________________
वार्षिक मूल्य ५)
विश्व तत्व-प्रकाशक
वर्ष ११ किरण ७-८
ॐ म्
नीतिविरोधध्वंसी लोकव्यवहारवर्तकः सम्यक् । परमागमस्य बीजं भुवनेकगुरुर्जयत्यनेकान्त ॥
सम्पादक - जुगलकिशोर मुख्तार 'युगवीर'
वीर सेवामन्दिर, अहिसा मन्दिर बिल्डिंग १, दरियागंज, देहली आश्विन, कार्तिक शुक्ला, वीर वि० सं० २४७१ वि० सं० २००६
{
इस संयुक्त किरण का मूल्य
सितम्बर अक्टूबर १३५२
श्रीमत्प्रभाचन्द्र - शिष्य - पद्मनन्दि - विरचिता
भावना - पद्धतिः
( भावना - चतुस्त्रिशतिका)
[ यह 'भावना-पद्धति', जिसे १४ पथमें रचित होनेसे 'भावना-चतुस्त्रिशतिका' भी कहते हैं, कोई दो हुर जयपुर में बड़े मन्दिरके शास्त्र- अवहारका विरोध करते हुए मुझे एक अतिभीर्य शीर्थ गुटके परसे देखने को मिश्री थी। देखने पर वह भावनात्मक जिनेन्द्रस्तुति अति सुन्दर जान पड़ी और इसलिये बादको पं० कस्तूरचन्द श्री काशीवाल एम० ए० से इसकी कापी कराकर मंगाई गई, जिसके लिये मैं उनका आभारी हूँ । प्रतिके अशुद्ध होनेसे अभी तक इसे प्रकाशित नहीं किया जा सका था। इसमें परिश्रमपूर्वक प्रत्यके संशोधनका यथाशक्ति प्रचस्य किया गया और उसीके स्वरूप धान पद भावपूर्ण स्तुति अनेकान्स- पाठकोंके सामने रक्की नाही है। भा चन्द्राचार्य के शिष्य पदमयन्दि झुनिकी कृति होनेसे यह विक्रमकी १४वीं शताब्दीकी रचना है और इसलिये इसको बने हुए भाव १०० वर्षसे ऊपर हो गई है । है पाठक इस पुराउन पूर्व द्योमन कृषिको पाकर मसन होंगे और इससे पर्यामागे ।
[ Shihath