SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 196
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ / दया/ दम ไกลคะ I सर्वोदय तीर्थ T सुप्ति/ अ. सत् असत् त्याग/समाधि/ / समिति / आराधना सर्वान्तवत्तद्गुण- मुख्य- कल्पं सर्वाऽन्त-शून्यं च मिथोऽनपेक्षम् सर्वा पदामन्तकरं निरन्तं सर्वोदयं तीर्थमिदं तवैव ॥ एक नित्थ जीव बुन्ध अनेक अनित्य अजीब मोक्ष पाप लोक पुण्य सम्यक दिया सापेक्ष देव हिंसा मिया अविद्या निरपेक्ष पुरुषार्थ श्री वीर जिनालय स्वभाव द्रव्य सामान्य परलोक विभाव पर्याय विगोष युक्ति शुद्धि आत्मा प्रमाण अंगम अशुद्धि परमाया तीर्थ सर्व पदार्थ तत्त्व-विषय- स्याद्वाद- पुण्योदचे -- भव्यानामकलङ्क-भाव-कृतये प्राभावि काले कलौ । येनाचार्य- समन्तभद्र- यतिना तस्मै नमः सन्ततं - कृत्वा तत्स्वधिनायकं जिनपतिं वीरं प्रणोमि स्फुटम् ॥ - समता B
SR No.538011
Book TitleAnekant 1952 Book 11 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1952
Total Pages484
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy