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________________ अनेकान्तबार, सापेक्षवार और ऊर्जाणुगामिकी गतिसे चल रहा है। यह उस मनुष्यकी अपनी संहति 'अ' आविर्भावके साथ ही वैज्ञानिकोंको बहुत सूक्ष्मराशिया में किये गये (स्वदम्यक्षेत्रकाल भावकी अपेक्षा किये गये) (quantities) मापना (measure) पड़ी और भवलोकन (observation) का निष्कर्ष है (म्यान् इसलिए पूर्वस्थित रीतियां (Classical Methods) अस्ति भंग)। उमी मनुष्यको किनारेके किमी वृक्षपर अपूर्ण और अपर्याप्त (insufficient) प्रतीत हुई और बैठा हुआ एक मनुष्य देखता है और अपने अवलोकनके वैज्ञानिकोंको और दूसरे दृष्टिकोणोंका माश्रय लेनेकी फलस्वरूप वह कहना है कि रेलमें चलता हुआ मनुष्य आवश्यकता प्रतीत हुई। एक छोटेसे पुद्गलकण (Partiलगभग ३०+२=३२ मील प्रति घंटाकी गतिमे चल cle of matter) में असंख्य अणु (atoms) होते है रहा है। यह परद्रव्यक्षेत्रकालभावको अपेक्षा किये गये और इमलिए अणविज्ञानमें एक कणके असंख्य अणुओंकी अर्थात् 'अ' मंतिकी अपेक्षा गतिशील महति 'ब' में किये क्रिया (behaviour) को समझनके लिए सांख्यिकीय गये अवलोकनका निष्कर्ष है (म्यान नाम्नि भग)। इन दो रीनियां (Statistical methods) का प्रयोग करना दृष्टिकोणांका ममन्वय करके एक नीसरे दृष्टिकोणसे जो आवश्यक है। अबलोकन (observation) किया जायगा वह इन मानलीजिए कि हम एक अठन्नी उछाल रहे है तो नीचे दोनोंसे भित्र निष्का देगा । यह अनेकांनका म्यान अम्ति आनंपर वह चिन पड़ेगी या पट इस विषयक संभावनापर नाम्नि भंग कहा जासकता है।। यदि हम विचार करेंनो स्पष्ट है कि चिन या पट गिरनेकी एक ध्यान देने योग्य बात यह है कि जिस प्रकार बराबर संभावना है । लेकिन, वास्तविक घटनामें यदि देखाअनेकान्तवादमें "अस्ति", "नास्ति" आदि भंगोंकी परिभाषा- गया कि वह पट गिरी तो चित गिरनेकी हमारी संभावना में स्व-पर (अपने और दूसरे) द्रव्यक्षेत्र कालभावकी (probability) गलत हो जाती है। इसी प्रकार यदि अपेक्षाका निर्देश है उसी प्रकार मापेक्षवादमें अपनी व हम ५० बार अठन्नी उछालं तो साधारणत. संभावना यह दूसरी संहतियों (Fixed and moving systems) है कि वह २५ बार चित गिरेगी और २५ बार पट गिरेगी के आयाम या क्षेत्र (length), मात्रा या द्रव्य (mass) लेकिन ऐमा भी हो सकता है कि वास्तवमै ५० बार अठन्नी व समय या काल (time) का निर्देश किया जाता है उछालनेपर ३० बार या ८० बार भी वह चित आवे और और इन्ही अपेक्षायोसे विचार किया जाता है। अनेकांत- केवल २० बार या १० बार पट आवे, इसलिए यह वादके 'भाव' शब्दका पर्यायवाची अवश्य सापेक्षवादम नहीं जानते हुए भी कि चित या पट आनेकी बराबर सम्भावना मिलता। (मंभव है कि उत्तरवर्ती अनुसन्धानमें भावके है हमें निश्चय नहीं होमकता कि इनने बार ही वह पट पर्यायवाचीकी भी आवश्यकताका वैज्ञानिकोंको अनुभव हो।) गिरेगी। जानकी इमी अनिश्चितताके कारण असंख्य अणुओं स्वद्रव्यक्षेत्र और काल उस संहतिसे सम्बद्ध मात्रा, आयाम की क्रियाके अनमंधानमें मांग्यकीय रोनियां (Statistical व समय (mass, length and time) है जिसमें वस्तु methods) अपनानी पड़ती है। स्थिर (fixed) है जो वस्तुकी अपनी महनि है और इसी प्रकार ज्ञानकी अनिश्चितताके मितिका आश्रय परद्रव्यक्षेत्र और काल उम मंहतिम मम्बद्ध मात्रा, आयाम हमे आधुनिक अणुविज्ञानकी मूक्ष्म घटनाओके सम्बन्धमे व ममय (mass, length and time) है जो पहिली लेना पड़ना है क्योकि अमस्य अणुओकी क्रियाका अध्ययन महनिकी अपेक्षा गतिशील है। विश्लेषण करने ममय उनके विषयमें हम उपसादित विज्ञानकी दृष्टिमे अनेकांतवादक म्यान अवक्तव्य आदि (approximate) लगभग ज्ञान ही प्राप्त कर सकते है । भगोंको ममअनेके लिए विज्ञानकी एक और आधुनिकनम उनकं विषयमें निश्चय (absolute) ज्ञान प्राप्त करना गणित प्रणाली ऊर्जाणुगामिकी (Quantum Mecha- असंभव है--यही निश्चयनयका दृष्टिकोण बोर महोदय nics) के आधारभूत सिद्धांतोंपर दृष्टिपात करनेकी (Bohr) के सपूरकत्व सिद्धांत (Complementary आवश्यकता है । इम शतान्दिके आरंभनक स्थलमापो Principle) में दिग्दर्शिन है। मंपूरकत्व मिद्धात यह है (measurements) के सम्बन्धर्म विज्ञानके मिद्धांतोके कि अणुविज्ञानके क्षेत्रम होनेवाली पटनाभोके विषयमें हम आधारपरमे ही निष्कर्ष मिलने रहे लेकिन अणुविज्ञानके निश्चिन सत्यको नहीं जान सकते । केवल इतना कहा
SR No.538011
Book TitleAnekant 1952 Book 11 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1952
Total Pages484
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size29 MB
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