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________________ ३८४ अनेकान्त वर्ष १० तक पल्लवित कर लिया था कि उस समय उमका सन १८७८ में हु0 नशाह दिल्ली के बादशाह राज्य मालवेके समकक्षका हो गया था। दिल्लीका बहलोल लोदोमे पराजित होकर अपनी पत्नी और बादशाह भी कीर्तिसिंहकी कृपाका अभिलाषी बना सम्पत्ति वगैरहको छोड़ कर भागा और भागकर रहना चाहता था। सन १४६५ (वि० सं० १५६२) ग्वालियरमें राजा कीतिसिंहकी शरणमे गया में जौनपुरके महमूद शाहके पुत्र हुसैनशाहने था। तब कीतिसिंहने धनादिसे उसकी सहायता ग्वालियरको विजित करनेके लिये बहुत बड़ो सेना की थी और कालपी तक उसे सकुशल पहुँचाया भी भेजी थी। तब से कीतिसिंहने देहली बादशाह था। इसके समयक दो नख सन १४६८(वि. मं. बहलोल लोदीका पक्ष छोड दिया था और जौनपुर १५२५) और सन १४७३(वि० सं० १५३०) के मिले वालोंका सहायक बन गया था। हैं। कीतिसिंहकी मृत्यु सन १४७६ (बि० स० १५३६) मे हुई थी। अत: इसका राज्य काल मंवत १५१० क , सन १४५२ (वि. सं १९०६) में जौनपुरके सुलतान बाद से सं० १५३६ तक पाया जाता है। इन दोनों महमद शाह शी और देहली के यादशाह बहलोललोदी के गज्यकाल मे ग्वालियरमें जैनधर्म खूब पल्लविन के बीच होने वाले संग्राममें कीतिसिंहका दूसरा भाई पृथ्वोगन महमदशाहके मेनापति फतहखां हावी के हुआ। हाथ से मारा गया था। परंतु कविचर रहधूके प्रथोंमें ३ देखो, बोझाजी द्वाग सम्पादित टाह राजस्थान हिन्दी कोर्तिसिंह के दूसरे भाई पृथ्वीराजका कोई उल्लेख पृष्ट २५४ नहीं पाया जाता। -देखो टाड राजस्थान पृ. २४. स्वर्गीय महामना गोरीशंकर हीराचन्द जी श्रोझा कृत गवालियर कतवर वाली टिप्पणी। २ बहलोल लोदी दहलीका बादशाह था उसका राज्य काल सन १४५१ (वि० सं० १९०८) से लेकर सन १४८६(वि० सं०:५४६) तक ३८ वष पाया जाता है।
SR No.538010
Book TitleAnekant 1949 Book 10 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1949
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size30 MB
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