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________________ किरण ४-५ ] साहित्य परिचय और समालोचन २२५ ३. स्यावाद सिदि:-मूलकर्ता, आचार्य वादीभसिंह- पुस्तकका विषय उसके नामसे स्पष्ट है। इसमें जैनियोंसूरि । सम्पादक, न्यायाचार्य पं० दरबारीलालजी कोठिया। के चौवीसवें तीर्थंकर भगवान महावीरके जीवनका दिग्दर्शन प्रकाशक, पं. नाथूरामजी प्रेमी, मत्री माणिकचन्द दि. जैन कराया गया है। लेखकने श्वेताम्बरीय आचारांग सूत्रके ग्रन्थमाला हीराबाग, बम्बई ४। पृष्ठ संख्या १४०। मूल्य मूल भावोको आधुनिक दृष्टिकोणके साथ सरल भाषामें डेढ रुपया। रखनेका प्रयल किया है और उसका सम्पादन भाई जमनाप्रस्तुत ग्रन्थका विषय दार्शनिक है, उसमें विविध दर्शनों- लालजीने किया है । पुस्तक उपयोगी है, इसके लिए लेखक के मन्तव्योंकी अलोचना करते हुये स्वमतका सस्थापन किया और सम्पादक धन्यवादाह है। गया है। प्रायः सारा ही ग्रन्थ संस्कृतके अनुष्टुप् छंदमें रचा ६. प्राचीन भारतीय संस्कृतिमें नारीका स्थान-लेखक गया है, रचना गम्भीर और प्रसादगण युक्त है । ग्रन्थका रघुवीरशरण दिवाकर । प्रकाशक,मानव-साहित्य-सदन, अन्तिम भाग किसी कारणवश खडित हो गया है,उसकी यह मुरादाबाद । पृष्ठ संख्या ४० । मूल्य बारह आना। अपूर्णता हमारी असावधानीकी ओर संकेत कर रही है जिसका प्रस्तुत पुस्तकमें भारतीय संस्कृतिमें नारीके साथ किये हमें खेद है। इसी तरहकी उपेक्षा और असवाधानीसे जाने वाले अन्याय, अत्याचारोका सप्रमाण उदघाटन किया हमारा कितनाही बहुमूल्य साहित्य आज अनुपलब्ध हो रहा गया है। पुस्तकको लिखकर दिवाकरजीने जनताकी है, आशा है समाज भविष्यमे इस असावधानीको पनपने आखे खोल दी है । पुस्तक सरल और रोचक ढंगसे लिखी नही देगी । ग्रन्थको प्रस्तावना महत्वपूर्ण है और उममें ग्रन्थ- गई है इसके लिए वे धन्यवादके पात्र है। कर्ता वादीभसिंह सूरि तथा उनके समय सम्बन्धादिके विषय ७. धर्म और समाज-लेखक पं मुखलालजी सघवी । में पर्याप्त विचार किया गया है, साथ ही, ग्रन्थका हिन्दीमें सम्पादक, दलमुख मालवणिया। प्रकाशक, पं० नाथूराम प्रेमी संक्षिप्त सार और विषयसूचीभी लगा दी गई है जिससे प्रस्तुत स्व० हेमचन्द मोदी पुस्तकमाला, हीराबाग, गिरगाव, बम्बई । सस्करणकी उपयोगिता अधिक बढ़ गई है। इसके लिए पृष्ठ मण्या, २०८ । मूल्य डेढ रुपया। सम्पादक प दरबारीलाल जी और ग्रन्थमालाके सुयोग्य प्रस्तुत पुस्तक प सुग्वलालजी संघवीके विचारात्मक मन्त्री श्रद्धेयप. नाथूराम जी प्रेमी बम्बई धन्यवादके पात्र है। निबन्धोका मग्रह है। इसमें २४ निबन्ध अकित है जिनमें धर्म ग्रन्थ पठनीय है और संग्रहणीय है। ___और समाजकी वस्तुस्थितिका अच्छा चित्रण किया गया ४ भारतीय राष्ट्रीयता किषर-लेखक, रघुवीर शरण है। पडितजी गहरे विचारक है और उनकी लेखनी भी दिवाकर । प्रकाशक मानव-साहित्य-सदन मुरादाबाद, । पृष्ठ विचारको नूतन सामग्री प्रस्तुत करती है। प्रेमीजीने स्व० सम्या ७८ । मूल्य एक रुपया । हेमचन्द मोदी ग्रन्थमालामे इमका प्रकाशन कर जगतका ___ इस पुस्तकमे लेखकने भारतीय साहित्यके अध्ययन भारी उपकार किया है, इसकेलिए वे धन्यवादके पात्र है। और मननस्वरूप नारीत्वके शोपण और पददलनकी करुण पुस्तक पठनीय और संग्रहनीय है। कहानीके साथ नारी पूजाके रहस्यको प्रकट किया है, और ८ तत्वार्थसूत्र-मूल लेखक, श्री १०८ गृद्धपिच्छाचार्य, नारी-जीवनके खिलाफ दिये जाने वाले फतवे, यहा तक सम्पादक, प० कैलाशचन्दजी शास्त्री । प्रकाशक, भारतीय कि पतिके मृत शरीरके साथ नारीको जीवित जलाने जैसी दिगम्बर जैन संघ मथुरा । पृष्ठ सख्या २५६ । मूल्य दो रुपये मती-प्रथाके रहस्यका भी उद्भावन किया है । दिवाकरजीने आठ आने ।। पुस्तकमें अपने स्वतन्त्र विचारोंका निर्भयतामे प्रदर्शन तत्वार्थमूत्र जैन ममाजका एक बहुमूल्य सूत्र ग्रन्थ है, किया है । इम स्पष्टवादिताके लिए वे धन्यवादके पात्र है। उसके कर्ता उमास्वाति बतलाये जाते है। इस सूत्र ग्रन्थका आशा है भारतीय विद्वान इसे पढकर नारी जीवनको ऊंचा श्वेताम्बर दिगम्बर दोनों ही समाजोमें समादर है। श्वेताम्बर उठानेका प्रयत्न करेंगे। समाजकी अपेक्षा दिगम्बर समाजमें इसका पठन-पाठन ५. महावीरका जीवन दर्शन-लेखक, ऋषभदाम अधिक तादादमें होता रहा है उस पर महत्वपूर्ण प्राचीनस गंका । सम्पादक, जमनालाल जैन । प्रकाशक भारत महा- प्राचीन टीकायें भी प्राचीन आचार्यों द्वारा समय-समयपर मंडल वर्धा । पृष्ठ ४२, मूल्य ६ आने। लिखी गई है। श्वेताम्बर परम्पग मान्य सूत्र नन्वार्थाधिगम
SR No.538011
Book TitleAnekant 1952 Book 11 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1952
Total Pages484
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size29 MB
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