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________________ किरण५] जीवन और विश्वके परिवर्तनौका रहस्य १ काफी वैचित्र्य और चंचलता लक्षिप्त होगी। लड़का है तो वह स्वस्थ होगा इत्यादि । अधिक होनहार होगा। लेकिन बादमें उसके लालन- (४) बीमारीकी सन्तति- पिताको यदि पालन, चारों तरफके लोगोंके साथ मिलना-जुलना, कोई बीमारी हो तो उसकी वर्गणाओं में भी बीमारी वातावरण, जलवायु इत्यादिका प्रभाव भो उसकी या बीमारियोंवाली वर्गणाए होंगी और उसके वर्गणाओंमें हरदम परिवर्तन लाता रहता है इस वीर्यमें वही कीटाणु श्रावेंगे जिनकी धर्गणाओं लिए 'तुख्म तासोर सोहबते असर' ये दोनों व्यर्थ की समानता इनके साथ अधिक-से-अधिक होगी। नहीं जाते । मनुष्यके स्वभाव या प्रकृतिपर हर बहुत-सी बीमारियां बड़ी गहरी छाप लगाने वाली वस्तुका, हर बातका, हर वातावरणका असर पड़ता होती है, जिसका मतलब यह कि पुरुषकी कुल है । वर्गणाओंके गठन या बनावटपर ही किसी वर्गणाओंमें ऐसी बीमारीकी कारणवाली षगणाओंका स्वभाव-प्रकृति या उसका सब कुछ निर्भर की संख्या काफी बड़ी होती है, जैसे सुजाक, गर्मी, करता है या यह सब कुछ वर्गणाओं-द्वारा ही बनता दमा, वगैरह । यही कारण है कि जो संतान ऐसी विगड़ता या परिवर्तित और संचालित होता है। बीमारीवाले पिताकी होती है उसमें भी ये लक्षण हर एक जीव या मानव-शरीरके अन्दर अनन्ता मिलते है। माताके साथ भी ऐसी ही बात है, क्योंनन्त प्रकारकी वर्गणाए हैं। जिन एक तरहकी वर्ग कि संतान आखिर उसकी वर्गणामोंसे समानता णाओंकी संख्या अधिक या काफी मात्रामें होगी, उनके अनुरूप या उनके प्रभाव द्वारा उत्पन्न हा रखने वाली ही गर्भमें रुक सकती है और फिर स्वभाव या आचरण इत्यादि विशेषरूपसे परि बादको माताके साथ रहनेसे उसकी वर्गणाओंमें लक्षित होंगे। इनमें भी जिनका उदय ऊपर आता है - जो बादको परिवर्तन होते है वे भी तो माताकी उनका ही तात्कालिक प्रभाव विशेष दिखलाई पडता वर्गणाओंस ही प्रभावित होते हैं। इसलिए यह है। संसारमे जितने व्यक्ति है उतने तरहक स्वभाव संभव है कि पिताके यहांस यदि कोई सन्तान और हरएक मनुष्यके अन्दरकी हरएक बनावट या बीमारीवाला न भी आया हो तो वह माताकी बाहरी शारीरिक व्योरा Details और गुणादिक सुहबत (संगति) में माताकी बीमारी ले सकता एकदम पृथक-पृथक या भिन्न-भिन्न होते हैं। इस तरह है, इत्यादि। संसारके किन्हीं भी दो व्यक्तियों की कुल वर्गणाए कमी (५) वातावरणादिका स्वास्थ्यपर असरभी समान नहीं होती। जितनी-जितनी समानता दो या अधिक व्यक्तियोंमें वर्गणाओंके गउनकी ___ हर एक वातावरणमें भरे हुए या स्थान पाए हुए पुद्गलोका भी संगठन एक खास तरहका ही होता होगी उनकी व सब बातें उसी अनुपातमें समान होंगी जो उन समान वर्गणाओंके फलस्वरूप या ६, : है, जो किसी जगहके जलवायुके कारण होता है । उनस प्रभावित होती है। इसी तरह विपरीतता या जब एक बच्चा किसी खास वातावरणमें उत्पन्न विभिन्नता भी समझना चाहिए। संसारमें जितने हुश्रा तब यदि उसकी वर्गणामोंकी प्रकृति वाताव्यक्ति है उतनी ही विभिन्नता उनकी वगेणाओंकी वरण की वग बनावट एवं संगठनमें दो व्यक्तियों में यदि बीमार या अस्वस्थ हो जायगा और यदि वह पचास-पचास वर्गणाए शान्तताकी समान हैं तो विषमता अधिक हुई तो उसकी मृत्यु हो जायगी। दोनोंमें शान्त स्वभाव होगा । बाकी पचासमेंसे वह उस वातावरणमें जिन्दा नहीं रह सकता। एकमें यदि बीमारीकी वर्गणाएं अधिक है तो वह एसी हालतमें यदि लड़केको दूसरे वातावरणमें बीमार होगा और यदि दुसरेमें स्वस्थताकी अधिक बदल दिया जाय या दूसरी जगह ले जाया जाय
SR No.538010
Book TitleAnekant 1949 Book 10 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1949
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size30 MB
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