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________________ एक प्रख्यात विद्वानका स्वर्गारोहण श्रीमान ५० देवकीनंदन जो शास्त्री दिगम्बर जैन समाजके प्रखर्यात विद्वान थे। स्व० प्रातः स्मरणीय गुरु पं. गोपालदास जी वरीयाके आप गणनीय शिष्य थे, सिद्धान्त शास्त्रके अच्छे ज्ञाता थे। पू० गुरु जीके स्वर्गवास हो जाने पर 'जैनसिद्धान्त विद्यालय मुरेनाकी दशा नाजुक हो गई थी उस समय आप विद्यालयको स्थिति दृढ़ बनाने के लिये विद्यालय में स्वल्प वेतनपर ही अध्यापन कार्य करते रहे। फिर कुछ वर्षे पीछे कारंजा गुरुकलमें पढ़ाने चले गये वहां पर उच्च कोटिके सिद्धान्त ग्रन्थ पढ़ाते रहे गुरुकुलसे अनेक स्नातक निकले। वहीं पर पंचाध्यायी ग्रन्थकी भाषा टीका की। बहांसे फिर आप श्रीमान सरसेठ हुकमचन्द जी को स्वाध्याय करानेके लिये इंदौर पहुंचे। इंदौर में आप कई वर्ष रहे। वहां पर आप रक्तचाप (ब्लड प्रेसर) रोगसे आक्रान्त हो गये। अभी कुछ दिन तक रुग्ण रहकर गत १३ मई शुक्रवार को प्रात: साढ़े आठ बजे स्वर्गवास हो गया। आपके दो विवाह हुए थे पहली पत्नीसे केवल पुत्री हुई दूसरी पत्नी से ६ पुत्र ३ पुत्रियां हुई हैं जो मौजूद है। पंडित जी अच्छे व्याख्यानदाता थे आपकी वाणीमें प्रभावशाली रस था आपके शास्त्रप्रवचनमें आनन्द आता था आपने परवार सभाको अपने प्रयत्नसे उठा कर खड़ा कर दिया था। आपके वियोगमे जैन समाजकी बहुत क्षति हुई है। अनेकान्त परिवारकी ओरसे सनके कुटुम्बियोंके साथ ममवेदना प्रगट की जाती है और कामना है कि आप की आत्माको शान्ति प्राप्त हो। दो अन्य गणनीय पुरुषोंका निधन । फीरोजपुर छावनी निवासी. ला० डालचन्द एण्ड सन्ज फर्मके मालिक श्रीमान ला० तुलसीराम जी जैन रईसका स्वर्गवास हो गया है। आपने पिता जी के स्मारकरूप डालचन्द जैन हाईस्कूल तथा डालचन्द जैन कालेज स्थापित किया था। आप अच्छे प्रभावशाली, शिक्षाप्रेमी, धार्मिक महानुभाव थे। कोल्हापुर निवासी श्रीमान् श्रारणा बाबा जी लट्ठ दक्षिण प्रान्तमें एक प्रसिद्ध महानुभाष थे। बाप अनेक वर्षों तक कोल्हापुर राज्य के प्रधान मंत्री रहे, तथा कांग्रेसी मंत्रीमंडलके समय बम्बई सरकारके अर्थसचिव (फाइनेन्स मिनिष्टर) बनाये गये थे, अच्छेशिक्षित शिक्षाप्रेमी नेता थे। आप दोनों महानुभावों के असमय वियोगसे दि. जैन समाजकी बहत क्षति हुई है। -प्रकाशक अनेकान्त का अागामी अङ्क अनेकान्तकी आगामी ११.--१२ वी किरण संयुक्त रूपसे प्रकाशित होगी। पाठक महानुभाव नोट कर लेवें। -प्रकाशक
SR No.538010
Book TitleAnekant 1949 Book 10 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1949
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size30 MB
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