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अनेकान्त
भारत के अहिंसक महामना सन्त श्री पूज्य गणेशप्रसादजी वर्णी की
वर्ष गांठ पूज्यवर्णीजी भारतके ही अहिंसक सन्त नहीं हैं, किन्तु वे दुनियाके आध्यात्मिक सन्त हैं। उन्होंने अपने ७८ वर्षके जीवनमें देश, धर्म और समाजकी जो सेवा की है, वह भारतीय इतिहासके पन्नों में स्वर्णाक्षरों में अंकित रहेगी। भारत आध्यात्म विद्याका सदासे केन्द्र रहा है और आजभी वह केन्द्र बना हुआ है। भारतको पूज्य श्री गणेषप्रसादजी वर्णी जैसे महासन्तोंसे गर्व है। इतनी वृद्धावस्थामें भी उनका दिल व दिमाग आत्म-साधनाके साथ जगतके पीड़ित एवं दुखी जनोंको आतंभावनाओं को दूर कर उन्हें वास्तविक-सुखशान्तिका सच्चा आदर्श उपस्थित कर रहा है। पाठकोंको यह जानकर अत्यन्त हर्ष होगा कि श्री पूज्य वर्णीजी की ७९वी जन्म जयन्ती असौज वदी चतुर्थी ता०७ सितम्बर १९५२ को है। अत. आप सब महानुभावोंका कर्तव्य है कि प्रत्येक नगर व ग्राममें उक्त महापुरुषकी शुभ जयन्ती मनाते हुये उनके शतवर्ष जीवी होने की कामना करें। साथ ही उनके मौजूदा जीवनसे लाभ उठाते हुये उनके द्वारा निर्दिष्ट मार्गका अनुसरण कर आत्म-विकास करनेका प्रयत्न करें। म उनके शतवर्ष जीवी होनेकी कामना करता हुआ अपनी श्राजलि अर्पित करता हूं।
श्रबावनत परमानन्द जैन