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________________ ३७० अनेकान्त [वष १० ___ जैसा कि मैंने ऊपर लिखा है, अशोकका पौत्र पश्चिम में यवनोंका जोर बढ़ने लगा। और इधर सम्प्रति जैनधर्मका अनन्य प्रचारक और महान् दक्षिणमें आंध्र और कलिंगक राजवंश शक्तिशाली निर्माता था। इसलिये यह प्रतिमा या तो स्वयं हो चूके। अशोकके समय मे दबी ब्राह्मणों की उसके द्वारा निर्माण कराई गई हागी अथवा उनके विद्रोह-भावनाको आग समय पाकर अब सुलग राज्यकालमे किसी अन्य व्यक्ति द्वारा निर्माण कराई उठी । अशोककी दण्डसमता, व्यवहारममता, गई होगी। इसप्रकार हम देखते है कि उक्त प्रतिमा ऊंच नीच का भेद हटाने, यज्ञ याग बंद कर देने भारतवर्षकी अब तक प्राप्त ममस्त मूर्तियोंमे प्राचीन- आदिकं कारण ब्राह्मणवादके समर्थक लोग रुष्ट तम है। इस प्रतिमाके साथ हा एक अन्य छोटी हो गए थे पर मुह न बोल पाते थे। अब साम्राज्यप्रतिमा भी पटना मंग्रहालयमे सुरक्षित है। उसपर की शक्ति शिथिल होते ही उन्होंने अवसर पाकर वैसी ही प्रोजदार ओप है इलिय वह भा प्रजा और सेना को वरगलाना प्रारंभ कर दिया। मौर्यकालीन है। यह विद्रोह यहां तक बढ़ा कि ई० पू०१८ या १८५ सम्प्रतिके पीछे में सेनापति पुष्यमित्रने अंतिम मौय सम्राट वृह द्रथकी हत्या कर डालो और स्वयं साम्राज्यका सम्प्रतिके बाद मौर्य राजे विशेष प्रसिद्ध नहीं स्वामी बन बैठा। धार्मिक असहिष्णुताका यह रहे। दिव्यावदानमें सम्प्रतिका बेटा वृहस्पति, उदाहरण इतना अधिक गर्हगीय था कि पिछले उसका बेटा वृषसेन और उसका बेटा पुण्यधमा लेखक वाणने ऐसा करने वाले पुमित्रको घृणाकहा गया है। विष्णपुराण और वायुपुराणमे पूर्वक अनार्य और उसके इस कायका बलपूर्ण, शालिशकका नाम मिलता है और उसकी सत्ता नमकहरामा और स्वामिघास-जैसा महापाप कहा गार्गीसंहिताक युगपुराणसे भी सिद्ध होती है। है। वहां उसे राष्ट्रमर्दी और धर्मवादो किन्तु वास्तवमे [लेखकके अप्रकाशित ग्रन्थ 'जेन उत्कीणे लेग्व' अधार्मिक कहा गया है, क्योंकि वह श्रमणपर पराका की प्रस्तावनास । अनुयायी था। १ प्रज्ञादुर्बलं च बलदशन-व्यपदेशदशिनाशेषसंन्य: __ क्रमशः साम्राज्य शिाथिल होने लगा। मुदृरके मेनानीरनार्या मीर्यवहदथं पिपेष पुप्पमित्र: प्रान्त साम्राज्यसे अलग होने लगे। उधर उत्तर- स्वामिनम्-याणकृत हर्षचरित ।
SR No.538010
Book TitleAnekant 1949 Book 10 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1949
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size30 MB
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