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अनेकान्त
[वर्ष १०
लेख-सम्वत् १२९० वैशाग्यसुदी १३ गृहपस्यन्वये लेख-सम्बत् १२३७ मार्ग मुदी ३ शुक्र गोलापूर्वासाहुसुलधस्य सुत............।
न्वये साहु वाल्ह भार्या मदना वेटी रतना श्रीऋषभनाथं ___ भावार्थ:-सम्बत् १२१० के वैशाखसुदी १३ को प्रणमन्ति नित्यम् । गृहपति वंशोत्पन्न साहु सुलधर उनके पुत्र ....." "ने भावार्थ:-सम्बत् १२३७ के अगहन मुदी ३ प्रतिष्ठा कराई।
शुक्रवारको गोलापूर्व वंशमें पैदा होनेवाले साहु (नं०३%)
वाल्ह उनकी पत्नी मदना और उनकी पुत्री रतनाने दोनों तरफ दो इन्ट खडे हैं। आसन और कुछ श्री ऋषभनाथके प्रतिबिम्बकी प्रतिष्ठा कराई। ये सब पैरोंके अतिरिक्त बाकी हिस्सा नहीं है। चिहको नित्य प्रणाम करते है। देखकर अरहनाथकी प्रतिमा मालम होती है। करीब
(०४१) ३ फुट ऊँची खड्गासन है। पाषाण काला है। इस
के आसनके अतिरिक्त बाकी आंगोपांग मूर्तिका धड़ मन्दिर नं०१ की दीवारमें खचित है, नहीं हैं । आसन चौड़ा है। चिन्ह बैलका है । करीब ऐसा नापसे मालूम होता है।
२॥ फुट ऊंची पद्मासन है । पापाण काला तथा चमलेख-सम्बत् १२०६ गोलापूर्वान्वये साहु सुपट भार्या कदार है। अल्ह तस्य पुत्र सान्ति पुत्र देल्हल अरहनाथं प्रणमन्ति लेख-गोलापूर्यान्वये साहुरासल तस्य सुत साहु नित्यम् ।
मामे प्रणमन्ति । गृहपत्यन्वये साहुकेशव भार्या शान्तिणी भावार्थ:--गोलापूर्ववंशोत्पन्न माह सुपट उनकी
साहु बाबण सुत माल्ह प्रणमन्ति । पत्नी अल्ह उमके पुत्र शान्ति तथा पुत्र देल्हलने इस । बिम्बकी सम्वत् १२०१ में प्रतिष्ठा कराई।
सम्बत् १२०३ गोलापूर्वान्वये साहुयाल्ह तस्य भार्या पन्हा तयोः पुत्र बहराऊदेव-राजजस-बेवल प्रणमन्ति नि
त्यम् अषाड सुदी २ सोमे । मूत्तिका शिर और हथेलियोंके अतिरिक्त बाकी हिस्मा उपलब्ध है। चिह्न बैलका है। करीब दो फट भावार्थः-गोलापूर्व वंशमें पैदा होनेवाले साहु ऊँची पद्मासन है। पाषाण काला तथा चमकदार है। रामल उनके पुत्र साहु मामे दोनों प्रणाम करते हैं। लेख-सम्वत् १२०३ माघ सुदी १३ वैश्यान्वे साह
तथा गृहपति वंशमें पैदा होनेवाले साहु केशव
उनकी धर्मपत्नी शान्तिणी और साहु बाबण उनके सुपट भार्या गंगा तस्य सुतः साहु रासल पाल्हऋषि प्रण
पुत्र माल्हने बिम्बप्रतिष्ठा कराई। ये सब प्रणाम मन्ति नित्यम् । भावार्थ:-वैश्य कुलमें पैदा होनेवाले सुपट
करते है। उनकी धर्मपत्नी गंगा उनके पुत्र माहु रासल तथा
तथा सम्वत् १२०३ के अषाढ़ सुदी २ मोमवारपाल्ह ऋषिने मं० १२०३ माघसुदी १३ गुरुवारमें
को गोलापूर्व वंशमें पैदा होनेवाले साहु याल्ह उनकी प्रतिष्ठा कराई।
धर्मपत्नी पल्हा उन दोनोंके पुत्र बछरायदेव-राजजस(नं०४०)
वेवल प्रतिष्ठा कराके प्रतिदिन नमस्कार करते हैं। मूर्तिका शिर और आधे हाथोंके अतिरिक्त सब नोट:-इस मूर्तिके प्रतिष्टायक गोलापूर्व और गृहअङ्ग प्राप्य है । चिन्ह बैंलका है । करीब २ फुट पति इन दो जातियोमें पैदा होनेवाले तीन कुटुम्बके मदस्य उंची पद्मासन है। पाषाण काला है। पालिश चमक- हैं जिन्होंने अपनी गाढ़ी कमाईका द्रव्य लगाकर यह विम्ब दार है।
निर्माण कराया।