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विषय-सूची
१ श्री पार्श्वनाथ-स्तुति और महपि-स्तुति
६. पूज्य वर्णीजीका एक आध्यात्मिक पत्र २४०
---सम्पादक २७, ७. अनेकान्तकी महायताका सदुपयोग २ ममन्तभद्र-वचनामृत
---युगवीर २२९ ८. कविवर बधजन और उनकी रचनाएँ ३ विश्व-गुद्धि पर्व पर्यपण
--परमानन्द जेन २८३ -वी वी. कोछल वकील २३३ जोधपुर इतिहासका एक आवरित पृष्ठ भाग्नके अहिमक महमना मन्तथी पूज्य
अगरचन्द नाहटा २८८ गणेशप्रसादजी वर्णीकी वर्षगाठ २३४ १० श्री कुन्दकुन्दाचार्य --परमानन्द जैन ५ आन्मविद्याको अट धाग
११ म्व० थी दीनानाथ जी मगवगी. कलकना -~-वाब जयभगवान एडवोकेट -३५ ।
--मम्पादक २५५
अनेकान्तकी सहायताके सात मार्ग (१) अनेकान्तके 'संरक्षक' तथा 'सहायक' बनना और वनाना। (२) स्वयं अनेकान्तके ग्राहक बनना तथा दूसरोंको वनाना । (३) विवाह-शादी आदि दानके अवमरोंपर अनेकान्तको अच्छी महायता भेजना
तथा भिजवाना । (४) अपनी ओरसे दूसरोको अनेकान्त भेट-म्वरूप अथवा फ्री भिजवाना; जैसे विद्या
संस्थाओं, लायबेरियों, सभा-मोसाइटिया और जैन-अजैन विद्वानोको । (५) विद्यार्थियों आदिको अनेकान्त अर्ध मूल्यमे देनेके लिये २५),५०)आदिकी महायता
भेजना। २५) की सहायतामें १०को अनेकान्त अर्थमूल्यमें भेजा जा सकेगा। (६) अनेकान्तके ग्राहकोंको अच्छे ग्रन्थ उपहारमे देना तथा दिलाना। (७) लोकहितकी साधनाम सहायक अच्छे मुन्दर लेग्व लिखकर भेजना तथा चित्रादिसामग्रीको प्रकाशनार्थ जुटाना ।
महायनादि भंजन तथा पत्रव्यवहारका पता-- नोट--दस ग्राहक बनानेवाले महायकोको 'अनेकान्त' एक वर्ष तक भेटस्वरूप
मैनेजर 'अनेकान्त' | वीरसेवामंदिर, सरसावा जि. सहारनपुर ।
भेजा जायगा ।