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ॐ अहम्
विश्व तत्त्व-प्रकाशक
वार्षिक मूल्य ५)
इस किरणका मूल्य ॥)
नीतिक्रोिषवसीयोकव्यवहारवर्तक-सम्यक् ।। परमागमस्यबीज भुवनेकगुरुर्जयत्यनान्तर
वर्ष ११ किरण ६
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सम्पादक-जुगलकिशोर मुख्तार 'युगवीर'
वीरसेवामन्दिर सरसावा जि. सहारनपुर भाद्रपद शुक्ल, वीर-संवत् २४७८, विक्रम संवत् २००६
अगस्त १६५२
श्रीपार्श्वनाथ स्तुति और महर्षि स्तुति
प्रस्तुत 'पार्श्वनाथस्तुति' और 'महर्षिस्तुति' ये दोनों ही हालमे देहली पंचायती मन्दिरके शास्त्रभंडार (गुटका नं.६) से उपलब्ध हुई है। पहली स्तुति 'वेणु' वर्णीको रचना है जैसाकि उसके पद्य नं. ९ से जाना जाता है; परन्तु ये वर्णी महाशय किसके शिष्य थे और कब हुए है इसका कोई पता स्तोत्रसे नहीं चलता । इनकी दूसरी कोई कृति भी अभी तक सामने नही आई अतः इस विषयमें खोजकी जरूरत है। यहांपर सिर्फ इतना ही प्रकट किया जाता है कि जिस गुटकेमें यह स्तुति पाई जाती है उसकी विषय-सूची पुस्तक-संचिका-दृष्टिक' “संवत् १७६५ अश्विनवदि ९ शनि" की लिखी हुई है। इससे यह स्तुति उक्त संवत् या उससे पहलेकी रचना जान पड़ती है, इतना तो सुनिश्चित है। विशेष हाल बादके अनुसंधानपरसे मालूम हो सकेगा। दूसरी 'महर्षिस्तुति' मे कर्ताका नामादिक दिया हुआ नहीं है । संभव है कि किसी ग्रंथका यह एक अंश हो और उसी परसे उद्धृत हो। जिन जिन विद्वानोंको इसके विषयका विशेष हाल मालूम हो उन्हें उसको प्रकट करना चाहिए। यह भी स्तुति उक्त सवत्-जितनी पुरानी तो जरूर ही है। दोनों ही स्तुतियां अच्छी सुन्दर हैं, और इसीसे उन्हें अनेकान्त-पाठकोके अवलोकनार्थ यहा प्रकट किया जाता है।
-सम्पादक श्रीपार्श्वनाथ-स्तुतिः भविक-कामिक-बान-सुखमः पब-नसावलि-निजित-बिनुमः । सुयशसा-परिपूर्ण-विशान्तरः सूजतु मां मम पार्वजिनेश्वरः ॥१॥