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________________ २४८ एक संहतिमें समयका १ मिनिट परिमाण दूमरी मंहति- मेरे विचारसे अनेकांतवादके प्रथम नीन भंगों-प्यान् में १ मिनिटसे कम या अधिक होगा। अस्ति, स्यात् नास्नि और स्यात् अस्ति नास्ति, की तुलना विज्ञानकी दृष्टिसे मात्रा और भार (mass and सापेक्षवाद सिद्धांतके निरूपणो (ideas) से इस प्रकार की weight) भी सापेक्ष है । एक वस्तुको यदि स्कन्द तुला जासकती है। मान लीजिए कि दो संहतियाँ (systems) (spring balance) पर बम्बईमें तोला आय और 'अ' और 'ब' है जो एक-दूसरेकी अपेक्षा गनिशील हैउसी वस्तुको उत्तरीध्रुव पर तोला जाये तो दोनों स्थानों- दोनों में सापेक्षगति (Relative motion) है। सापेक्षपर मापे गये उसके भार (weight) मे अन्नर होगा। वादके अनुसार इन दो सापेक्षगतिवाली मंहतियों भार (weight) की माप (measure) कंवल स्थान (systems) की अपनी-अपनी आयाम, मात्रा और समय की अपेक्षासे ही न्यूनाधिक नहीं होती अपितु और दूसरे (length, mass and time)की माप (standard) प्रतिकारक (factors निमित) भी भार (weight) होती है । एक सहतिको आयाम, मात्रा और ममयकी मापकी न्यूनाधिकतामें कारण होते है। जिम वस्तुम प्रवेग में दूसरी सहतिकी आयाम. मात्रा और ममयकी माप (velocity) कम या अधिक होता है उसका वजन असमान होती है । यदि उनमेसे एक संहति अ न्यूनाधिक हो जाता है। अधिक प्रवेगसे चलती हुई वस्तुका (System 'A') में कोई घटना होती है तो उस घटनाभार अधिक होता है। अणु विज्ञानके क्षेत्र में यह बात का तीन दृष्टिकोणोसे अवलोकन (observation) प्रयोगोंसे सिद्ध हो गई है कि यदि कोई अणु (atom) किया जा सकता है। एक तो वह घटना अपनी 'अ' स्थिर है तो उसकी मात्रा (बज़न mass) कम होगी, संहनिपर ही अवलोकिन (observed) की जा सकती यदि उसी अणमे प्रवेग (Velocity) हो तो उसकी मात्रा है। दूसरे वह 'अ' संहतिकी अपेक्षा गतिशील 'ब' सहति (mass) अधिक हो जायगी । यह बात भी स्थूल रूपसे (B system) परसे अवलोकित (observed) की बुद्धिगम्य नहीं प्रतीत होती लेकिन इसी सिद्धांतके आधार- आ सकती है। इस प्रकारके यह दो अवलोकन (obserपर आइन्स्टाइनने मिद किया कि प्रकृति (Matter) vations) ममान (identical) मही होंगे साकि ऊर्जा (Energy) के रूपमें परिवर्तित हो सकती है और सापेक्षवादके आधारपर आधुनिक विज्ञानने प्रयोगों द्वारा प्रकृति और ऊर्मा मूलत. एक ही द्रव्य है। सिद्ध कर दिखाया है। उसी घटनाके विषयमें दोनों पूर्व ऊर्जा (Energy)=मात्रा(mass)x (प्रकाशकी गति) दृष्टिकोणोंका सन्तुलन करनेवाले एक तीसरे दृष्टिकोणसे E - mco भी अवलोकन (observation) किया जा सकता है। बोर, मात्रा (mass) और ऊर्जा (energy) को अपनी ही संहति 'अ' किये गये अवलोकनसे उस वस्तुका संबंधित करनेवाले इसी समीकरण (E-mC) के स्वव्यक्षेत्रकालभावकी अपेक्षा अवलोकित 'अस्ति' रूप आधारपर अणुशक्ति (Atomic energy) और अणु- लक्षित होगा। दूसरी सापेक्षगतिशील 'ब' संहतिमें किये बम (Atom Bomb) का आविष्कार हुआ है। गये अवलोकनसे उस वस्तुका परद्रव्यक्षेत्रकालभावकी विज्ञानके प्रयोगोंको समझने और सिखांनोका निरूपण अपेक्षा स्थिर किया गया 'नास्ति' रूप लक्षित होगा और करने में भी वैज्ञानिक लोग अचल और चल संहतियो सोसरे दोनो अवलोकनी (observations) का संतुलन (Fixed and moving systems) के आधारपर करनेवाले दृष्टिकोणसे उस वस्तुका 'अस्ति नास्ति' रूप चलते है। एक संहति प्रयोगशाला संहति (Laboratory लक्षित होगा। system) कहलाती है जो दर्शक (observer) की यदि बारम्भमें प्रस्तुत किये गये उदाहरणको लिया मपेक्षा स्थिर रहती है और दूसरी संहति मात्रा-केन्द्र जाय तो उसमें ३० मील प्रति घंटाकी गतिसे चलनेवाली संहति (Centre of mass system) कहलाती है रेलगाडीके डब्बे में २ मील प्रति घंटाकी गतिसे चलनेवाले जो दशककी अपेक्षा गतिशील रहती है । इन्हीं विचारोंके मनुष्यको सीन दृष्टिकोणोंसे अवलोकित किया जासकता बापारपर वैज्ञानिक लोग प्रयोगोंको समझाकर सिद्धान है। एक तो उसी डब्बे में बैठा हुआ कोई अन्य मनुष्य देखता प्रस्थापित करनेका प्रयास करते। है जिसकी प्टिसे यह मनुष्य लगभग २ मील प्रति बराकी
SR No.538011
Book TitleAnekant 1952 Book 11 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1952
Total Pages484
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size29 MB
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