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किरण ४-५]
दुनियाकी नजरोंमें : वीरसेवामन्दिरके कुछ प्रकाशन
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एकनिष्ठ उपासक महर्षि जुगलकिशोर मुख्तार यांनीच "-सभी अब आबोपात देवलिया, अत्यानन्द हआ। करावें । व ते त्यांनी नुकतेच संपादित नि प्रकाशित केलेल्या श्री समन्तभा-भारतीका नमूना तो बहुत सुन्दर, बहुमोल, 'स्वयभूस्तोत्र' व 'युक्त्यनुशासन' या सर्वांगसुन्दर पुष्पद्वयास मनोजरूपसे आपने उसका संकलन, अनुवाद, सुन्दर प्रस्ता१०६ व ४८ पानांची बृहत् प्रस्तावना जोडून केले आहे। वनादिसे प्रकाशित किया है । इसीलिये आप धन्यवादके पात्र अध्यात्मप्रेमी रसिकानी ती दोन्ही प्रकाशने 'वीरसेवामन्दिर, है ही। साथ साथ आपका साहित्यका दीर्घ अभ्यास और सरसावा' येयून मागवून जरूर अभ्यासावीत।"
परिचय होता है । आप सरीखे विद्वानोसे और ऐसे ही बहु७. श्री आण्णगौडा आदगौडा जैन पाटील, सैक्रेटरी, मोल ग्रथसाहित्य सभ्रमसे प्रकाशित होने के लिये आप शताय "श्री शातिनाथ लायब्रेरी", शेडबाल (बेलगांव)-- होवें ऐसी श्री जिनेद्रचरणोमे प्रार्थना है।"
संरक्षकों और सहायकोंसे प्राप्त सहायता
अनेकान्तके सरक्षक और सहायक सज्जनोंसे जो सहायता अभी तक प्राप्त हुई है उसकी तफसील इस प्रकार है:५००) बा. नन्दलालजी सरावगी, कलकत्ता मध्ये २५१) ला० रघुवीर किशोरजी, जैना वाचक०, देहली १५००) के
१०१) बा० ऋषभचन्दजी जैन, कलकत्ता, मध्ये २५१) बा० सोहनलालजी कलकत्ता
२५१) के २५१) ला० गुलजारीदास ऋषभदास, कलकत्ता १०१) बा० मोतीलाल मक्खनलालजी, कलकत्ता २५१) बा. दीनानाथजी सरावगी,
१०१) बा० जीतमलजी, कलकत्ता २५१) बा० रतनलालजी झांझरी,
१०१) बा. चिरजीलालजी सरावगी, २५०) सेठ बलदेवदासजी,
१०१) बा० लाल चन्दजी सगवणे, २५१) सेठ गजराजजी गंगलाल,
१०१) बा. काशीनाथजी, २५०) सेठ शान्तिप्रसादजी जैन,
१०१) ला० महाबीर प्रसादजी ठेकेदार, देहली २५१) बा. विशनदयाल रामजीवनजी, पुरलिया १०१) कलकत्ता स्थित फतहपूर जैन समाज २५१) बा. मिश्रीलाल धर्मचन्दजी
१०१) श्रीमती श्री मालादेवी धर्मपत्नी डा. श्रीचन्द २५१) ला० कपूरचन्द खूपचन्दजी, कानपुर
जैन, 'सगल, एटा' २५१) बा. जिनेन्द्र किशोरजी जौहरी, देहली
१०१) गुप्त महायक, सदर बाजार, मेरठ २५१) बा. मनोहरलाल नन्हेंमलजी, देहली
१०१) बा० गोपीचन्द रूपचन्दजी, कलकत्ता २५१) सेठ छदामीलालजी, फीरोजाबाद
१०१) बा. लालचन्दजी सेठी, उज्जैन योग ५२२४)
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