________________
विषय-सूची
१. भावना-पद्धतिः -सम्पादक २५६ -भगवान् पाश्वनाथका किला २. समन्तभद्र-वचनामृत -युगवीर २६४
पं. कैनाशचन्द्रजी शास्त्री २६६ ३. महाकवि रवधू पं०परमानन्द जैन शास्त्री २६५ १०. भेलसाका प्राचीन इतिहास ४. युक्त्यनुशासनको प्रस्तावना
राजमल मडवैया २६७ -० जुगलकिशोर मुख्तार २६१ ११. जैन पूजाविधिके सम्बन्ध जिज्ञासा ५. बुन्देलखण्डके कविवर देवीदास ।
-बा. माईदयाल बी०ए० २६ -पं० परमानन्दजैन शास्त्री २७३ १२. किशोरीलाल घनश्याम मशरूवाला ६. विश्व एकता और शक्ति
बा. माईदयान बी० ए० ३०० -बाबू अनन्तप्रसादजैन B.Sc. २६४ १३. श्री सत्यभक्तजीके खाम सन्देश ३०१ ७. गीताका स्वधर्म-प्रो. देवेन्द्र कुमारजैन २६१ १४. स्व-पर गुण पहिचान-वविवर देवीदास ३०२ ८. बिरोध और सामन्जस्य
१५. विश्व में महानतम-(हिन्दुस्तानसे) -डा. हीरालाल जैन एम०प० २६३ १६. देहलोमें वीर-सेवा मन्दिर ट्रस्ट की मीटिंग ३०४
॥ वीर-सेवा-मन्दिरका स्थायी दफ्तर देहलीमें ॥ अनेकान्तके प्राहकों और पाठकॉसे निवेदन है कि अब "बीर सेवा-मन्दिर " का स्थाई दपतर देहलीम हो गया है। अतः सर्व प्रकारका पत्र-व्यवहार निम्न पते पर करें।
___मैनेजर- 'अनेकान्त वोर सेवा मन्दिर C/o अहिमा-मन्दिर बिल्डिंग,
१, दरियागंज, देहली।
अनेकान्तकी सहायताके सात मार्ग
(.)चमेकात 'सर' तथा 'सहाय'बनना और बनाया। (१)स्वयं बकाम्बके ग्राहक बनना तथा दूसरोंको बनाना । (.) विवाह-शादी धादि दानके अवसरों पर बनेकाम्तको भकी सहायता मेजमा तथा भिजवाना। (.)अपनी बोरसे दूसरोंको भनेकान्त भेंट-स्वरूप अथवा फ्री मिजाना; जैसे विचा-संस्थानों, बामने रियों, ___ सभा-सोसाइटियों और जैन-अजैन विद्वानोंको। (२)विद्याधियों भादिको बनेकान्त अर्थ मूल्य में देने बिते २५),२०) मादिकी सहायता भेजना । २५) की
सहायता की अनेकान्त अर्धमूलपमें भेजा जा सकेगा। (1)अनेकात ग्राहकोंको मच्छे ग्रन्थ उपहारमें देना व्या दिवाना। (-)ोकहितको साथमा सहायक अच्छे सुन्दर बेख लिखकर भेजना बथा चित्रादि सामग्रीको प्रकाशनार्थ मुटामा।
सहायठादि भेजने तथा पत्रव्यवहारका पता:गोर-दस ग्राहक बनानेवाले सहायकोंको
मैनेजर-'अनेकान्त' 'अनेकान्त' एक वर्ष का मेंट
वीरसेवान्दिर, अहिंसा मन्दिर बिल्डिंग स्वरूप भेजा जायगा।
१, दरियागंज, देहली