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जोधपुर इतिहासका आवरित पृष्ठ
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१९०३ के विजय दशमीको जोधपुरके महाराजा मालदेवने द्वि जैतसी। सा० तेजा सहिमलको दिया था। परवर्ती दो परवानोंमें २ वस्ता पु.देवीदास १ नगराज २ पितर छ उसी बातको दुहराया गया है । परवर्ती राजाओ द्वारा (वस्तान बेटो प्रत्यक्ष हूवो (बेटो दीपो केसरीसिंघ) पूर्व प्राप्त दान माफीकी बातको पुष्ट किया गया है ।
२. जैतसी पु. जैराज १ जसवंत २ जगमाल ३ जोषा मूल परवाने में लिखा गया है कि सा. तेजा सीहमल ४ जैकर्ण ५ जगमाल ६ गदहीया "रावलें बड़े अवसाण आया छै सुइणा नु मया कर १ जैराज पु. रूपचन्द १ अमीचंद २ दुलीचद ३ रूपधरतीमें दाण जगात बगसीयो है" बीजो ही इणा नु क्युं न चंद पु. कपूरचद १ लागे, सरब माफ छ। स्याम धरमी छोर छै।" इन शब्दों- २ अमीचंद पु अनोपसिंघ १ अजबसिंघ २ द्वि आणंद से जोधपुर राज्यके ये कभी किसी बड़े काम आये थे, ज्ञात ३ विरधा ४ सावत ५ अखा ६ तेजा ७२ अजबसिंघ पु. रतनजी होता है। पर यह बड़ा काम क्या था? अभी तक अज्ञात था। १ अनोपसिघ पु. भाऊजी, सांवल जी । भाऊजी पु. जोधपुर इतिहास में इसका कुछ भी विवरण नहीं मिलता। लालचंद १ सवाई २ उमा ३ लालचंद पु. खेता १ अमा २ मैंने इसे प्रकाशित करते समय लिखा था कि “अब इनके २ जसवंत पु. मयाचंद, पेमराज २ रामचद ३ हरचंद वंशमें कोई है या नही? तेजा सीहमलने क्या सेवा बजाई ४ किमनचद ५ (मयाचद पु. विरधीचंद) थी? वे कहा रहते थे ? आदि बातें अन्वेषणीय है।" आशा पेमराज पु. भगोतीदास १ दीनानाथ २ गुलाबचंद की गई थी कि जोधपुरके कोई सज्जन या उनके वंशज इन ३ भावसंघ ४ पु. सिरदारा १ बातोंपर विशेष प्रकाश डालेगे पर इतिहासकी ओर उदासीन १ भगोती पु. थिरपाल १ होनेके कारण किसीने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया प्रतीत २ दीनानाथ पु. रुघनाथ १ जिणदास २ चंद ३ । होता है। आज तो लोग रोटीकी समस्याको हल नही कर जिणदास पु. सुरताण । पाते तब इस ओर ध्यान दे भी कैसे ! मेरे जैसा प्राचीन ३ गुलाबचंद पु० इतिवृत्तका प्रेमी इन विस्मृत बातोंको प्रकाशमे लानेका ४. जोधा पु. रामचद १ उदचद २ ताराचंद ३ देवचंद४ प्रयत्न करता है तो लोग इसे 'मुर्दैको कब्र खोदकर बाहर (जोधा कारकन हवी मेडतै, सं. १७३४ म. जसवंत निकालना' कहते है, अस्तु । मेरी खोज चालू ही थी। अभी सिंहजी रै) उस दिन अपने संग्रहकी ओसवाल वंशावलियोको उलटते १. रामचंद पु. सुकलचंद १ म्वो० श्रीचंद पु खुस्याल पुलटते समस्याका हल एक वशावलीमे ही प्राप्त होगया। चंद १ पाठकोकी जानकारीके लिये वंशावलीका आवश्यक अश २ उदचंद पु. छजमल १ छीतर २ छजमल पुत्र सरूपयहा उद्धृन कर दिया जाता है। इससे तेजाके वशजोंके चद १ वखतमल २ तखतमल ३ नामादि ज्ञात होनेके साथ वह किस बड़े अवसाण (मौके ४ जोधा द्वि. भा. तिलोकचद १ कार्य) पर काम आया था, पता चल जाता है।
इसके बाद सीताकी वंशावलि आरंभ होती है वंशावली का उद्धरण
जोधपुर या उसके आसपास कहीं गदहीये तेजोके गादहीया गोत्र
वंशज अब भी संभवतः निवास करते होंगे उनमेंसे कोई सिनामोने चोरडिया शाखाय गादीया सज्जन जातीय इतिहास व स्ववंशके गौरवका प्रेमी हो
माजमा डागाडीमा जाणिवा तो इस सम्बन्धमे विशेष जानकारी प्रकाशमें यें यह अनुरूपारेल विरुदमभूत् । पत्तन मध्ये । साभइसा पु. कउंरा रोष है। पु.छाहड पु.पाल्हण पु. केल्हण भा. कमलादे पु. लिखमीधर तेजा १.छोहर।
४. तेज गढ़ जोषपुर लोगो तेरी बाकी-राठोड़ जोधपुरे गादहीया .
वीरमदे दूदावत रावजी श्रीमालदेजी ऊपर सूर पातिसाहो ४ तेजा पु. सीहमल १ समरथ २। सीहमल पु. वस्ता १ कटक ल्यायो। संः १६.० वर्षे अंतो कूपो समेल काम भायो।