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________________ वार्षिक मूल्य ५ ) विश्व तत्व-प्रकाशक वर्ष ११ किरण ४-५ } ॐ अर्हम् नीतिविशेषध्वंसी लोकव्यवहारवर्तकः सम्पन् । परमागमस्य बीज भुवनेकगुरुर्जयत्यनेकान्तः ॥ सम्पादक - जुगलकिशोर मुख्तार 'युगवीर' वीरसेवामन्दिर सरसावा जि० सहारनपुर आषाढ़, श्रावण वीर-संवत् २४७८, विक्रम संवत् २००६ कविश्री नागराज -विरचित समन्तभद्र- भारती स्तोत्र सास्मरीमि तोष्टवीमि नंनमीमि भारती तंतनीमि पापठीमि बंभणीमि तेमिताम् । देवराज-नागराज-मराज-पूजितां श्रीसमन्तभद्र-वाब- भासुरात्मगोचराम् ॥ १ ॥ 'श्रीसमन्तभद्रके वादसे ——— कथनोपकथनसे—जिमका आत्म-विषय देदीप्यमान है और जो देवेंद्रों, नागेन्द्रों तथा नरेन्द्रोंसे पूजित है, उस सरसा भारतीका - समन्तमद्रस्वामीकी सरस्वतीका में बड़े आदरके साथ बार बार स्मरण करता हूं, स्तवन करता हूं, वन्दन करता हूं, विस्तार करता हूं, पाठ करता हूं और व्याख्यान करता हूं ।' इस संयुक्त किरणका मूल्य १ ) जून, जुलाई १६५२ मातृ-मान-मेय-सिद्धि-वस्तुगोचरां स्तुवे सप्तभंग - सप्तनीति गम्यतस्वगोचराम् । मोक्षमार्ग- तद्विपक्ष-भूरिधर्मगोचरामाप्ततत्त्वगोचरां समन्तभद्रभारतीम् ॥ २ ॥ 'प्रमाता ( ज्ञाता ) की सिद्धि, प्रमाण (सम्यग्ज्ञान) की सिद्धि और प्रमेय (ज्ञेय) की सिद्धि ये वस्तुएं जिसकी विषय है, जो मतभंग और सप्तनयसे जानने योग्य तत्वोंको अपना विषय किये हुए है - जिसमें सप्तभंगों तथा सप्तनयोंके द्वारा जीवादि तत्वोंका परिज्ञान कराया गया है-जो मोक्षमार्ग और उसके विपरीत संसार-मार्ग-संबंधी प्रचुर धर्मोके विवेचन
SR No.538011
Book TitleAnekant 1952 Book 11 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1952
Total Pages484
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size29 MB
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