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भारतमें आत्मविद्याकी अटूट धारा
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है कि उन्होंने सबसे पहले भारतके अध्यात्मिक तत्वों अध्यात्मविधाको इस प्रकार अनधिकारी लोगोंसे और उनके आख्यानोंको उपनिषदों, ब्रह्मसूत्र, योगसूत्र सुरक्षित रखनेका विधान केवल भारतके सन्तों तक ही आदि दर्शनशास्त्र व पुराणोंकी शकलमें संकलन व लिपिबद्ध सीमित न रहा है, भारतके अलावा जिन अन्य देशोंमें करनेका साहस किया। यदि इन द्वारा संकलित की हुई अध्यात्मिक तत्वोंका प्रसार हुआ है, वहांके अध्यात्मिक अध्यात्म चर्चाएं हमारे पास न होतीं, तो बुद्ध और महावीर सन्तोंने भी इस विद्याको अनधिकारी लोगोंसे बचाकर रखनेकालसे पहलेकी अध्यात्मिक संस्कृतिका साहित्यिक प्रमाण का भरसक यत्न किया है। आजसे लगभग २००० वर्ष पूर्व बुढ़ना हमारे लिये असंभव था। जैन लोगोंमें लिखित जो जब पश्चिमी एशियाके यहूदी लोगोंमें प्रभु ईसा ने आध्यालिखित साहित्य आज मिलता है, उसकी परम्परा महावीर त्मिक तत्वोंकी विवेचना शरू की तो बहुत विवेक और निर्वाणके ६०० वर्ष पीछे अर्थात ईसाकी पहली सदीमें सावधानी से Parables अर्थात रूपकों द्वारा ही की।' उस समयसे शुरू होती है, जब जैन आचार्योंको यह कि कही वे अपनी नासमझीसे इन तत्वोंको बिगाड़कर कुछअच्छी तरह भान हो गया था, कि अध्यात्म तत्त्वबोध दिनोंदिन का कुछ अर्थ न लगा बैठें और फिर विरोध पर उतारू हो घटता जा रहा है, और यदि इसे लिपिबद्ध न किया गया तो जायें। इसीलिए प्रभु ईसाने इस बातको कई स्थलोंपर दोहरहासहा बोध भी लुप्त हो जायगा ।।
राया है-"जो बहुमूल्य और पवित्र तत्व हैं, उन्हें श्वान
और वाकवृत्तिवाले लोगोंके सामने न रखा जाय, कही ये अध्यात्मविद्या सभी लोगोंमें रहस्यविद्या
उन्हें पाओंसे रोंदकर तुम्हें ही फाड़ने के दर पर बनकर रही है
न हो जायें। भारतके सभी धर्मशास्त्रोमें जगह जगह अधिकारी
३. "But without a parable spake be और अनधिकारी श्रोताओंके लक्षण देते हुए बतलाया गया
not into them",Bible-Mark,IV34. है कि अध्यात्म विद्याका बखान उन्हीको किया जावे जो ४. (अ) It is not meet to take childजितेन्द्रिय और प्रशान्त हों, हस समान शुद्ध वृत्ति वाले हों, ren's bread and to cast it into the जो दोषोंको टाल कर केवल गुणोका ग्रहण करने वाले
dogs. Bible--Marke VII 27 हों।
(आ) Give not that which is holy
into the doga, not castye your १. वही षट् खण्डागम-डा० हीरालाल द्वारा लिखित
pearls before swine lest they प्रस्तावना ।
tramble them under their feet and २ (अ) महाशान्तिपर्व अध्याय २४६ ।
turn agin and rend you." (आ) वही षट् खण्डागम-गाथा ६२,६३ ।
Bible-Mathew VII 6.