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________________ किरण १] अहार-क्षेत्रके प्राचीन मूर्ति-लेख पण्डित श्रीविशालकीति और आयिका त्रिभूवनश्री भावार्थ:-गोलापूववंशोत्पन्न साह महिदीन उनके तथा उनकी शिष्यणी पूर्णश्री एवं धनश्री ये सब पुत्र म्युपस्यु तथा अहेमामक, मंवन १२० में प्रतिष्ठा सदा प्रणाम करते हैं। कराके प्रणाम करते है। (नं०३२) (न० ३५) मूनिका शिर नहीं है। बाकी सर्वाङ्ग मुन्दर है। मृत्तिके श्रासनके अतिरिक्त बाकी हिस्सा नहीं। चिन्ह शेरका है। करीब सा फूट ऊँची है। पद्मासन है। चिह्न बैलका है। करीब १।। फुट ऊँची पद्मामन : * है। पाषाण काला है। पालिश चमकदार है। है। पाषाण काला है। पालिश चमकदार है। लेग्व-संवत १२१६ माहसुदी १३ श्रीमत्कुटकान्वये लेख-सम्बत् १२०२ चैत्रसुदी १३ गोलापूर्वान्वये पण्डितलक्ष्मण देवस्तस्य शिष्यार्यदेव आर्यिका लक्ष्मश्री नायक श्रीरतन तस्य सुत वाल्ह-पोल्ह-सामदेव-भामदेव तल्लिका चारित्रश्री तद्भाना लिम्बदव एते श्रीमदवद्धप्रणमन्ति नित्यम् । मानस्य बिम्ब अहिनिशि प्रणमन्ति । भावार्थ:-गोलापर्ववंशोत्पन्न नायक श्रीरतन भावाथ-मं० १२१६ माघ सुदी १३ के शुभ उनके पुत्र वाल्ह-पोल्ह-मामदेव-भामदेव सम्बत दिनमे कुटकवशमे पैदा होनेवाले पण्डित लक्ष्मणदेव १०.के चैत्र सुदी १३ को बिम्बप्रतिष्टा कराक प्रति- उनके शिष्य आर्यदेव तथा आर्यिका लक्ष्मश्री उनकी दिन नमस्कार करते है। सहचरी चारित्रश्री उनके भाई लिम्बदेव श्रीवर्द्धमान (नं. ३३) भगवानकी प्रतिमाको प्रतिष्ठापित कराके प्रतिदिन नमस्कार करत है। मृत्तिका सिर्फ शिर नहीं है। बाकी सर्व प्रागो (नं०३६ ) पाङ्ग उपलब्ध है। चिह्न वगैरह कुछ नही है। करीब ११|| फुट ऊँची पद्मासन है। पापारण काला है। ___मृत्तिका आसन तथा कुहिनियों तक हाथ अवशिष्ट पालिश चमकदार है। है। बाकी हिस्सा नहीं है। चिन्ह सिंहका प्रतीत होता है। करीब २ फुट ऊंची पद्मामन है। पापारण काला लेख-सवत् १२१० वैशाख सुदी १३ मेडतब ल है । पालिश चमकदार है। वंशे माहु प्रयणराम तत्सुन हरम एनो नित्यं प्रणमन्नः।। लेग्व--सम्बत १२२५ जेठ सदी १५ गुरुदिने पडिनभावार्थ -म० १२१८ वैसाख सुदी १३ को श्रीजन्यकी। सशीलदिवाकरनीपद्मश्रीरमनश्री प्रणमन्तिनित्यम् । , मेड़तवालवंशमे पैदा हुए माहु प्रयणराम उनके पुत्र भावार्थ.-सम्बत १२०५ जेठ सुदी १५ गुरुवारको हरसू ये दोनों बिम्बप्रतिष्ठा कराके प्रणाम करते है। पण्डित श्रीयशीति तथा शीलदिवाकरनी पद्मश्री (नं. ३४ और रतनश्रीने बिम्ब-प्रतिष्ठा कराई। मूत्तिक दोनों तरफ इन्द्र खड़े है। घुटनों तक (नं. ३७) पैरोंके अतिरिक्त बाकी हिस्मा नहीं है। चिह्न दो श्रामन और आधे हाथोंके अतिरिक्त मूत्तिका हिरणोंका है। करीब ३ फुट ऊंचाई है। मृत्ति खड्गा- बाकी हिम्मा खण्डित है। आमन चौड़ा और सन है। पाषाण काला है। पालिश चमकदार है। सभी मनोहर है। चिह्न बैलका है। करीब दो फुट की ऊँची लेख-सम्बत् १२०६ गोलापूर्यान्वये माह महिदीन पद्मासन है । पाषाण काला है। आमन टूट गया तस्य पुत्र स्युपम्यु तथा महमामक प्रणमन्त । है और इलिये लेग्ब अधूरा है।
SR No.538010
Book TitleAnekant 1949 Book 10 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1949
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size30 MB
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