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________________ किरण २] अनेकान्त लीन होकर सम्यग्दर्शन, ज्ञान, चारित्ररूपी रत्नत्रयके अनुष्ठान द्वारा सदाके लिये कर्मबन्धनसे उन्मुक्त हो गया-वह अपने स्वरूपको प्राप्तकर निजानन्द रम में मग्न होगया । खटोलना गीतके वे पद्य इस प्रकार है:भव-रतिमंदिर पोढियो खटोला मेरो कोपादिक पग चारि । काम-कपट-सीरा दोऊ, चिन्ता रति दोऊ पाटि ॥१॥ अविरति दिढ वाननि, बुनो मिथ्या माई विसाल | थाशा अडवाइनि दई, शंकादिक वस साल ॥२॥ रचिउ गठिउ मन वाढई, बहु विधि कर्म सहाय । प्रथम ध्यान दोउ कारने, वा सिरुग्या नीलाइ (?) ॥३॥ राग द्वेष दोउ गेड्या, कुमति सुकोमल सोरि । जीव पथिक तहं पोढियो, पर-परिणनि-संगगौरि ॥४॥ मोह नोंद सूत रहिउ, लागी विषय-हवास । पंच करण चोरनि मिल, मूसउ सकल अवास ॥२॥ अनादिकाल सोते गयो' अजहु न जागइ मान । मोह नींद टूटे नहीं, क्या पावै निरवान ॥६॥ पोते सोते जागिया, ने नर चनुर सुजानि । गुरु चरणायुध बोलियों, समकित भयउ विहान ॥७॥ काल रयन तब बीतई, ऊगो ज्ञान सुभानु । भ्रांति तिमिर जब नाशियो, प्रगटउ अविचल थान 10 छोटि खटोला नुरत ही, धरिवि दिगम्बर वेष । गुप्त रत्न नीनों लिये, तेरि गये शिव देश ॥६॥ सिद्ध सदा जहां निवसही, चरम शरीर प्रमाण । किंचिदून मयनोझित, मूसा गगन समान ॥१०॥ परम मुखामृत पीवके, भाई सहज समाधि । अजर अमरते होय रहै, नासो सकल उपाधि ॥११॥ सो अवहीं जागिसी, कब लहिं सो अवकाश । मोह नोंद कब टूटसी, कब लहिहौं शिवपास ॥१२॥ रूपचन्द्र जन वीनवै, हुजी नुव गुण लाहु । ते जागा जे जागसी, तेहउ बंदउ साहु ॥१३॥ इति खटोलागीत समाप्त । इसके सिवाय आपके अनेक आध्यात्मिक पद भी गुटकोंमे लिखे हुए मिलते हैं, जो बहुत ही सरल और भावपूर्ण है, पाठकोंकी जानकारीके लिये उनमें से एक छोटा पद नीचे उद्धृत किया जाता है: जिय परमों किति प्रीत करीरे ॥ तू मुजान परक रंग राचो प्रकृति विरोध न समुझि परीरे ॥१॥ परिहर महज ज्ञानगण अपनो मूढपनों से चित धरीरे ॥२॥ अहंकार ममता भ्रम भूल्यौ चित चेतो एको न धरीरे ॥३॥ परकी संगति चहुंगति भीतरि कौन-कौन ते विपति भरीरे ॥ रूपचन्द्र चित चेतन काहि न अब, तेरी मति कौने हरीरे ।५।। इन सब रचनाओंपरसे विज्ञ पाठक पांडे रूपचन्दजीके व्यक्तित्वका अनुमान कर सकते हैं, और उनकी रचनाएँ कितनी सरल और भावपूर्ण हैं इसका भी अनुभव कर सकते है।
SR No.538010
Book TitleAnekant 1949 Book 10 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1949
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size30 MB
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