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________________ वीरसेवामन्दिरको प्राप्त सहायता अनेकान्तको प्राप्त सहायता गत हवी किरण में प्रकाशित सहायताके बाद वीरसेवामन्दिरको जो महायता प्राप्त हुई है वह गत छठी किरणमें प्रकाशित सहायताके बाद क्रमशः निम्र प्रकार है और उसके लिये दातार महा 'अनेकान्त' पत्रको जो सहायता प्राप्त हुई है वह क्रमशः निम्न प्रकार है और उसके लिये दातार नुभाव धन्यवाद के पात्र है:११) ना० अरहदासजी जैन, सहारनपुर (पा महानभाव धन्यवादके पात्र हैं: चि. देवकुमारके विवाहोपलक्षमें) १) ला० मुन्नालालजी जगाधरी बा. विश्वम्भरदास ५) बा० जिनवरप्रसाद वकील व बा० अनन्त- जी खतौली (चि०मलता और चि०महेशचन्द्र प्रसादजैन B.Sc Eng. पटना (पिता श्री के विवाहोपलक्षमें)। ला.श्यामलालजीके देहावसानके अवसर ३) बा. मंगतराय और ला० गैदनलाल जी जैन पर निकाले हुए दानमेंसे)। बुलन्दशहर (पोती और पुत्र के विवाहोयलक्षमें) ११) ला. ज्ञानचन्दजी जैन खिन्दुका, जय. पुर (पिता श्री सेठ रामचन्दजी खिन्दुका मार्फत आजाद टूडिंग कम्पनी, बुलन्द शहर, क स्वर्गवासके अवसर पर निकाले हुए ५) बा. जिनवरप्रसाद वकील व बा. अनन्तदानमें से)। प्रसाद जैन B.Sc.Eng. (पिताश्रीके २७) देहावसान पर निकाले हुए दानमेंसे)। 'अधिष्ठाता वीरसेवामन्दिर ४)ला. रिखवदास गंका रामनगर, वधो जयपुरमें शोक-सभा (बहन सूरजमुखीके विवाहोपलक्षमें)। तारीख १४ जोलाई १९५० को सायंकाल | बजे ११) ला. ज्ञानचन्दजी खिन्दुका, जयपुर (पिता जयपुर जैन समाजके प्रमुख सेवक श्री सेठरामचन्द्र श्री सेठ रामचन्दजी खिन्दकाके स्वर्गवासके जी खिन्दुका, मन्त्री श्रीदिगंबर जैन अतिशय अवसर पर निकाले हुए दानमेंसे)। क्षेत्र श्री महावीरजीके आकस्मिक निधन पर बडे रक्षा) दीवानजीके मन्दिरमें एक शाक-मभाका प्रायोजन किया गया । सभाके सभापति श्रीमान श्रद्धय व्यवस्थापक 'अनेकान्त' पं० चैनसुखदास जी न्यायतीर्थ, अध्यक्ष श्रीदिगम्बर जैन संस्कृत कालेज थे । शोकाकुल स्त्री-पुरुषांसे लालजी छावडा वकील आदि उल्लेखनीय है। अन्नमन्दिर खचाखच भरा हुआ था। श्रीखिन्दुकाजीके में सभापति महोदयने श्री खिन्दुकाजीके जीवन जीवन पर प्रकाश डालने वाले वक्ताथमि श्रीकनेल की विविध प्रवृत्तियों पर विस्तृत प्रकाश डाला और राजमलजी कासलीवाल, डी० एम० एप्त० राजस्थान, कहा कि ये हरफनमौला और हरदिल अज़ीन थे। मालीलाज जी कासलीवाल दीवान, मु०सूर्यनारायण शोक-प्रस्ताव पास करनेके पश्चात् सबने खड़े हो जी सेठी वकील, पं. भंवरलाल जी न्यायतीथे कर दिवंगत आत्माको श्रद्धांजलि अर्पित की। श्रीरूपचन्द जी सौगाणी, मास्टर माणिकचन्दजी एम० ए० बी०टी०, केवल चन्दजो ठोलिया, ___कस्तूरचन्द कासलीवाल एम० ए० श्री अनूपचन्द जी न्यायतीर्थ साहित्यरल, गैन्दी
SR No.538010
Book TitleAnekant 1949 Book 10 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1949
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size30 MB
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