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________________ अनेकान्त (नं०५४) फागुन सुदी ८ शुक्रवारको प्रतिष्ठा कराई। मूर्तिका शिर और दोनों हाथ नहीं हैं। बाकी (नं० ५७) आंगोपांग उपलब्ध हैं। चिन्ह बैलका है। करीब मूर्तिके श्रासन और आधे हाथोंके अतिरिक्त २ फुट ऊँची पद्मासन है। पाषाण काला तथा चम- बाकी हिस्मा खण्डित है। लेख प्रायः घिस गया है। कदार है। . अतः पूरा स्पष्ट नहीं पढ़ा गया। चिन्ह हिरणका लेख-खण्डेलवालान्वये साहु धामदेव भार्या पल्हा है। करीब २ फुट ऊँची पद्मासन है। पाषाण पुत्रसालू भार्या वस्रा संवत् १२२३ वैशाखमुदी ८ प्रण- काला और चमकदार है। मन्ति नित्यम् । लेख-संवत् १२३० फागुनसुदी १२ सनी... ... .. भावार्थ:-खण्डेलवाल वंशमें पैदा होनेवाले ...."स्तषडगण भार्या शान्तिणी सुत गांगदेव-सोमदेवसाहु धामदेव उनकी पत्नी पल्हा उनके पुत्र सालू उदय-गोरद प्रणमन्ति । उनकी पत्नी वस्राने संवत् १२२३ के वैशाख सुदी भावार्थ:-संवत् १२३० के फागुन सुदी १२ ८ को प्रतिष्ठा कराई। शनिवारको....शाह पडगण उनकी पत्नी शान्तिणी (नं०५५) उनके पुत्र गांगदेव-सोमदेव-उदय-गोरद ने यह विम्ब आसनके अतिरिक्त बाकी हिस्सा नहीं प्रतिष्ठा कराई। है। चिन्ह चन्द्रका है । करीब २ फुट ऊँची पद्मासन (नं० ५८) है। पाषाण काला तथा चमकदार है। मत्तिके दोनों ओर इन्द्र खड़े है । शिर खण्डित लेख-संवत् १२०७ माघवदी ८ गुरौ ग्रहपत्यन्वये है। बाकी सर्वाङ्ग सुन्दर है । चिन्ह बकरेका है। साहु सवधऊ तगार्या महनी तत्पुत्र उदयबंधु प्रण- करीव ३ पुट ऊँची खगासन है। पापाण काला है। मन्ति श्रेयसे। पालिस चमकदार है। भावार्थ:-गृहपति वंशमें पैदा होनेवाले शाह लेख-सवत् १२०३ गोलापूर्वान्वये साहु सुपर सवधऊ उनकी धर्मपत्नी महनी उसके पुत्र उदयबंधु पुत्रः शांति तस्य पुत्र यशकर कुंथुनाथं प्रणमन्ति नित्यम् । ने संवत् १२०७ के माघ वदी८ गुरुवारको बिम्ब- भावार्थ:-गोलापूर्व वंशमें पैदा होनेवाले साहु प्रतिष्ठा कराई। सपट उनके पुत्र शान्ति उनके पुत्र यशकरने श्री(नं० ५६) कुन्थुनाथकी प्रतिमा संवत् १२०३ मे प्रतिष्ठा कराई। मूर्त्तिके आसन और आधे हाथोंके अतिरिक्त (नं. ५६) बाकी हिस्सा खण्डित है। शेरका चिन्ह है। करीव मूत्तिके दोनों तरफ इन्द्र खड़े हैं। घुटनों तक २ फुट ऊँची पद्मासन है। पाषाण काला है। पैरोंके अतिरिक्त बाकी हिस्से अनुपलब्ध है। चिन्ह कुछ नहीं है । करीब ६ फुट ऊँची खगासन है। लेख-संवत् १२१९ फागुनसुदी ८ शुक्रे श्रीमाथु पाषाण काला तथा पालिस चमकदार है। रान्वये साहु जिनदेव सुत साह अर्हत भार्या किणवती पाषाण काला सुत साहु वीठु निन्यं प्रणमन्ति । लेख-संवत् १२०३ माघसुदी १३ जैसवालान्वये साहु भावार्थः-माथुरवंशमें पैद होनेवाले शाह षोने भार्या जसकरी सुतनायक साहु शान्तिपाल-वील्हे जिनदेव उनके पुत्र शाह आहत उनकी धर्मपत्नी पाल्हा-परमे-महिपाल सुतश्रीरा प्रणमन्ति नित्यम् । किणवती उसके पुत्र शाह वीठुने संवत् १२११ के संवत् १२०३ माघमुदी १३ जैसवालान्वये साहु
SR No.538010
Book TitleAnekant 1949 Book 10 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1949
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size30 MB
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