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________________ अनेकान्तवाद, सापेक्षवाय और ऊर्जाणुगामिकी २७ मनुष्यकी मति मिलती है । यह पूर्व स्थित प्रवैगिकी विज्ञानके क्षेत्रमें तीन मौलिक माप्य राशियां (Classical Dynamics ) का सिद्धांत है। अब (Fundamental measurable quantities) वैज्ञानिकोंने विचार किया कि प्रकाशकी गतिपर भी इसी मानी जाती है-आयाम (length), मात्रा (mass) प्रकार पृथ्वीकी गतिका प्रभाव पड़ना चाहिए। जिस दिशा- और समय (time) इन्हींके आधारसे सभी प्रयोग में पृथ्वी चल रही है उसी दिशामें यदि एक प्रकाशकी और सिद्धांत चलते हैं। सापेक्षवाद सिद्धांतके अनुसार किरण भी चले तो उस प्रकाश-किरण (Light-ray) की यह तीनों राशियां (quantities) सापेक्ष (Relative) गति साधारणतः प्रकाशकी गतिकी अपेक्षा अधिक होना मानी जाने लगी हैं। आधुनिक विज्ञानके प्रयोगोंसे स्पष्ट चाहिए। (साधारणतः प्रकाशको गति एक लाख छियासी सिद्ध होता है कि आयाम (length) सापेक्ष है। जैसे एक हजार मील प्रति सेकंड है।) प्रकाशकी गतिपर पृथ्वी- वस्तुकी लम्बाई ५ फुट मापी गई, यह ५ कुट लम्बाई की गतिके इस प्रभावको लक्षित (detect) करनेके सापेक्ष है क्योंकि यदि मापनी (Scale) और वस्तुमें लिए माइकेल्सन और मॉर्ले महोदयने अपना प्रसिद्ध प्रयोग सापेक्ष गति हो तो वस्तुकी लम्बाई ५ फुट न होकर कम (Michelson and Morley Experiment) या अधिक होगी। सापेक्षवादके अनुसार दो बिन्दुनोंकिया। अत्यन्त सावधानीपूर्वक कई बार प्रयोग दुहरानपर की दूरी (वस्तुकी लम्बाई) गतिकी दिशामें कम हो भी वे इस निष्कर्षपर पहुँचे कि प्रकाशकी गतिका पृथ्वी- जाती है। बात स्थूल दृष्टिसे देखनेपर स्पष्ट नहीं होती की गतिपर कोई प्रभाव नहीं पड़ता यद्यपि पूर्व और म चालू सरल भाषांमें ठीक-ठीक कही जा सकती स्थित प्रवैगिकी (Classical Dynamics) के उपरोक्त है-केवल गणितकी भाषामें ही इसे हम व्यक्त कर सिद्धातके अनुसार पृथ्वीको गतिकी दिशामें प्रकाश- सकते हैं। लेकिन, "आयाम (length) सापेक्ष है" इस की गति अधिक होना चाहिए। इस प्रयोगके 'प्रकाशकी आधार पर यदि हम किन्ही सूक्ष्म प्रायोगिक परिणामो गतिपर पथ्वीकी गतिका कोई प्रभाव नहीं पड़ता' इस (Experimental results) को समझान (Interनिष्कर्षको समझानेके लिए आइन्स्टाइनने अपना सापक्ष- pret) का प्रयास करते है तो हम सही निष्कर्षापर वादसिद्धांत (Theory of Relativity) प्रस्तुत किया। पहुँचते है अन्यथा नहीं। इस सापेक्षवाद सिद्धान्तको मूल उपधारणा (Postulate) इसी प्रकार विद्वानके सापेक्षवादको दृष्टिमें समय यह है कि यदि हम दो सापेक्ष गतिशील (अर्थात् एक दूसरे (Time) भी सापेक्ष (Relative) है। मानलीजिए कि की अपेक्षासे गतिशील) संहतियों (Systems) में अलग आज दो मनुष्य मिलते है। इस समय दोनोंकी अवस्था अलग कोई प्रयोग एवं गवेषणा करें तो उन संहतियों की ठीक ६० वर्ष की है। एक वर्षका समय व्यतीत होनेपर सापेक्षगतिशीलताके फलस्वरूप दोनों संहतियों (Systems) वे फिर मिलते हैं। सामान्य दृष्टिसे उनके मिलनेके में लिए गये हमारे अवलोकन (Observations) और समयमे केवल एक वर्षका ही अन्तर है किन्तु अन्य दृष्टियोंपरिणाम (Results) एकसमान (Identical) नहीं से यह अन्तर भिन्न-भिन्न है-दोनों मनुष्योंके विषयमें होगे। जैसाकि विद्युत्प्रभार युक्त संघटक (Electri- एक वर्ष नहीं। सापेक्षवाद कहता है कि जो मनुष्य अधिक cally charged condenser) के उदाहरणमे पृथ्वी. चलता-फिरता रहा है और कार्य-व्यस्त रहा है उसकी को अपेक्षासे संघटक चुम्बकीय क्षेत्र (Magnetic field) अवस्था गतिसे तिजीसे) बढ़ी है और जो बहुत कम बलाउत्पन्न नहीं करता और वरिमा (आकाश Space) की फिरा है उसकी अवस्था कम गतिसे बढ़ी है और इस दृष्टिअपेक्षा वह संघटक चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है। से पहिले और दूसरे मनुष्यकी अवस्थाएँ एक वर्ष बाद सापेक्षवाद-सिद्धांतके उपर्युक्त निष्कर्ष सामान्य दृष्टिसे बराबर नहीं। इस सापेक्षवाद सिद्धांतके अनुसार एक ६१ विचित्र और स्थूलतः समझमें न आनेवाले प्रतीत होते वर्षसे अधिक अवस्थाका है और दूसरा ६१ वर्षसे कम हैं लेकिन विज्ञानके क्षेत्र में हम देखते हैं कि आधुनिकतम अवस्थाका । इसी प्रकार दो सापेक्ष गतिशील संहतियों प्रयोगोंको ठीक-ठीक समझनके लिए सापेक्षवाद-सिद्धांत (Systems) में समयकी माप (measure) एकसमान भनिवार्य है। (identical) नहीं होगी। सापेक्षगतिशीलताके कारण
SR No.538011
Book TitleAnekant 1952 Book 11 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1952
Total Pages484
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size29 MB
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