघके कार्यालय में सबक है।बोहमदी पर पुल नहीं है। इससे बरसातमें उमका एक पत्र माया, जिससे मालूम हुमा कि सरकार इसमदीको पार करना कठिन ही है। दूसरे इम नदीका उस मूर्तिको कासीवाखासे उठाकर देहली राष्ट्रपति भवन बहाव बहुच तेज होता है और इसकी सस-भूमि भी में ले जाना चाहती है। इससे जिला बिजनौरके जैनियों में कसार नहीं है: मिश्चित जलमार्गसे जरा भी इधर- और खासौरसे महशेरके कुछ म भायोंमें बहुत थे. पर होनेसे इसमें खानेका भय रहता है। तीसरे चैनी है। मेरे पास भी रजिस्ट्री-पन्न भाया । मुझे महटौर इस नदी सबमें पैर रखते हुए चले जाने में तो कोई जाना था अतः मैंने एक बार मूर्तिक शंकर बनेका भवनहीं है किन्तु थोड़ी भी देर रकने से पैरोंके नीचेसे चिार किया। नहटौर जाने पर मालूम था कि भाज विसकने बगता है और मनुष्य गहराई में जाने जगता कल यहाँ जाने के कापक मार्ग मही। किन्तु बहकि कृष है। सवाल-गादियोंका है। परमात बीत जाने पर भाईयोंका अत्यन्त साह बकर मैंग भी जानेका और डर जाती है और जब तांगा भार मांटर भी जा संकल्प पर जिया। सकते है। महम्मे नगीना तक हम नग हाँगांस गये और कासीवाला गाँवमें एक टीला है जो पारसनाथका भगीनामें खा-पीकर सुबहके नौ बजे के करीष बैलगादीसाता । पहले यह स्थान बाहर अंगल था। से रवाना हुए। हम सब स्त्री-पुरुष १२.१४थे और बैल किस शरणार्थियोंके बस मानेसे बहा मजको काटकर मावीमें 4-6 का ही स्थान था। पहः उतरते-घदत जमीनको खेतीके योग्य बना दिया है और अब बड़े पैमाने चले। करीब शामके ॥ बजे मांग कासीवाला पर खेसोती है। पहुँचे। और मूर के दर्शन किये । म बहुत ही मनोज गत वर्ष कपिलेसं एक मूर्ति एक शरणार्थी है। एक ही पपरमें तीन मायाँ किस हैं। बीच में भारको प्राप्त है। जिले के जैनियों को पता लगा तो वे पद्मासम मुख्य मूर्ति भगवान महावीरकी है और उनपीनाथ गये और उन्होंने इसकी कुछ व्यवस्था के दोनों ओर भगवान नेमिनाथ और भगवान चन्द्रप्रमवगैरह भी की। कीबदमासन मूतिया है। तीनों मर्तियोंके मीचे नि मैं भी बिना बिजनौरका निवासी हूँ| बा अपने स्ने हुए हैं। मतिं पर १०६७ सम्बत् खुदा हुधा है जो जिलेमें पारस पथके किलंके मामले प्रसिद्ध स्थान धौर उस. विक्रम सम्बत् होना चाहिये । अत: यह मूर्ति एक से प्राप्त मूर्तिको देखने की उमएठा मा स्वभाविक ही हमार वर्ष जितमी प्राचीन है। मुझे तो उस मति में पैसाहै। मेरे सम्म स्थान महटौरसे नगीना शायद " मोल ही भाकर्षण प्रतीत हुमा, सानाकर्षय श्री महावीरजी है। जिला विचौरमें नहरीर ही एक ऐसा स्थान है जहाँ (चान्दन गाव) की मति है। बियोकी संख्या जिले के सम्म स्थानोंकी अपेक्षा सबसे महिने शंभ करने के बाद हम योग रास रीमेकी
SR No.538011
Book TitleAnekant 1952 Book 11 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1952
Total Pages484
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size29 MB
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