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________________ किरण २] मैं क्या हूँ? बनाया था वह आजके एजिनके सामने कोई चीज खोओंको स्वीकारकर उसके अनुसार सम्प्रदायम नहीं है फिर भी स्टिफेंसनकी मेवार आज भी स्मर- परिवर्तन करे । इमीलिये सत्यामृतमें मैंन एक णीय और स्तुत्य हैं। विधान किया है कि बारह-बारह वर्ष बाद सत्याएक बात और है कि संयम आदिके क्षेत्र में आज मृतपर विचार किया जाय और आवश्यक सुधार भी मनुष्य-समाज इतना विकसित नहीं हो पाया कर लिया जाय । सम्प्रदायमें इस तरहकी गुञ्जाइश कि इन महात्माओंके जीवनसे प्रेरणा न ले सके। रहना चाहिये । आज भी इन महात्मा ओंके जीवनसे बहुत-सी बात दूसरी बात यह कि अपने सम्प्रदायको सर्वसीखी जासकती हैं इसलिये भी इनका आदर काल सवलोक सर्वव्यक्तिके लिये पूरण माननेका करता हूं। हां ! इनके जीवनकी जो बात युगबाह्य अभिमान न किया जाय । होसकता है कि हमारे होगई उसे युगबाह्य कहकर दूर कर देता हूं। फिर लिये हमारा सम्प्रदाय पूरी तरह मुफीद हो, पर भी मानता हूं कि काफी बाते प्रेरणा पाने लायक दुमरेके लिये वह अवश्य मुफीद होगा और दूसरा है। अन्धविश्वास न रखकर, विवेकपूर्वक ऐतिहा- कोई सम्प्रदाय दुसरेके लिये मुफीद नहीं होमकता सिक परिस्थितिका खयाल रखते हुए इनसे प्रेरणा यह घमंड दूर करना चाहिये। पानेका सन्देश देता हूं। और किसी एक ही महा- इस प्रकार सम्प्रदायोंको साम्प्रदायिक कट्टरता त्माके विषयमे पक्षपात न रखनेकी भी बात या साम्प्रदायिक मंकुचिततासे दूर रहना चाहिये। कहता हूं। साथ ही यह कहता हूं कि वैसे महात्मा अगर सम्प्रदायोंमें ये दोप है तो उन्हें दूर करना और कई अंशोंमे उनसे बढ़कर आज भी होसकते है। चाहिये या नये सम्प्रदाय बनाना चाहिये, पर सम्प्रसम्प्रदाय दाय तो रहेगे ही, चिरकाल तक रहना भी चाहिये । ७. साम्प्रदायिक कट्टरता बुरी चीज है पर वे समस्कारोंके स्कूल हैं उन्हें सुधारना ही अभीष्ट सम्प्रदायोंसे घबरानेकी जरूरत नहीं है। सम्प्रदाय है मिटाना नहीं, भले ही किसी असाधारण व्यक्तिन अनिवार्य है। जो विचार आचार या संस्कार पर- कलके बिना ही शिक्षण प्राप्त कर लिया हो। एस म्परासे प्राप्त होता है उसे सम्प्रदाय कहते है। शास- एकाध व्यक्तिको देखकर स्कूल तोड़े नहीं जासकते । नकी भी परम्परा होती है, खान-पान, वेष-भूपा, भाषा मनुष्य अनीश्वरवादी होसकता है, अनात्मवादी आदिकी भी परम्परा होती है। इसी प्रकार धमकी होमकता है पर उसके भी सुसंस्कार डालना होग भी परम्परा होती है। अगर धम परम्परागत संस्का- और उनका सम्प्रदाय बनाना पड़ेगा या बन रोंमे न दिखाई दे तो उसे निष्फल समझना चाहिये। जायगा। क्योंकि ससंस्कार पैदा करना ही उसकी सफ जीवनके आधार लता है। ८. एक भाईने मेरे पास एक अंग्रेजी लेखका ___पर सम्प्रदायमे दो तरहकी बुराई आजाती है अवतरण भेजा है-उसका मुख्य अंश यह हैजिससे साम्प्रदायिकता घातक होजाती है। एक है they ask "what will you give us iti religiविवेकहीनता । मनुष्यको अपनी बुद्धि इतनी जाग्रत ens place ?' expacting us to substitute one रग्वना चाहिय कि वह सम्प्रदायकी यगबाह्यता. cil for another We answer frankly We give हानिकरता समझ सके और ऐसा अवसर आनेपर you nothing, offering only the knowledge that will liberate mankind. वह परिवर्तन कर सके । बद्धिमंगत विचारों और After the superstitions shackles are remo. वैज्ञानिकताको गाली न देने लगे, बल्कि विज्ञानकी ved once the inhibiting walls are torn down,
SR No.538010
Book TitleAnekant 1949 Book 10 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1949
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size30 MB
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